आग से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी : सिंह
घरों में वायरिंग के दौरान बिजली के तार उच्च गुणवत्ता वाले हों। कई लोग सस्ते के चक्कर में मानक अनुरूप तार का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे में लोड बढ़ने के बाद आग लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। घर के मुख्य दरवाजे पर किसी प्रकार का अवरोधक न रखें। अगर अवरोध होगा तो घर से निकलने में परेशानी हो सकती है।
शनिवार को देशभर में दशहरा मनाया गया। वहीं इस माह दीवाली की भी तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी है। इस माह में आतिशबाजी होती है। दीपपर्व, इलेक्ट्रकिल सामानों से सजावट अधिक की जाती है। ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही बरतने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसलिए सतर्कता और बचाव बेहद आवश्यक है। इस लिहाज से फायर सेफ्टी के इंतजाम पुख्ता करने की जरूरत है।
दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा बताते हैं कि आग लगने की कई घटनाएं बिजली के मीटर के आसपास होती है। इस बात को देखते हुए मीटर के पास अग्निशामक यंत्र जरूर रखें, जिससे आग लगने की स्थिति में उस पर तुरंत काबू पाया जा सके।
जिले सिंह लाकड़ा बताते हैं कि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घरों में वायरिंग के दौरान बिजली के तार उच्च गुणवत्ता वाले हों। कई लोग सस्ते के चक्कर में मानक अनुरूप तार का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे में लोड बढ़ने के बाद आग लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। घर के मुख्य दरवाजे पर किसी प्रकार का अवरोधक न रखें। अगर अवरोध होगा तो कठिन परिस्थिति में घर से निकलने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा घर की बाल्टी में पानी हमेशा रखें, जिसे जरूरत पड़ने पर आप इस्तेमाल कर सकें।
इलेक्ट्रॉनिक सामानों का उपयोग भी पहले की अपेक्षा ज्यादा किया जाता है। आग लगने के अधिकांश मामलों में लोड बढ़ने के कारण बिजली मीटर में आग लगने की घटनाएं अधिक देखने को मिलती है। जरूरी है कि खपत के अनुसार बिजली के लोड को अधिक करते रहें। लाकड़ा कहते हैं कि फायर डिपार्टमेंट से जुड़ना एक कामयाब करियर के साथ साथ जनसेवा भी है। फायर फाइटर्स का मुख्य काम होता है आग लगने के कारणों का पता लगाना और उसे रोकने के उपायों का विषलेशण करना। फायर फाइटिंग सिविल, इलेक्ट्रीकल, एंवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग से जुड़ा क्षेत्र है। मसलन आग बुझाने के यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंक्लर सिस्टम, अलार्म, पानी की बौछार का सबसे स्टीक इस्तेमाल, कम से कम समय और कम से कम संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा जान और काम की रक्षा करना उसका उद्देश्य होता है।
इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट का सफलतापूर्वक पाठयक्रम करने के बाद भारत में फायर प्रोटेक्शन इंजीनियर, एनवायरमेंट सेफ्टी मैनेजर, इंजीनियर हाइजीन मैनेजर, सिस्टम सेफ्टी इंजीनियर, रिस्क मैनजमेंट कंसलटेंट, सेफ्टी इंजीनियर,के रूप में अवसर मिलते हैं। इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली कॉलेज आफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग (www.Dcfse.com) से कोर्स कर सकते हैं।