पाखंडी बाबा के 'पापलोक' का हो सकता है अंत, ये होगा पुलिस का अगला कदम
आध्यात्मिक विश्वविद्यालय व आश्रम को सील भी किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित सरकारी एजेंसियों समेत पुलिस ने संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। अध्यात्म के नाम पर युवतियों-महिलाओं को बंधक बनाने, दुष्कर्म करने के मामले में फरार दिल्ली के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। ढोंगी बाबा को लेकर नए खुलासे भी हो रहे हैं। कथित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय व आश्रम को सील भी किया जा सकता है। इसके लिए संबंधित सरकारी एजेंसियों समेत पुलिस ने संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो 4 जनवरी के बाद आश्रम सील किया जा सकता है।
वीरेंद्र देव दीक्षित को पेश होने का निर्देश
पुलिस सूत्रों के अनुसार आश्रम को लेकर मौजूदा सभी कार्रवाई दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर की जा रही है। न्यायालय की ओर से बनाई गई टीम प्रतिदिन की कार्रवाई रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 जनवरी को यौन शोषण के आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित को पेश होने का निर्देश दिया है। अगर 4 जनवरी को वीरेंद्र कोर्ट में पेश नहीं होगा तो इसके बाद आश्रम को सील कर कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
आश्रम सील करने के कई आधार
सूत्र बताते हैं कि आश्रम सील करने के कई आधार हैं। पहला यह है कि यह चार मंजिला आश्रम नगर निगम के तय नक्शे के विपरीत बना हुआ है। पूरा आश्रम जालियों में बंद होकर जेल जैसी संरचना में ढला है, ऐसे में आगजनी समेत किसी हादसे की स्थिति में इससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल होगा। सुरक्षा संबंधी मानकों के उल्लंघन को लेकर भी भवन को सील किया जा सकता है। पुलिस के पास आश्रम में यौन शोषण व अन्य गैर कानूनी गतिविधियों के आधार पर भी इसे बंद करने का पर्याप्त आधार हैं।
पहले भी चल चुका है बुलडोजर
विजय विहार में रहने वाले बुजुर्गों ने बताया कि वर्ष 1989 से पहले आश्रम की जगह पर बाग हुआ करता था। लेकिन धीरे-धीरे यहां वीरेंद्र देव के ही कुछ लोगों ने झुग्गियां बनाकर इस जगह पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद एक हजार गज से अधिक जमीन पर वर्ष 2001 में यहां चारदीवारी बनाकर भवन निर्माण का काम शुरू किया गया था।
आश्रम के अंदर बना है एक तहखाना
तब नगर निगम की ओर से इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए चारदीवारी को तोड़ दिया गया था। लेकिन देखते-देखते यहां मंजिल बनती चली गई, लेकिन किसी सरकारी एजेंसी ने इस तरफ झांकने की भी जरूरत महसूस नहीं की। आश्रम के अंदर एक तहखाना भी बना हुआ है, जिसमें राशन आदि के अलावा आश्रम की महंगी गाड़ियां पार्क की जाती है।
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