US-ब्रिटेन के बाद भारत में पांव पसार रही ये खतरनाक बीमारी, करोड़ों लोग चपेट में
इस बीमारी की वजह विश्व में तेजी से बढ़ती एक ऐसी लत है, जिसने लगभग हर देश को परेशान कर रखा है। भविष्य के लिए बड़ा खतरा है, खासतौर पर युवाओं के लिए।
By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 15 Oct 2018 04:45 PM (IST)
नई दिल्ली/गाजियाबाद, जेएनएन। विकसित देशों की सूची में अमेरिका नंबर वन है। माना जाता है कि वहां के लोग काफी संपन्न और खुश हैं। बावजूद अमेरिका में सबसे ज्यादा लोग एक खतरनाक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर ब्रिटेन के लोग इस बीमारी से सबसे ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं। इस बीमारी से ग्रसित होने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
इस बीमारी की वजह विश्व में तेजी से बढ़ती एक ऐसी लत है, जिसने लगभग हर देश को परेशान कर रखा है। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत में तेजी से पांव पसार रही ये खतरनाक बीमारी, भविष्य के लिए बड़ा खतरा है। लिहाजा डॉक्टरों ने लोगों को इस लत से सावधान किया है।
दुनिया भर को परेशान करने वाली ये लत है अश्लील वीडियो देखने की। इसकी वजह से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे मानसिक रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसमें अमेरिका नंबर वन और ब्रिटेन नंबर दो पर है। इसके बाद तीसरे नंबर पर भारत है।
अश्लील साइट देखने संबंधी खुलासे चौंकाने वाले हैं। अमेरिका की नामी मनोविशेषज्ञ एंजेला बताती हैं कि बहुत ज्यादा अश्लील साइट व वीडियो देखने वाले कई सारी स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। पूरी दुनिया में अश्लील वीडियो देखने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और ऐसा युवाओं की आदत में शुमार होता जा रहा है।
भारतीय मनोवैज्ञानिक डॉ. केएन जोशी का कहना है कि दुनिया भर के युवाओं के सामने ये सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है। भारत का इस सूची में तीसरे पायदान पर पहुंचना, भविष्य के बड़े खतरे का संकेत है। इस खतरे का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में युवाओं को अश्लीलता का नशा होता जा रहा है। इससे भविष्य में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ. केआर बंसल के अनुसार भारत जैसे देश अश्लील फोटो, वीडियो या साइट देखने के मामले में बहुत आगे हैं। खबरों पर यकीन करें तो दुनिया भर में मशहूर एक अश्लील वेबसाइट ने पिछले साल का एक आंकड़ा सार्वजनिक किया था। जिसके अनुसार दुनिया में औसतन हरेक व्यक्ति ने पोर्न साइट पर 12 वीडियो देखी थी। दुनिया भर के लोगों के 4 अरब, 39 करोड़, 24 लाख, 86 हज़ार 580 घंटे अश्लील साइट या वीडियो देखने में ख़र्च हुए थे।
महिलाओं को भी लग रही ये गलत लतऐसा नही हैं की केवल मर्दों पर ही अश्लील वेबसाइट देखने का असर हो रहा है। महिलाओं को भी इसकी आदत हो गई है। आश्चर्य नहीं है कि इस तरह की आदतों के कारण युवाओं में तरह-तरह की समस्या पैदा हो रही हैं। एक तरफ तो विवाहित युवक-युवतियां शारीरिक संबंध बनाने से बच रहे हैं। दूसरी ओर समलैंगिकता जैसे मामलों में भी तेजी से इजाफा हुआ है।
भारत में बढ़ रही हैं महिला उत्पीड़न की घटनाएंअश्लील साइटों से बढ़ रहे मानसिक रोग का ही असर है कि भारत में तेजी से महिला उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसमें महिला संग घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, अपहरण, छेड़छाड़ और असफहल होने पर हत्या जैसी घटनाएं सबसे ज्यादा हैं। पिछले कुछ सालों में इनका आंकड़ा लगातार बढ़ा है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार अनैतिक इच्छाओं के काबू न कर पाने व समाज में अश्लील साइट्स को देखने की बढ़ती कुप्रवृत्ति के चलते इनकी संख्या बढ़ रही है। जब तक सख्त कानून, समय-समय पर काउंसिलिंग नहीं होती रहेगी। इन्हें बढ़ने से रोकना मुश्किल है। नाबालिगों के मामले में पॉक्सो एक्ट में करीब 1200 केस अकेले गाजियाबाद जिले में ही विचाराधीन हैं।
ज्यादातर मानसिक रोगी करते हैं ऐसी वारदात
विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह की घटनाओं के अपराधियों में ज्यादातर मानसिक रोगी होते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. संजीव त्यागी ने बताया कि हर इंसान की इच्छाएं दो तरह की होती हैं। एक नैतिक और दूसरी अनैतिक। नैतिक इच्छाएं तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन अनैतिक इच्छाएं समाजिक बंधनों के चलते पूरी नहीं हो पाती हैं। यौन कुंठा भी एक ऐसी ही इच्छा है। एक स्वस्थ मनुष्य उन इच्छाओं को दबा लेता है, मगर कुछ नहीं दबा पाते। तैयार हो रहने ऩए क्रिमिनल
मनोचिकित्सक डॉ. हेमिका अग्रवाल ने बताया कि सोशल मीडिया पर अश्लील साइट्स व अश्लील चलचित्रों ने लोगों की मानसिकता को बदल डाला है। दरअसल, जो लोग ऐसी इच्छाओं को दबा भी लेते हैं, वे भी ये सब देखकर क्राइम करने को तैयार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सब तो नहीं, लेकिन ज्यादातर इस तरह के अपराधी मानसिक रोगी होते हैं। स्किजोफ्रेनिया या मेनिया होने पर अचानक होता है बदलावडॉ. हेमिका अग्रवाल ने बताया कि स्किजोफ्रेनिया या मेनिया होने पर रोगी में अचानक बदलाव आता है। ऐसे रोगी वैसे तो सामान्य होते हैं। उनका पिछला इतिहास भी सही होता है। मगर अचानक से उनमें इस तरह की भावनाएं जागती हैं, जो उन्हें किसी भी हद तक ले जाने को प्रोत्साहित करती हैं। इस तरह की घटनाएं पूरे समाज को हिलाकर रख देती हैं। दिमाग के विकास पर भी पड़ता है प्रभावन्यूगरोसाइंटिस्टी की मानें तो बहुत ज्या दा अश्लील साइट देखने से दिमाग के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। इससे मनोविकार जैसी समस्या भी हो सकती है। अगर आप ऐसे व्यवक्ति के साथ रिश्तेत में हों तो आपको अंतरंगता के लिए नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।जागरुकता व बचाव के लिए चलाया जाएगा अभियान
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण भी मानते हैं कि महिलाओं के प्रति बढ़ता अपराध एक गंभीर विषय है। उनके अनुसार इस तरह के मामलों में पुलिस अब बहुत जागरूक हो चुकी है। बच्चियों और महिलाओं संग होने वाले सभी अपराधों में तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर, सख्त कार्रवाई की जाती है। पुलिस ने कई ऐसी वारदातों का भी पर्दाफाश किया है। इसके साथ ही लोगों को महिला अपराधों के प्रति वक्त-वक्त अभियान चलाकर जागरूक भी किया जाता है।यह भी पढ़ेंः मैट्रिमोनियल साइट से जीवनसाथी ढूंढ़ रहे युवक-युवतियां जरूर पढ़ें ये खबर...यह भी पढ़ेंः दिल्ली में 30 हजार से अधिक लोगों की जान खतरे में, जानिये- इसकी सबसे बड़ी वजह
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह की घटनाओं के अपराधियों में ज्यादातर मानसिक रोगी होते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. संजीव त्यागी ने बताया कि हर इंसान की इच्छाएं दो तरह की होती हैं। एक नैतिक और दूसरी अनैतिक। नैतिक इच्छाएं तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन अनैतिक इच्छाएं समाजिक बंधनों के चलते पूरी नहीं हो पाती हैं। यौन कुंठा भी एक ऐसी ही इच्छा है। एक स्वस्थ मनुष्य उन इच्छाओं को दबा लेता है, मगर कुछ नहीं दबा पाते। तैयार हो रहने ऩए क्रिमिनल
मनोचिकित्सक डॉ. हेमिका अग्रवाल ने बताया कि सोशल मीडिया पर अश्लील साइट्स व अश्लील चलचित्रों ने लोगों की मानसिकता को बदल डाला है। दरअसल, जो लोग ऐसी इच्छाओं को दबा भी लेते हैं, वे भी ये सब देखकर क्राइम करने को तैयार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सब तो नहीं, लेकिन ज्यादातर इस तरह के अपराधी मानसिक रोगी होते हैं। स्किजोफ्रेनिया या मेनिया होने पर अचानक होता है बदलावडॉ. हेमिका अग्रवाल ने बताया कि स्किजोफ्रेनिया या मेनिया होने पर रोगी में अचानक बदलाव आता है। ऐसे रोगी वैसे तो सामान्य होते हैं। उनका पिछला इतिहास भी सही होता है। मगर अचानक से उनमें इस तरह की भावनाएं जागती हैं, जो उन्हें किसी भी हद तक ले जाने को प्रोत्साहित करती हैं। इस तरह की घटनाएं पूरे समाज को हिलाकर रख देती हैं। दिमाग के विकास पर भी पड़ता है प्रभावन्यूगरोसाइंटिस्टी की मानें तो बहुत ज्या दा अश्लील साइट देखने से दिमाग के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। इससे मनोविकार जैसी समस्या भी हो सकती है। अगर आप ऐसे व्यवक्ति के साथ रिश्तेत में हों तो आपको अंतरंगता के लिए नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है।जागरुकता व बचाव के लिए चलाया जाएगा अभियान
गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण भी मानते हैं कि महिलाओं के प्रति बढ़ता अपराध एक गंभीर विषय है। उनके अनुसार इस तरह के मामलों में पुलिस अब बहुत जागरूक हो चुकी है। बच्चियों और महिलाओं संग होने वाले सभी अपराधों में तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर, सख्त कार्रवाई की जाती है। पुलिस ने कई ऐसी वारदातों का भी पर्दाफाश किया है। इसके साथ ही लोगों को महिला अपराधों के प्रति वक्त-वक्त अभियान चलाकर जागरूक भी किया जाता है।यह भी पढ़ेंः मैट्रिमोनियल साइट से जीवनसाथी ढूंढ़ रहे युवक-युवतियां जरूर पढ़ें ये खबर...यह भी पढ़ेंः दिल्ली में 30 हजार से अधिक लोगों की जान खतरे में, जानिये- इसकी सबसे बड़ी वजह