Kisan Andolan: 'तत्काल वापस नहीं होगा किसान आंदोलन' कृषि कानून रद करने पर राकेश टिकैत ने कही बड़ी बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह खुद तीनों कृषि कानूनो को वापस लेने का ऐलान किया है। ऐसे में दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 19 Nov 2021 01:24 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। केंद्र में सत्तासीन नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक साल बाद तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने यानी निरस्त करने का एलान किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार सुबह खुद इसका ऐलान किया है। वहीं, दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया में कहा है कि तत्काल किसान आंदोलन वापस नहीं होगा। राकेश टिकैत ने ट्वीट किया है -'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।' गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फ़ैसला किया है।
उधर, तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। SKM के नेताओं ने बयान जारी कर केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि संसद में इस कानून को निरस्त करने पर हमारी नजर रहेगी। संयुक्त किसान मोर्चा का यह भी कहना है कि हमारा आंदोलन न सिर्फ नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन था, बल्कि फसलों के लाभकारी मूल्य के लिए वैधानिक गारंटी की मांग अभी भी लंबित है।
राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बाद ( डा. दर्शनपाल समन्वयक, संयुक्त किसान मोर्चा) ने भी कृषि कानून रद होने पर किसानों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि ये किसानों की एकजुटता की जीत है। एक साल से हमने जो लड़ाई लड़ी, उसने यह माहौल बनाया। प्रधानमंत्री ने गुरुनानक जयंती पर तीनों कृषि कानून रद किया है। यह पहली बार हुआ है। किसानों की एकता को बधाई। आने वाले दिनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर लड़ाई जारी रहेगी। जल्द ही संयुक्त किसान माेर्चा की बैठक कर तय करेंगे कि आंदाेलन को किस तरह से चलाना है।
गौरतलब है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ तकरीबन पिछले एकत साल से दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर यूपी, हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान प्रदर्शनकारी 26 नवंबर, 2020 से तीनों कृषि कानूनों के वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे। यहां पर बता दें कि राकेश टिकैत के बड़े भाई और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इससे पहले 3 ट्ववीट कर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट किया था कि किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे । यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी। एक अन्य ट्वीट में नरेश टिकैत ने लिखा था कि जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे । जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा ।
- Rakesh Tikait (@Rakesh.Tikait) 19 Nov 2021
हमलावर अंदाज में नरेश टिकैत ने यह भी लिखा था कि हमारा मुकाबला एक ऐसी सरकार के साथ है, जो अपनी जिद पर अड़ी हुई है, क्योंकि एक तरफ किसान की सरकार के साथ लड़ाई है. वहीं, दूसरी ओर किसान अपनी फसल और मान-सम्मान बचाने की लड़ाई भी लड़ रहा है. किसानों के आगे समस्याओं का अंबार लगा हुआ है, किसान-मजदूर सभी बहुत दुखी हैं ।
नरेश टिकैत का कहना था कि सरकार से किसान बेहद नाराज है। किसान आंदोलन इतिहास बन गया है, किसानों पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी है। लेकिन किसानों को लंबा संघर्ष करना होगा। आंदोलन को दिनचर्या का हिस्सा बना लें। किसान बॉर्डर को मजबूत करें।
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