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50000 के इनामी सुमित का अक्टूबर में हुआ था एनकाउंटर, अब जांच के लिए लैब भेजे गए हथियार

मजिस्ट्रेट जांच के दौरान एफएसएल की रिपोर्ट की भूमिका बेहद अहम होगी।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 08 Mar 2018 03:10 PM (IST)
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50000 के इनामी सुमित का अक्टूबर में हुआ था एनकाउंटर, अब जांच के लिए लैब भेजे गए हथियार

नोएडा (प्रवीण विक्रम सिंह)। कासना कोतवाली क्षेत्र में बीते तीन अक्टूबर को मुठभेड़ में 50 हजार के इनामी बदमाश सुमित गुर्जर को ढेर करने वाले पुलिसकर्मियों के हथियार जांच के लिए लैब भेजे गए हैं। मुठभेड़ में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के बयान अभी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज नहीं हुए हैं। सभी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट ने एसएसपी गौतमबुद्धनगर लव कुमार को पत्र लिखा है।

पत्र में मांग की गई है कि सभी पुलिसकर्मी जल्द से जल्द अपना बयान दर्ज कराए। सुमित मुठभेड़ मामले की मजिस्ट्रेट जांच छह महीने बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। मुठभेड़ के दौरान कासना कोतवाली की सरकारी जीप में गोली लगी थी और बिसरख कोतवाली प्रभारी अजय शर्मा व नोएडा सेक्टर 58 थाना प्रभारी अनिल प्रताप सिंह की बुलेट प्रूफ जैकेट में भी गोली लगी थी।

उल्लेखनीय है कि ईकोटेक तीन कोतवाली क्षेत्र में बीते 19 सितंबर की रात बदमाशों ने शराब कंपनी की कैश वैन लूट के दौरान दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले की जांच में जुटी पुलिस ने घटना में शामिल बागपत के चिरचिटा गांव के रहने वाले सुमित गुर्जर को मुठभेड़ के दौरान मुठभेड़ में बीते तीन अक्टूबर को कासना कोतवाली क्षेत्र में मार गिराया था।

तत्कालीन कासना कोतवाली प्रभारी जितेंद्र कुमार, बिसरख कोतवाली प्रभारी अजय शर्मा व नोएडा सेक्टर 58 थाना प्रभारी अनिल प्रताप सिंह की टीम ने बदमाश को मुठभेड़ में ढेर किया था। तीनों पुलिसकर्मियों के हथियार जांच के लिए लैब भेजे गए है कि इसी हथियार से मुठभेड़ के दौरान गोली चली है या नहीं। मुठभेड़ के बाद परिजन ने पुलिसकर्मियों पर सुमित को बागपत से उठा कर मारने का आरोप लगाया था।

मुठभेड़ के बाद बिखर गई टीम

सुमित गुर्जर मुठभेड़ के बाद कासना कोतवाली में तैनात थाने की एसओजी टीम में बिखराव हो गया। मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मी का अलग-अलग कारणों से अलग जगह तबादला कर दिया गया। कुछ अपनी मर्जी से चले गए तो कुछ को प्रभारी ने टीम ने अलग कर दिया।

हथियार की जांच रिपोर्ट की होगी अहम भूमिका

मजिस्ट्रेट जांच के दौरान एफएसएल की रिपोर्ट की भूमिका बेहद अहम होगी। इसके तहत मजिस्ट्रेट को जांच में यह लिखना होगा कि मुठभेड़ के दौरान गोली किन हथियारों से चली थी और कितनी चली थी।

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