Delhi Pollution: आनंद विहार की हवा में क्यों घुला जहर? प्रदूषण के हॉटस्पॉट बनने की वजहें आई सामने
आनंद विहार में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर बसा यह क्षेत्र अत्यधिक अनियोजित है और यहां बमुश्किल कोई नियमन है। यहां सड़कों के किनारे लगे पेड़ भी सांस लेने के लिए हांफते नजर आते हैं। आसपास के जलस्रोत दम तोड़ चुके हैं। दो बस अड्डे मेट्रो स्टेशन रेलवे स्टेशन होने से लाखों लोगों प्रतिदिन यहां आते जाते हैं।
अजय राय, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ने लगा है। दिल्ली के प्रमुख हॉटस्पॉट आनंद विहार में इस अदृश्य खतरे ने डेरा डाल दिया है। यहां की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के बार्डर पर बसा यह क्षेत्र अत्यधिक अनियोजित है और यहां बमुश्किल कोई नियमन है।
यहां सड़कों के किनारे लगे पेड़ भी सांस लेने के लिए हांफते नजर आते हैं। आसपास के जलस्रोत दम तोड़ चुके हैं। दो बस अड्डे, मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन होने से लाखों लोगों प्रतिदिन यहां आते जाते हैं। इससे वाहनों का आवागमन भी काफी ज्यादा होता है।
दिल्ली के साथ यहां पड़ोसी गाजियाबाद जिला प्रशासन भी व्यवस्था ठीक करने के लिए एक साथ कभी नहीं जुटते। इसलिए यहां वायु प्रदूषण किसी न किसी कारण से बढ़ा रहता है।दिल्ली मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट का चल रहा काम
दिल्ली के प्रदूषण हॉटस्पॉट बन चुके आनंद विहार में व्यवस्था का कम अव्यवस्था की स्थिति हर तरफ दिखती है। इस इलाके में कई प्रकार के परिवहन व्यवस्था के कारण रोजाना लाखों लोगों की आवाजाही होती है। यहां दिल्ली मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट का भी काम चल रहा है।
मुख्य सड़क के दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक बड़ा बस अड्डा मौजूद है, जहां रोजाना सैकड़ों बसें उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों से यहां पहुंचती हैं। इन यात्रियों की आवाजाही में इस्तेमाल होने वाले अंतरराज्यी बसों की खराब सेहत भी प्रदूषण का बोझ बढ़ा रही हैं।
(सीपीसीबी द्वारा शाम चार बजे जारी आंकड़े)
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।यहां से गुजरती हैं सैकड़ों डीजल बसें
डीजल चालित सैकड़ों बसें यहां से रोजाना गुजरती हैं। काला धुआं उगलने वाली ये बसें भी प्रदूषण बढ़ाने में अहम कारण साबित होती हैं। प्रदूषण की मात्रा बढ़ाने में दिल्ली में पटपड़गंज व यूपी में साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया की भी भूमिका सवालों के घेरे में हैं। इस इलाके में कई छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं, जो लगातार धुआं उगलती रहती हैं और वो हवा के रुख के साथ आस-पास फैलती हैं और वायु गुणवत्ता खराब कर रही हैं।सड़ी हुई अवस्था में हैं इलाके के जलस्रोत
यहां हवा ही नहीं, इलाके के जलस्रोत भी सड़ी हुई अवस्था में हैं, जहां तैरते मलबे से दुर्गंध आ रही है। आनंद विहार रेलवे स्टेशन से निकलने से लकर मुख्य मार्ग (हाईवे) तक पर जहां तहां वाहन खड़े होने से जाम लगा रहता है। यहां से महज पांच किमी की दूरी पर गाजीपूर में कूड़े पहाड़ से निकलती जहरीली गैस इस इलाके की हवा को लगातार दमघोंटू बना रही है। इस स्थिति को देखकर साफ पता चलता है कि यहां वायु प्रदूषण जमीनी स्तर पर चिंता विषय नहीं है। रविवार को मुख्यमंत्री आतिशी के दौरे से पहले यहां सड़कों पर गंदगी, जहां सड़कों पर अवैध पार्किंग, रेहड़ी-पटरी, सेंट्रल वर्ज से सड़क तक धूल के बीच वाहनों का रेला दिखता था। बीच-बीच में यहां जोर-शोर से सफाई की जाती है, लेकिन यह क्रम कुछ ही दिन चलता है।दो साल पहले स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट के पर्यावरण विभाग ने डीपीसीसी के लिए किए एक सर्वे में बताया था कि तमाम अव्यवस्थाओं के बीच इस इलाके में वायु प्रदूषण ज्यादा होने का कारण इलाके की सघन बसावट भी है। यहां हवां तेजी से ऊपर की तरफ नहीं निकल पाती है। चूंकि सर्दियों में हवा की गति ज्यादा तेज नहीं रहती है, इससे इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण तुरंत गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।आनंद विहार में सप्ताह भर में वायु गुणवत्ता
तारीख | एक्यूआई |
14 अक्टूबर | 313 |
15 अक्टूबर | 424 |
16 अक्टूबर | 439 |
17 अक्टूबर | 419 |
18 अक्टूबर | 353 |
19 अक्टूबर | 450 |
20अक्टूबर | 454 |