क्या है दिल्ली का आबकारी नीति घोटाला? अबतक चार बड़े नेताओं समेत इन 14 लोगों पर कसा शिकंजा
सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले में अब तक अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया संजय सिंह और के कविता गिरफ्तार हो चुके हैं। जानिए क्या है घोटाला...
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। साल 2021 में जोर-शोर से लागू की गई दिल्ली की शराब नीति के चलते अब आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। इस नीति के लागू होते ही इसके विरोध में कई स्वर उठे थे और फिर एलजी ने इसे लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए तो इस नीति को वापस ले लिया गया।
इसके बाद से ही जो जांच शुरू हुई वो अब तक नहीं रुकी है। इस नीति में हुए घोटाले की आंच मुख्यमंत्री केजरीवाल से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप सांसद सिंह और बीआरएस की नेता के कविता तक पहुंची और आज यह सभी जेल में है।
ऐसे में लोगों के जहन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर यह पूरा घोटाला क्या है जिसके चलते एक मुख्यमंत्री, पूर्व उपमुख्यमंत्री, राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी जेल पहुंच चुके हैं। यहां आसान भाषा में समझें क्या है Delhi Excise policy Scam...
क्या है नई आबकारी नीति घोटाला...
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू करके सरकार के राजस्व में इजाफा होने का दावा किया था। इसके बाद जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी।
इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी और इस प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लान्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया था।
इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।
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