प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से बदलाव आया है। इससे रेहड़ी-पटरी संचालकों को आत्मनिर्भरता के साथ सम्मान मिला है। राजधानी दिल्ली में अब तक 178682 लोग स्वनिधि योजना से लाभांवित हुए हैं। वहीं 49168 लोगों ने लोन लौटाया है। दिल्ली में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के लाभार्थियों में 71 प्रतिशत लोग सामान्य वर्ग से हैं। दिल्ली से सटे नोएडा में योजना के लाभार्थियों की औसत आयु 42 वर्ष है।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। करोलबाग में सड़क किनारे 35 वर्षों से परिधान बेच रहे वीरभद्र मौर्या बताते हैं कि आज जिस तरह से लोग सम्मान की नजर से देखते हैं, पहले ऐसा नहीं था। पुलिस और एमसीडी के कर्मचारी उन जैसे विक्रेताओं को जब-तब परेशान करते थे।
इससे सोच में आया बदलाव
गाली-गलौच के साथ सामान भी उठा ले जाते थे, लेकिन जब से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ संसद में भी उन जैसे रेहड़ी-पटरी वालों की चिंता की जा रही है, सार्वजनिक मंचों पर सम्मान दिया जा रहा है। इससे सोच में बदलाव आया है। यह प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के चलते उनकी आकांक्षा पूरी हुई है।
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान लगे लाकडाउन में जब जमा पूंजी खत्म हो गई थी, तब प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना उनके लिए बड़ा सहारा बनी। जिसके चलते उन्हें आसानी से बैंक लोन मिला। दोबारा न सिर्फ वह अपना कारोबार जमा पाए, बल्कि अपना कारोबार बढ़ाने में भी सफल हुए।
अपने घर में आर्थिक मदद कर पा रहे हैं और बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं। यह अकेले वीरभद्र मौर्या की ही कहानी नहीं है, बल्कि चांदनी चौक में रेहड़ी-पटरी लगाने वाले बच्चन मिश्रा और राम मनोहर वर्मा समेत दिल्ली-एनसीआर के हजारों लोगों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना खुशी लेकर आई है। जो प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से न सिर्फ स्वावलंबी बने, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान भी मिल रहा है।
क्या है प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना?
कोरोना महामारी के दौरान जब रेहड़ी-पटरी वालों की आर्थिक स्थिति खराब हुई थी, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शहरी विकास मंत्रालय के तहत यह योजना शुरू की गई, जिसके तहत बिना किसी गारंटी के 10 हजार रुपये का लोन मुहैया कराया जाने लगा।लोन समय पर चुकाने या डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने पर कैश बैक की सुविधा भी है। लोन समय पर चुकाने पर आगे क्रमश: 25 और 50 हजार रुपये का लोन और लिया जा सकता है।
डिजिटल साक्षरता के अग्रदूत बने
विश्व में हर ओर भारत में डिजिटल क्रांति का डंका बज रहा है। जी-20 सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के राजनयिक यह देखकर अचंभित थे कि यहां के रेहड़ी-पटरी वाले भी नकद रहित डिजिटल लेनदेन करते हैं, जो विकसित राष्ट्रों में भी नहीं होता है।यह इसलिए क्योंकि पीएम स्वनिधि योजना का एक लक्ष्य डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना भी था। इसके लिए जिनके बैंक खाते नहीं थे, उनका बैंक खाता खोला गया। उन्हें मुद्रा योजना से जोड़ा गया। इसके साथ ही उन्हें डिजिटल लेनदेन के लिए यंत्र लगाने पर भी जोर दिया गया।
खाते में सीधे पहुंचते हैं रुपये
चांदनी चौक के रेहड़ी-पटरी संचालक मुकेश कुमार कहते हैं कि यह हम लोगों के लिए क्रांतिकारी परिणाम देने वाला साबित हुआ, क्योंकि इसके माध्यम से न सिर्फ उनके खाते में सीधे पैसे चले जाते हैं बल्कि बैंक से किस्त भी स्वत: कट जाती है।बैंक लोन कब चुकता हो गया, पता भी नहीं चला। अगर बैंक जाकर किस्त जमा करनी होती, तो शायद तस्वीर दूसरी होती। दिल्ली में ही 1,78,682 लाभार्थियों में 1,11,262 स्वनिधि लाभार्थी सक्रिय रूप से डिजिटल लेनदेन करते हैं। जिन्हें डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 3.41 करोड़ रुपये कैशबैक और अन्य मदों में दिए गए हैं।
लाभार्थियों में 71 प्रतिशत सामान्य वर्ग से हैं
दिल्ली में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के लाभार्थियों में 71 प्रतिशत लोग सामान्य वर्ग से हैं। इसके साथ अनुसूचित जाति 14 और अन्य पिछड़ा वर्ग से 11 प्रतिशत लाभार्थी हैं।
कुछ बैंक से लोन मिलने में आती है परेशानी
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत बिना किसी गारंटी के लोन देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन रेहड़ी-पटरी वालों की शिकायत है कि कुछ बैंक स्वीकृति के बावजूद लोन देने में आनाकानी करते हैं।
उन्हें चक्कर कटवाते रहते हैं, क्योंकि 10 हजार रुपये की लोन प्रक्रिया में उतना ही समय लगता है, जितना की लाखों रुपये के लोन देने में। लोगों का कहना है कि अगर बैंक लोन देने में उदार होते, तो लाभांवितों की संख्या कहीं अधिक होती।
एमसीडी ने दिया सर्वाधिक लाभ
विशेष बात है कि दिल्ली के तीनों निकायों में एमसीडी ने सर्वाधिक लाभ दिया है। एमसीडी ने 2,33,844 आवेदनों को स्वीकृति दी, जबकि, 1,78,682 लोग लाभांवित हुए हैं। जबकि एनडीएमसी क्षेत्र में लाभांवितों की संख्या 904 ही है, जिसमें से 838 के लोन चुका दिया है।
दिल्ली में 1.78 लाख से अधिक स्वनिधि योजना के लाभार्थी
योजना के लागू होने के करीब साढ़े तीन वर्षों में इसके 1.78 लाख से अधिक लाभार्थी हैं। वैसे, इसके लिए 3,71,334 लोगों ने निकाय के माध्यम से आवेदन किया था, जिसमें से 3,48,465 आवेदन सही माने गए, जबकि 21,903 आवेदन मानकों पर खरे नहीं उतरने पर निरस्त कर दिए गए।सही आवेदनों में से भी 2,33,844 आवेदनों को स्वीकृत किया गया। जिसमें से 2,06,948 आवेदकों को 276.23 करोड़ रुपये का लोन दिया गया। इस योजना से 1,78,682 लोग लाभांवित हुए। इनमें से 49,168 लोगों ने लोन लौटाया है।
गुरुग्राम में 10 हजार से अधिक लाभार्थी
गुरुग्राम में 22,246 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 11,545 आवेदकों को 13.48 करोड़ रुपये जारी किए गए। यह लाभ 10,162 आवेदकों को मिला है। विशेष बात कि इसमें 2,226 लाभार्थियों ने बैंक लोन का भुगतान भी कर दिया है।
गाजियाबाद में पिछड़ा वर्ग से 49 और 44 प्रतिशत महिलाएं लाभार्थी
गाजियाबाद में 49 प्रतिशत लाभार्थी पिछड़ा वर्ग से हैं, जबकि कुल लाभार्थियों में 44 प्रतिशत महिलाएं हैं। लाभार्थियों की संख्या 55,767 है, जिनके लिए स्वीकृत 110.37 करोड़ रुपये में से 107.68 करोड़ रुपये कर दिए गए हैं।
महिलाएं बन रही हैं सशक्त
विशेष रूप से महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली में कुल लाभार्थियों में से 34 प्रतिशत महिलाएं हैं।
फरीदाबाद में 21 हजार लोगों को मिला योजना का लाभ
फरीदाबाद में 21,064 लाभार्थी हैं। जिनके लिए स्वीकृत 33.26 करोड़ रुपये में से 26.61 करोड़ रुपये जारी भी कर दिए गए हैं। उसमें से 3,849 लाभार्थियों ने लोन का भुगतान कर दिया हैं।
नोएडा में योजना के लाभार्थियों की औसत आयु 42 वर्ष
नोएडा में लाभार्थियों की औसत आयु 42 वर्ष है, जबकि एक आवेदन स्वीकृत होने में औसतन 27 दिन लग रहे हैं। लाभार्थियों की संख्या 742 है।
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