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300 किलोमीटर दूर जयपुर में बैठे अरविंद केजरीवाल से क्यों डरा विपक्ष, पढ़िये- पूरी स्टोरी

अरविंद केजरीवाल की साधना को लेकर विपक्ष चिंतित है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि जब-जब अरविंद केजरीवाल साधना कर वापस लौटे हैं वह और अधिक आक्रामक हुए हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि इस बार भी उनका रुख कुछ ऐसा ही रह सकता है।

By Jp YadavEdited By: Updated: Mon, 06 Sep 2021 11:38 AM (IST)
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राजस्थान में साधना में लीन हैं अरविंद केजरीवाल, पढ़िये- आखिर क्यों विपक्षी दलों को लग रहा है डर?

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जयपुर स्थित विपश्यना केंद्र में साधना कर रहे हैं। माना जा रहा है कि नजदीक आ रहे दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम चुनाव में होने वाली भागदौड़ को देखते हुए अपने को वह फिट कर रहे हैं। इस बीच उनकी साधना को लेकर विपक्ष चिंतित है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि जब-जब अरविंद केजरीवाल साधना कर वापस लौटे हैं, वह और अधिक आक्रामक हुए हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि इस बार भी उनका रुख कुछ ऐसा ही रह सकता है। यहां सबसे बड़ा मुद्दा आम आदमी पार्टी का दिल्ली नगर निगम चुनाव के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व गोवा आदि में बेहतर ढंग से चुनाव लड़ने का है। AAP सत्ता में काबिज होने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में विपक्षी दल आप को हर मोर्चे पर घेर रहे हैं। विपश्यना को लेकर बयानबाजी को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है।

सवाल उठाने के बजाय खुद को करें मजबूत

दिल्ली कांग्रेस की सियासत भी अजीब रूप ले चुकी है। खुद कुछ करना नहीं और दूसरा करे तो उस पर आपत्ति करते रहो। नगर निगम चुनावों के मद्देनजर जनता के बीच जाने की सर्वाधिक जरूरत कांग्रेस को ही है, लेकिन जन आशीर्वाद और तिरंगा यात्र के जरिये भाजपा और आप दोनों को समर्थकों और कार्यकर्ताओं दोनों से जुड़ने व उन्हें एकजुट करने का अवसर भी मिलता रहा। लेकिन, कांग्रेस जब तब प्रेस वार्ता कर इन सियासी यात्रओं पर भी सवाल खड़े करती रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब केंद्र की भाजपा और दिल्ली की आप सरकार पिछले सात सालों में हर मोर्चे पर नाकाम रही है तो फिर जनता उन्हें आशीर्वाद क्यों दे? सवाल तार्किक है, लेकिन आशीर्वाद दिया जाए या नहीं, यह फैसला जनता पर छोड़ देना चाहिए। कांग्रेस को चाहिए कि दूसरों को कमजोर करने की नहीं बल्कि खुद को मजबूत करने की कोशिश करे।

प्रदर्शनी के बहाने मिले पुराने कांग्रेसी

भारतीय युवा कांग्रेस (आइवाइसी) ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के जीवन चरित पर फोटो प्रदर्शनी लगाई तो इसे सियासी गलियारों में भी खासा पसंद किया गया। प्रदर्शनी में राजीव के जन्म, बचपन, युवावस्था, विवाह, राजनीतिक जीवन और अंत सफर तक की कहानी बखूबी बयां की गई। इसे देखने के लिए नेता-कार्यकर्ता ही नहीं, स्कूल-कालेजों के छात्र-छात्रएं भी बड़ी संख्या में पहुंचे। कोई पूर्व प्रधानमंत्री के चित्रों संग सेल्फी लेता नजर आया, कोई आइवाइसी अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के साथ। यह प्रदर्शनी दिल्ली कांग्रेस के पुराने नेताओं के आपस में मिलने का बहाना भी बनी। जो नेता लंबे अरसे से पार्टी पालिटिक्स से दूरी बनाकर चल रहे थे, वे भी प्रदर्शनी देखने के बहाने पहुंचे। आपस में मिले तो देर तक बतियाते हुए नजर आए। दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली और प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र कोचर ने तो इस आयोजन के लिए श्रीनिवास का खासतौर पर अभिनंदन भी किया।

पाला बदलने को तैयार बैठे नेता

कुछ लोगों को सत्ता में बने रहने की कला आती है। ऐसे लोगों की कोई विचारधारा नही होती है। ये जिस भी दल के साथ होते हैं विपक्षी दल पर निशाना साधते हैं। यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि प्रमुख दलों में कुछ ऐसे नेता भी अब शामिल हो चुके हैं, जो कुछ माह पहले तक इन दलों के शीर्ष नेताओं को ही पानी पी-पीकर कर कोस रहे थे। अब वे इन पार्टियों में अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के कई नेता पाला बदलने के लिए तैयार बैठे हैं। भाजपा के कुछ पार्षद अपनी गोटी फिट करने के लिए विपक्षी दल से संपर्क तक कर चुके हैं। बस उन्हें इंतजार है नगर निगम चुनाव का। अगर उन्हें अपनी पार्टी की तरफ से टिकट नहीं दिया जाता है तो वे दूसरी पार्टी में शामिल होने में बिल्कुल देर नहीं लगाएंगे। 

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