ऐसे मोहल्ला क्लीनिक का क्या मतलब जब महामारी में इसका इस्तेमाल नहीं : हाई कोर्ट
कोरोना से लड़ने के लिए क्लीनिक के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त नहीं होने की दिल्ली सरकार की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति की पीठ ने कहा कि अगर आपने मूलभूत ढांचा बनाया है और इस्तेमाल नहीं कर सकते तो फिर इसका क्या मतलब है।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Tue, 04 May 2021 10:26 PM (IST)
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी] कोरोना महामारी से लड़ने के लिए क्लीनिक के इस्तेमाल के लिए पर्याप्त नहीं होने की दिल्ली सरकार की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि अगर आपने मूलभूत ढांचा बनाया है और हम इसका इस्तेमाल महामारी में नहीं कर सकते तो फिर इसका क्या मतलब है। पीठ ने कहा कि कोरोना एक समृद्ध समाज का प्रतीक नहीं है और ये माेहल्ला क्लीनिक जाने वाले को भी हाे सकता है। दिल्ली सरकार को इस पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
पीठ ने टिप्पणी तब की जब सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता जी तुषार राव ने एक बार फिर मोहल्ला क्लीनिक के इस्तेमाल का मामला उठाया। तुषार राव का केंद्र सरकार के एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने समर्थन करते हुए कहा कि मोहल्ला क्लीनिक को पूरी तरह से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक सही प्लेटफार्म है और महत्वपूर्ण स्रोत है।
दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि दिल्ली में कुल 450 मोहल्ला क्लीनिक हैं। यहां पर जगह कम है और वेटिंग एरिया नहीं है। इतना ही नहीं वहां पर शारीरिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो सकता है और बड़ी जगह वाले मोहल्ला क्लीनिक में कोरोना की जांच की व्यवस्था की गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कम संसाधनों के साथ चलने वाले मोहल्ला क्लीनिक का इस्तेमाल इस तरह की बीमारी के इलाज के लिए करना संभव नहीं है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार मोहल्ला क्लीनिक की उपयोगता को समझ रहा है तो दिल्ली सरकार केंद्र के साथ मिलकर इसकी एक योजना तैयार करेंगें। पीठ ने पूछा कि वहां पर किस तरह के टेस्ट होते हैं। इस पर मेहरा ने कहा कि वे दिल्ली सरकार से लेकर पीठ को अवगत कराएंगे।
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