UP: पैसे मांगे तो बीवी को मिला 'Triple talaq', अब पीएम से शिकायत की तैयारी
घर के खर्च के लिए रूपये मांगना एक विवाहिता को भारी पड़ गया। नाराज पति ने पहले तो पत्नी के साथ मारपीट की। इसके बाद मामले को सुलझाने में लगी पंचायत में उसे तीन तलाक बोल दिया।
गाजियाबाद, जेएनएन। कुरान में तलाक के मामले में इतनी बंदिशें लगाईं गई हैं कि अपनी बीवी को तलाक देने के पहले मर्दों को सौ बार सोचना पड़े, लेकिन इसका असर समाज में कम ही दिखाई देता है। ताजा मामला दिल्ली से सटे गाजियाबाद का है। जिले के मसूरी इलाके में घर के खर्च के लिए रुपये मांगने पर एक विवाहिता को उसके पति ने तीन तलाक दे दिया। नाराज पति ने पहले तो पत्नी के साथ मारपीट की। इसके बाद मामले को सुलझाने में लगी पंचायत में उसे सरेआम तीन तलाक बोल दिया, जिसको लेकर महिला का वीडियो भी वायरल हुआ है। वहीं पुलिस मामले को आपसी विवाद बताकर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है। साथ ही तीन तलाक के मामले से जुड़े होने से इनकार किया है।
मसूरी थानाक्षेत्र के डासना इलाके में मंगलवार सुबह आफताब कालोनी में रहने वाली एक महिला ने पति से घर के खर्च के लिए पैसे मांगे थे। जिस पर पति इतना आग बबूला हो गया कि उसने पत्नी के साथ मारपीट कर दी। मामला बढ़ा तो महिला के मायके वाले भी आ गए।
मामले को सुलझाने के लिए पंचायत बैठ गई। लेकिन पंचायत में मामला सुलझने की बजाय तब और उलझ गया जब पति ने महिला को तीन तलाक बोल दिया। इधर विवाद की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को थाने ले आई। पीड़िता का इस मामले में एक वीडियो वायरल हुआ है। पीड़िता का कहना है कि इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करेंगी।
वहीं इस मामले में थाना प्रभारी मसूरी ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि पति-पत्नी के बीच का आपसी विवाद है। डायल 100 पर सूचना आई थी। जिस पर फोर्स मौके पर गई थी और दोनों पक्षों को थाने ले आई थी। दोनों पक्षों की ओर से कोई तहरीर नहीं दी गई। तीन तलाक जैसा कोई मामला नहीं है।
गौरतलब है कि लोकसभा से पारित होने के बाद तीन तलाक से जुड़ा विधेयक अब राज्यसभा की देहरी पर है। विधेयक में तीन तलाक देने को अपराध बना दिया गया है जिसके लिए तीन साल की कैद के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही, पीड़ित महिला अदालत से भरण-पोषण का दावा भी कर सकती है।
यहां पर बता दें कि पिछले साल अगस्त में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर रोक लगा दी थी। मोदी सरकार का कहना है कि कानून के बगैर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करना मुश्किल है, इसलिए यह विधेयक लाया गया है। वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) विरोध कर रहा है। लेफ्ट, तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी समेत विपक्ष का एक बड़ा तबका भी इसके विरोध में है। पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि यह मजहब का मामला है जिसमें बाहरी दखल नहीं होना चाहिए।
यह भी गौर करने वाली बात है कि तकरीबन 22 मुस्लिम देश, जिनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं, अपने यहां सीधे-सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से तीन बार तलाक की प्रथा खत्म कर चुके हैं।