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Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय को हाईकोर्ट ने क्यों लगाई फटकार? पढ़ें क्या है पूरा मामला

DU News दिल्ली विश्वविद्यालय को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। सेंट स्टीफंस कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रमों में कुछ छात्रों के एडमिशन की पुष्टि करने में असफल रहने पर डीयू को लताड़ा है। कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि डीयू प्रशासन जानबूझकर अदालत के निर्देशों के कार्यान्वयन को रोकने के मामले में दोषी है। लेख के माध्यम से पढ़ें अदालत ने और क्या-क्या कहा।

By Vineet Tripathi Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 09 Oct 2024 11:29 AM (IST)
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Delhi News: छात्रों के प्रवेश की पुष्टि करने में विफल रहने पर डीयू को हाईकोर्ट ने फटकारा
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सेंट स्टीफंस कॉलेज (St Stephen's College) में स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में कुछ छात्रों के प्रवेश की पुष्टि करने में विफल रहने पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को फटकार लगाई है।

न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने डीयू के रजिस्ट्रार और डीन एडमिशन को 15 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होकर बताने को कहा है कि उन्हें कानून के तहत दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

 प्रशासन अदालत के निर्देशों के कार्यान्वयन को रोकने का दोषी-कोर्ट

पीठ ने कहा कि डीयू प्रशासन जानबूझकर इस अदालत के निर्देशों के कार्यान्वयन को रोकने का दोषी है। पीठ ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारी छात्रों के जीवन की कीमत पर कॉलेज प्रबंधन के साथ अपने व्यक्तिगत झगड़े सुलझा रहे थे।

पीठ ने उक्त तथ्यों को रिकार्ड पर लेते हुए कहा कि बिना किसी हिचकिचाहट के अदालत की राय है कि डीयू के संबंधित अधिकारी सेंट स्टीफेंस के प्रबंधन के साथ अपनी व्यक्तिगत शिकायतें सुलझाते समय वास्तव में छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

अन्य कॉलेजों की तुलना में काफी कम पीजी सीटें मिली-सेंट स्टीफेंस

अदालत ने उक्त टिप्पणी पीजी पाठ्यक्रमों में सीट आवंटन के संबंध में एकल-पीठ द्वारा पारित निर्देशों के गैर-अनुपालन पर कॉलेज द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए की। सेंट स्टीफेंस का आरोप है कि उसे अन्य कॉलेजों की तुलना में काफी कम संख्या में पीजी सीटें आवंटित की गई हैं।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से संबंधित उम्मीदवारों की सूची पर डीयू द्वारा विचार नहीं किया गया है और उन्हें विभिन्न पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं दिया गया है।

इस तरह की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करते देखना निराशाजनक-HC

कोर्ट ने पाया कि कॉलेज ने जुलाई में चयनित छात्रों की सूची डीयू को भेजी थी और उसके बाद उन्हें पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए बार-बार संचार किया। पीठ ने कहा कि दो महीने बीत चुके हैं और विभिन्न पीजी पाठ्यक्रमों के सत्र पहले ही शुरू हो चुके हैं, जिससे छात्रों को यूजीसी शिक्षण दिनों की आवश्यकता को पूरा नहीं करने का जोखिम है।

पीठ ने यह भी माना कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद सेंट स्टीफंस में पीजी पाठ्यक्रमों में सीटों का आवंटन पिछले वर्षों की तुलना में कम कर दिया गया है।

अदालत ने नोट किया कि डीयू ने अभी तक विभिन्न कॉलेजों के बीच पीजी पाठ्यक्रमों में सीटों के आवंटन को नियंत्रित करने के लिए कोई नीति या दिशा-निर्देश तैयार नहीं किया है। ऐसे में अत्यधिक देरी से चयनित छात्रों को अपूरणीय क्षति होगी। पीठ ने कहा कि प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को इस तरह की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करते देखना निराशाजनक है।

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