आखिर क्यों दिल्ली में पूरे साल बना रहता है प्रदूषण का उच्च स्तर? सुनीता नारायण ने दो प्रमुख कारक को बताया जिम्मेदार
इस सर्दी में दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा नहीं हुई। वर्षा की कमी पश्चिमी विक्षोभ को प्रभावित करने वाले आर्कटिक जेट स्ट्रीम में बदलाव के कारण है जो अधिक अनियमित हो रही है और उत्तर की ओर बढ़ रही है। इसके कारण पहाड़ों पर कम बर्फबारी हुई और दिल्ली में कम बारिश हुई जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर बढ़ गया।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर वर्ष भर बढ़ा हुआ रहने के लिए सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने दो प्रमुख कारक बताए हैं। बिगड़ती मौसम की स्थिति, जो मानव नियंत्रण से परे है, और संकट से निपटने की धीमी रफ्तार।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि इस सर्दी में दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा नहीं हुई। वर्षा की कमी पश्चिमी विक्षोभ को प्रभावित करने वाले आर्कटिक जेट स्ट्रीम में बदलाव के कारण है, जो अधिक अनियमित हो रही है और उत्तर की ओर बढ़ रही है। इसके कारण पहाड़ों पर कम बर्फबारी हुई और दिल्ली में कम बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर बढ़ गया।
दिल्ली में बिजली उत्पादन के लिए गैस का उपयोग
उन्होंने कहा, "दूसरी बात 2021 तक की गई सभी कार्रवाईयों के बाद, हम उस गति से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जो संकट से निपटने के लिए आवश्यक है।" उन्होंने कहा, "दिल्ली ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला देश का एकमात्र शहर है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। दिल्ली ने अपना आखिरी कोयला आधारित बिजली संयंत्र बंद कर दिया और बिजली उत्पादन के लिए गैस का उपयोग शुरू कर दिया।प्राकृतिक गैस के उपयोग को प्रोत्साहन
नारायण के मुताबिक प्राकृतिक गैस के उपयोग को प्रोत्साहित करने के भी प्रयास किए गए हैं। दिल्ली में गैस पर शून्य वैट है और प्राकृतिक गैस अब शहर भर के औद्योगिक क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इन पहलों से सामूहिक रूप से प्रदूषण के स्तर में साल-दर-साल कमी आई है।
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