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भारत-पाकिस्तान में इस वजह से बढ़ रहा लू का कहर, आने वाले वर्षों में क्यों चिंताजनक मान रहे जलवायु विशेषज्ञ

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग (Climate Change and Global Warming) के चलते आने वाले वर्षों में लू का प्रकोप तेजी से बढ़ेगा। इसका असर भी भारत और पाकिस्तान में ज्यादा होगा। अरब सागर की बढ़ती गर्मी से पांच-सात साल में ही लू का कहर 30 प्रतिशत तक बढ़ जाने की संभावना है। चिंताजनक यह है कि इस स्थिति में करीब-करीब हर क्षेत्र प्रभावित होगा।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 29 May 2024 10:34 PM (IST)
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भारत-पाकिस्तान में इस वजह से बढ़ रहा लू का कहर। फोटो- AFP

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग (Climate Change and Global Warming) के चलते आने वाले वर्षों में लू का प्रकोप तेजी से बढ़ेगा। इसका असर भी भारत और पाकिस्तान में ज्यादा होगा। अरब सागर की बढ़ती गर्मी से पांच-सात साल में ही लू का कहर 30 प्रतिशत तक बढ़ जाने की संभावना है। चिंताजनक यह है कि इस स्थिति में करीब-करीब हर क्षेत्र प्रभावित होगा। जलवायु विशेषज्ञों ने इस सच्चाई को स्वीकारते हुए इससे बचाव के उपाय करने पर भी जोर दिया है।

मौसम विभाग की सहयोगी संस्था इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ ट्रॉपिकल मीट्रियोलॉजी (आईआईटीएम) पुणे के जलवायु विशेषज्ञ प्रो. राक्सी मैथ्यू कौल ने कहा कि भारत से सटे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में ही तेजी से तापमान बढ़ रहा है। हालांकि हिंद महासागर में भी तापमान में वृद्धि हो रही है, लेकिन इन दोनों की अपेक्षा कम तेजी से। राक्सी कहते हैं कि यहां से चल रही गर्म हवाएं भारत और पाकिस्तान को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी।

महासागर-धरती दोनों का बढ़ रहा तापमान

वहीं, आईआईटी गांधीनगर भी इस मुददे पर अध्ययन भी कर रहा है। यहां के प्रो. विमल मिश्रा ने बताया कि महासागरों का ही नहीं, बल्कि धरती के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि दक्षिण एशिया में मुख्य रूप से तीन हॉटस्पॉट भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश हैं। लेकिन बांग्लादेश तटीय क्षेत्र में आ जाता है।

आबादी बढ़ना और जंगलों का कम होना भी वजह

लिहाजा, भारत और पाकिस्तान पर ही अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली गर्म हवाओं का असर ज्यादा होता है। उन्होंने आगे बताया कि आबादी का बढ़ना और हरित क्षेत्र का कम होना भी लू बढ़ने का कारण है।

बिजली, पानी, स्वास्थ्य से लेकर हर क्षेत्र में पड़ेगा असर

प्रो. मिश्रा के मुताबिक जब लू के दिन बढ़ेंगे, इसका कहर अधिक होगा तो इसका असर फिर लगभग हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा। बिजली-पानी की मांग, कृषि क्षेत्र में सिंचाई, स्वास्थ्य और श्रम उत्पादकता इत्यादि हर व्यवस्था प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर 1.2 डिग्री तापमान पहले ही बढ़ चुका है। अगले कुछ साल में इसके डेढ़ डिग्री तक पहुंच जाने के आसार हैं। उस स्थिति में समस्याएं और विकट होने वाली हैं।

लू के बढ़ते कहर से बचने के लिए क्या किया जाए

उपयोगी एवं कारगर हीट एक्शन प्लान बनाए जाएं।

संवेदनशील जिलों के लिए जलवायु अनुकूलन के उपाय किए जाएं।

भूजल स्तर का संरक्षण करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।

कमोबेश हर स्तर पर जलवायु अनुकूलन के प्रयास किए जाएं।

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