Move to Jagran APP

Delhi Pollution: आखिर ई-बसें चलने के बाद भी दिल्ली में क्यों नहीं घट रहा प्रदूषण? CSE के रिसर्च में आया सामने

दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान सिर्फ ई-बसों की संख्या बढ़ाने से नहीं होगा। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की एक अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में बसों की संख्या कम है और इनमें चलने वाले यात्रियों की संख्या भी घट रही है। सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के लिए सड़कों की रीडिजाइनिंग और लास्ट माइल कनेक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत है।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 07 Nov 2024 09:33 PM (IST)
Hero Image
आखिर ई-बसें चलने के बाद भी दिल्ली में क्यों नहीं घट रहा प्रदूषण?
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देश की राजधानी में इस समय इलेक्ट्रिक बसों की संख्या सर्वाधिक लगभग 1970 है। लेकिन फिर भी यहां का वायु प्रदूषण नहीं घट रहा। वजह, जरूरी है इन बसों में यात्रियों की संख्या का भी बढ़ना। जब तक निजी वाहन छोड़ सार्वजनिक परिवहन सेवा पर भरोसा नहीं कर पाएंगे, प्रदूषण की स्थिति में बदलाव भी नहीं आ पाएगा।

सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दस हजार बसें होने की बात कही थी। लेकिन आज 26 साल के बाद भी इनकी संख्या 7,683 ही है। केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक प्रति एक लाख लोगों के लिए 60 बसें होनी चाहिए, लेकिन दिल्ली में 45 बसें ही उपलब्ध हैं।

49.33 प्रतिशत लोग कार, ऑटो और दोपहिया वाहनों के सहारे

रिपोर्ट बताती है कि बसें ताे कम हैं ही, इनमें चलने वाले यात्रियों की संख्या भी घट रही है। कोरोना काल से पहले की तुलना में डीटीसी के यात्री 25 प्रतिशत और कलस्टर बसों के यात्री सात प्रतिशत तक घट गए हैं। लचर सेवा, अव्यवहारिक रूट, सड़कों पर रहने वाला जाम, जहां तहां हो जाने वाले ब्रेकडाउन और बसों की विलंबित फ्रीक्वेंसी यात्रियों का भरोसा नहीं बढ़ा पा रही। रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी, कलस्टर बसों और मेट्रो में सिर्फ 50.77 प्रतिशत यात्री सवारी कर रहे हैं। 49.33 प्रतिशत अब भी कार, ऑटो और दोपहिया वाहनों के सहारे हैं।

कुछ अन्य देशों में प्रति एक लाख की आबादी पर उपलब्ध बसें

देश बसें
लंदन 90
हांगकांग 80
शंघाई 69
सियोल 72

पिछले कुछ सालों में कितने बढ़े ब्रेकडाउन

वर्ष ब्रेकडाउन
2018-19 781
2021-22 807
2022-23 1259

रिपोर्ट के कुछ अन्य अहम बिंदु

  • दिल्ली की 57 प्रतिशत आबादी के लिए पांच मिनट की दूरी तय करने पर बस स्टाप उपलब्ध
  • 0.09 प्रतिशत यात्रियों को बस के लिए करना पड़ता है 10 मिनट का इंतजार
  • 50 प्रतिशत यात्रियों को बस के लिए करना पड़ता है 15 मिनट का इंतजार

ई-बसें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अच्छा प्रयास है, लेकिन इन्हें लाने का मकसद तभी सफल हो सकेगा, जब लाेग निजी वाहनों पर निर्भरता छोड़ इनमें सवारी भी करें। ऐसे में सार्वजनिक परिवहन मजबूत करने के लिए सड़कों की रीडिजाइनिंग और लास्ट माइल कनेक्टिवटी बढ़ाने के साथ- साथ बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने व यात्रियों का भरोसा भी जीतने की जरूरत है। -सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई

दिल्ली सरकार का पक्ष

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना एक बड़ा मुद्दा है, ताकि लोग निजी वाहन सड़कों पर ना निकालें। इसे देखते हुए पर्यावरण विभाग ने सभी विभागों की बैठक में बसों के फेरे बढ़ाने की सलाह दी है। बसों के फेरे बढ़ाए भी गए हैं एवं उनकी फ्रीक्वेंसी में भी सुधार किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- AI वकील का जवाब सुन मुस्कुरा उठे CJI चंद्रचूड़, बस इतना ही पूछा था- क्या भारत में मौत की सजा संवैधानिक है?

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।