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चिड़ियाघर में सामने खड़े युवक को आखिर शेर ने क्यों नहीं खाया, स्टोरी में जानिए वजह

सुंदरम को दो बजे खाना दिया जाता है। घटना के वक्त वह खाने का इंतजार कर रहा था। यदि रेहान को निकालने में कुछ समय की देरी हो जाती तो शेर हमला कर सकता था।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 18 Oct 2019 02:36 PM (IST)
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चिड़ियाघर में सामने खड़े युवक को आखिर शेर ने क्यों नहीं खाया, स्टोरी में जानिए वजह
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी दिल्ली के चिड़ियाघर में गुरुवार को रेहान जिस समय बाड़े में कूदा, उस समय शेर भूखा था। चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिदिन सुंदरम को दो बजे खाना दिया जाता है। घटना के वक्त वह खाने का इंतजार कर रहा था। यदि रेहान को निकालने में कुछ समय की देरी हो जाती तो शेर हमला कर सकता था। शेर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अपने शिकार पर वार कर सकता है। एक ही वार घातक होता है।

शेर सुंदरम के बाड़े में रेहान के कूदने के बाद चंद मिनट में लोगों की अच्छी-खासी भीड़ जुट गई थी। जानकारी मिलते ही लोग बाड़े के पास पहुंच रहे थे। हर किसी की निगाह शेर के सामने जिंदगी व मौत के एक फासले पर खड़े युवक पर थी। लोग फोटो खींच रहे थे, वीडियो बना रहे थे। कुछ लोग चिल्ला चिल्लाकर युवक को बाड़े से निकलने के लिए कह रहे थे, लेकिन युवक किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था।

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना

दिल्ली के चिड़ियाघर में यह पहला मामला नहीं है जब कोई युवक शेर के बाड़े में पहुंचा है। करीब डेढ़ माह पहले इसी बाड़े में एक युवक शेर का निवाला बनने पहुंचा था। वह बाड़े की दीवार पर लटक गया था, जिसे वहां मौजूद गार्ड ने पकड़ लिया था। वहीं, वर्ष 2014 में बाघ विजय के बाड़े में मकसूद नाम का व्यक्ति कूद गया था, जिसकी मौत हो गई थी। वहीं, कुछ इसी तरह की घटना जनवरी में पंजाब के छतबीड़ चिड़ियाघर में हुई थी, जहां एक युवक ने शेर के बाड़े में छलांग लगा दी थी। शेर ने उसे मार दिया था।

शेरों के मुकाबले बाघ होते हैं ज्यादा उग्र

विशेषज्ञों की मानें तो शेरों के मुकाबले बाघ ज्यादा उग्र होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शेर आलसी होते हैं और तब तक कुछ नहीं करते, जब तक उन्हें किसी तरह की जरूरत नहीं होती है। शेर ज्यादातर समूह में रहना पसंद करते हैं। समूह के लिए मादा शेरनी शिकार करती है। बाघ शिकार करना पसंद करते हैं। वे अपना शिकार खुद करते हैं। शेर, बाघ व तेंदुआ आमतौर पर तब हमला करते हैं जब मादा अपने बच्चों के साथ हो, अपने क्षेत्र में किसी व्यक्ति के दखल देने की स्थिति में या वह आदमखोर है। यदि ऐसे जीव सामने हों तो घूरने के बजाय सहज भाव से देखें। भागने पर शिकार समझ लेगा और बैठने पर दूसरा जानवर समङोगा। बेहतर है कि उसे देखते हुए बगैर मुड़े पीछे की ओर धीरे-धीरे बढ़ें। यही वजह है कि सुन्दरवन में जाने वाले स्थानीय ग्रामीण सिर के पीछे मुखौटा लगाते हैं।

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