कोविन एप को लेकर ट्रांसजेंडर समुदाय क्यों हैं नाराज, सीमित विकल्प बन रहा समस्या
सौम्या एक और दिक्कत पर ध्यान दिलाते हुए कहती हैं कि कई ऐसे लोग भी हैं जो पहले पुरुष या महिला थे और बाद में ट्रांसजेंडर बन गए लेकिन आधार कार्ड में पहचान नहीं बदली है। ऐसे में उन्हें कोविन एप पर विकल्प भरने में समस्या आ रही है।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Wed, 26 May 2021 01:13 PM (IST)
नई दिल्ली, [रीतिका मिश्रा]। कोरोना महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण अभियान चल रहा है। इसके लिए लोग कोविन एप पर पंजीकरण करा रहे हैं। लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय इस पंजीकरण एप में खुद को 'पहचान' न मिलने से निराश है। उन्हें कोविन एप में 'अन्य' की श्रेणी में रखा गया है। दरअसल, पंजीकरण कराते समय इस एप पर महिला और पुरुष के अलग-अलग कालम के साथ तीसरा कालम अन्य का है। इस विकल्प को ट्रांसजेंडर अपना रहे हैं।
भावनात्मक तौर पर पहुंची आहत दिल्ली की रहने वाली ट्रांसजेंडर सौम्या कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 'थर्ड जेंडर' के नाम से अलग से पहचान दी है। फिर भी कोरोना के पंजीकरण में 'अन्य' का विकल्प है। इससे वे लोग भावनात्मक तौर पर आहत हैं, क्योंकि इससे कमतर और हीनता की भावना पैदा होती है। वह मांग करती हैं कि इसमें अन्य की जगह 'ट्रांसजेंडर' का तीसरा विकल्प देकर उन लोगों को महिला व पुरुष के बराबर का दर्जा दिया जाना चाहिए। इसी तरह सौम्या एक और दिक्कत पर ध्यान दिलाते हुए कहती हैं कि कई ऐसे लोग भी हैं जो पहले पुरुष या महिला थे और बाद में ट्रांसजेंडर बन गए, लेकिन आधार कार्ड में पहचान नहीं बदली है। ऐसे में उन्हें कोविन एप पर विकल्प भरने में समस्या आ रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जागरूकता और टीकाकरण ही सबसे आवश्यक है। किन्नर समाज को भी टीका लगवाने के लिए अब तक किसी सामाजिक संस्था या सरकार ने पहल नहीं की है। वहीं, दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर में किन्नर समाज के लोगों और सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को जिलाधिकारी को पत्र लिख कर इनके लिए अलग से टीकाकरण केंद्र बनाने की मांग की है। उन्होंने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में किन्नरों के लिए अलग से टीकाकरण शिविर लगाने की अपील की है।
उधर उरूज हुसैन का कहना है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के साथ दिल्ली, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवन और सोनीपत में हजारों की संख्या में किन्नर रहते हैं। ज्यादा लोग इनके प्रति जागरूक नहीं हैं, इसलिए वहां तक नहीं पहुंच पाते और जो लोग मुश्किल से पता कर वहां जाते भी हैं तो अधिकतर किन्नर को देखकर कुछ असुविधा महसूस करते हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि उनके लिए अलग से केंद्र बनाए जाएं, ताकि वह भी टीकाकरण अभियान का हिस्सा बन सकें।
उरूज बताती हैं कि जिले में करीब दो हजार किन्नर होंगे। एनजीओ की मदद से वह अबतक जिला अस्पताल में 20 लोगों को ही टीका लगवा पाए हैं। जरूरी है कि दिल्ली के साथ इससे सटे शहरों में किन्नरों के लिए अलग से कैंप लगाकर कोरोना का टीका लगवाया जाएगा।
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