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विकिपीडिया को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- बदनाम करने का मुखौटा नहीं हो सकती प्रणाली

Delhi News विकिपीडिया पर मानहानिकारक संपादन करने वाले उपयोगकर्ताओं की जानकारी के प्रकटीकरण का विरोध करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि विकिपीडिया की प्रणाली किसी को बदनाम करने का मुखौटा नहीं हो सकती। इस तरह के रुख से विकिपीडिया सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत अपनी मध्यस्थ सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Mon, 14 Oct 2024 03:28 PM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया पर सख्त टिप्पणी की। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi News एक समाचार एजेंसी की अवमानना मामले में एकल पीठ के निर्देश के विरुद्ध अपील याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने विकिपीडिया पर सख्त टिप्पणी की।

समाचार एजेंसी के विकिपीडिया पृष्ट पर मानहानिकारक संपादन करने वाले उपयोगकर्ताओं की जानकारी के प्रकटीकरण का विरोध करने पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में गंभीर आरोप हैं।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि विकिपीडिया की प्रणाली किसी को बदनाम करने का मुखौटा नहीं हो सकती। पीठ ने कहा कि विकिपीडिया इस तरह का रुख अपनाकर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत अपनी मध्यस्थ सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।

पीठ ने कहा कि आप सेवा प्रदाता हैं और आपके द्वारा उपयोगकर्ताओं का बचाव करना दर्शाता है कि इस तरह के संपादन मंच के आदेश पर किए गए हैं। पीठ ने यहां तक कहा कि आपकी उग्रता दिखाती है कि आप एक मध्यस्थ से कुछ अधिक हैं।

उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने विकिपीडिया की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता को इस संबंध में निर्देश मांगने को कहा और मामले को बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

समाचार एजेंसी ने दावा किया कि उसके प्लेटफार्म के विकिपीडिया पृष्ठ पर अपमानजनक संपादन करने वाले उपयोगकर्ताओं के बारे में जानकारी का रहस्योद्घाटन करने के अदालत के आदेशों का विकिपीडिया पालन नहीं कर रहा है।

मानहानि मुकदमे में एजेंसी ने कहा है कि विकिपीडिया ने अपने पेज पर मानहानिकारक संपादन की अनुमति दी है, इसमें उसे वर्तमान सरकार के लिए प्रचार उपकरण के रूप में संदर्भित किया गया है।

इससे पहले अदालत ने क्या कहा था

बता दें कि इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा था कि अदालत आपके व्यापारिक लेनदेन बंद कर देगी और सरकार से विकिपीडिया को ब्लाक करने के लिए कहेंगे।

भारत पसंद नहीं तो यहां काम न करें

उस दौरान कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अगर आपको भारत पसंद नहीं है तो कृपया भारत में काम न करें। इसके साथ ही अदालत ने विकिपीडिया के एक अधिकृत प्रतिनिधि को 25 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।

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समाचार एजेंसी ने दावा था किया कि उसके प्लेटफार्म के विकिपीडिया पृष्ठ पर अपमानजनक संपादन करने वाले ग्राहकों के बारे में जानकारी का खुलासा करने के अदालत के आदेशों का विकिपीडिया नहीं कर रहा है।

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