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..तो कोरोना थाम देगा ऑटोमोबाइल की रफ्तार!

ऑटो एक्सपो में गाड़ियों को प्रदर्शित करके वाहवाही लूट रहीं बहुत सारी कंपनियों ने इस सच को स्वीकार भी किया है लेकिन अभी इस संबंध में खुलकर कुछ कहने से परहेज कर रही हैं।

By Neel RajputEdited By: Updated: Mon, 10 Feb 2020 09:32 AM (IST)
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..तो कोरोना थाम देगा ऑटोमोबाइल की रफ्तार!
नई दिल्ली [अमित द्विवेदी]। कोरोना वायरस की त्रसदी से घिरे चीन का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता दिख रहा है। भले ही ग्रेटर नोएडा में चल रहे इंडिया ऑटो एक्सपो-2020 में शिरकत कर रही ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने प्रोडक्ट को पूरे ग्लैमर के साथ पेश कर रही हैं, लेकिन वह चिंतित हैं कि कल क्या होगा? कहने का मतलब यह कि जब सामान नहीं मिलेगा, तो प्रोडक्शन कहां और कैसे हो पाएगा। ऑटो एक्सपो में गाड़ियों को प्रदर्शित करके वाहवाही लूट रहीं बहुत सारी कंपनियों ने इस सच को स्वीकार भी किया है, लेकिन अभी इस संबंध में खुलकर कुछ कहने से परहेज कर रही हैं। पिछले साल भारी मंदी के दौर से गुजर चुकी भारतीय ऑटो इंडस्ट्री इस साल कोरोना की चपेट में नजर आ रही है। क्या है उनकी चिंता की वजह? किस तरह से प्रभावित होंगी कंपनियां? यहां जानें....

वेंडर पर निर्भरता बड़ी समस्या

भारत में बनने वाली कारों में बहुत सारे पार्ट्स ऐसे होते हैं, जो यहां नहीं बनाए जाते, बल्कि बाहर से मंगाए जाते हैं, जब एक कार/बाइक निर्माता कंपनी अपना प्लांट लगाती है, तो वह प्रोडक्शन के सारे काम ख़ुद नहीं करती, बल्कि बहुत से पार्ट्स वह अपने वेंडर से लेती है।

यही वजह है जब एक प्लांट बनता है तो उसके आसपास बहुत सारे वेंडर भी अपनी यूनिट लगा लेते हैं। ये वेंडर ऐसे होते हैं, जो बहुत से पार्ट्स आयात करके स्थानीय कंपनियों को सप्लाई करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा आयात जिस देश से होता है, वह है चीन। लेकिन, चीन के कोरोना के चंगुल में फंस जाने के कारण वेंडरों की आयात प्रक्रिया पर दिक्कतें आनी शुरू हो गई हैं। हालांकि, ईको सिस्टम के तहत वेंडर एक-डेढ़ महीने का स्टॉक एडवांस में लेकर चलते हैं, लेकिन जैसे ही यह सिस्टम बिगड़ता है, वेंडर यूनिटों के साथ कार/बाइक निर्माता कंपनियों की परेशानियां भी बढ़नी शुरू हो जाती हैं। चूंकि, जिन कंपनियों का लोकलाइजेशन सबसे कम होता है, सबसे ज्यादा परेशानी उसी को होती है। यही वजह है कि एमजी ने पहले ही आगाह कर दिया है कि आने वाले वक्त में गाड़ियों की डिलीवरी में थोड़ा वक्त लग सकता है। बता दें एमजी चाइनीज कंपनी है, जिसकी जड़ें ब्रिटिश में हैं। ऑटो एक्सपो में एमजी ने अपनी बड़ी एसयूवी ग्लोस्टर को भी दिखाया है, साथ ही हेक्टर प्लस को भी अनवील किया है।

सूत्रों की मानें तो कई कंपनियों ने ऐन मौके पर अपनी उन गाड़ियों की लांचिंग की योजना को रिवील में तब्दील कर दिया, जिनकी लांचिंग ऑटो एक्सपो में कंफर्म थी और इसका मुख्य कारण बनी कोरोना।

कंपनियां तलाश रहीं विकल्प

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होने की बात कही जा रही है, क्योंकि यह कंपनी काफी हद तक स्थानीय कल-पुर्जो पर निर्भर है। मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना की चपेट में हमारे कुछ वेंडर भी आए हैं, लेकिन हम वैकल्पिक व्यवस्था के साथ तैयार हैं। ह्युंदई, एमजी, टोयोटा, फोर्ड, होंडा, टाटा, महिंद्रा के साथ देश की सभी कंपनियां मौजूदा परिस्थिति पर काफी करीब से नजर रखकर समाधान की रणनीति बनाने में जुटी हैं।

चीन से आयात होने वाले गाड़ियों के प्रमुख पार्ट्स

चीन से गाड़ियों के जो पार्ट्स सर्वाधिक आयात होते हैं, उनमें आर्मरेस्ट, इलेक्टिकल, सीट कंपोनेंट, गियरबॉक्स के कुछ पुर्जे व वायरिंग प्रमुख हैं। इसके अलावा कई भारतीय कंपनियों ने चीन की कंपनियों के साथ बड़े पैमाने पर च्वाइंट वेंचर भी कायम कर रखा है, जिसके तहत ये सीट, विंडशील्ड व ग्लास के बहुत सारे पार्ट्स आयात करते हैं। जैसे ही यह सिस्टम थोड़े दिन के लिए और रुका, इसका असर कंपनियों के असेंबली लाइन पर दिखना शुरू हो जाएगा। ह्युंदई की कार बनाने की स्पीड सबसे ज्यादा मानी जाती है, लेकिन अगर एक बार कोई पार्ट समय पर नहीं मिला तो सोचा जा सकता है कि यह स्थिति कंपनी के लिए कितनी खराब साबित होगी। यही वजह है कि ऑटो एक्सपो में किसी भी कंपनी के स्टॉल पर उसके अधिकारियों से बात करने पर पता चल जाता है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्या हालात बनने जा रहे हैं।

बंद है ह्युंदई का उलसान प्लांट

14 लाख वाहन बनाने की क्षमता रखने वाली कंपनी ह्युंदई ने दक्षिण कोरिया के उलसान स्थित अपने प्लांट को फिलहाल बंद कर दिया है, क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण श्रमिकों की कमी से कल-पुर्जो का अभाव पैदा हो गया है। इलेक्टिक संयंत्रों को जोड़ने वाले पुर्जे कंपनी को नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में बहुत कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई है।

ग्राहकों पर असर

अगर समय रहते स्थिति काबू में नहीं आती है तो उन ग्राहकों को, जो गाड़ी बुक कर चुके हैं या बहुत जल्द खरीदने की योजना बना रहे हैं, उन्हें गाड़ी की डिलीवरी लेने में लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। यह उन ग्राहकों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनेगा, जिन्होंने बड़े डिस्काउंट के इंतजार में अब तक गाड़ी नहीं खरीदी है।

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