सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के बावजूद खुलकर फैसले ले पाएंगे केजरीवाल? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
सीएम केजरीवाल के जेल में रहने से कई महत्वपूर्ण कार्य रुके हुए थे। मंत्रिमंडल में एक पद रिक्त है। मनीष सिसोदिया को फिर से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी। मार्च के बाद से कैबिनेट की कोई बैठक नहीं होने से सरकार के सभी महत्वपूर्ण काम लगभग ठप हैं। पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण MCD में महापौर का चुनाव नहीं हो सका है।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने से आप को संगठन स्तर पर जरूर बड़ी राहत मिली है, परंतु सशर्त जमानत मिलने के कारण सरकार से संबंधित कार्यों को लेकर असमंजस है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने उनकी रिहाई के लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
हालांकि आप को दिल्ली सरकार के कामकाज में तेजी आने की उम्मीद है। आप ने कहा है कि केजरीवाल अपने सभी मंत्रियों को निर्देश देने के लिए पूरी तरह से सशक्त हैं ताकि जनहित में काम किया जा सके। आप ने कहा कि जल्द ही सरकार के कामकाज में बदलाव दिखाई देगा।
आप संगठन को मिली संजीवनी
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पार्टी में उत्साह है। सीधे शब्दों में कहें तो चुनावी माहौल में सीएम केजरीवाल को जमानत मिल जाने से आप संगठन को संजीवनी मिल गई है।हालिया चुनाव में खल रही थी केजरीवाल की कमी
हरियाणा व जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में उतरी पार्टी को केजरीवाल की कमी खल रही थी। मगर अब चुनाव के लिए रणनीति बनाने में बड़ी राहत मिलेगी। वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी को भी बड़ा बल मिल सकेगा।राजनीतिक दृष्टि से ये दोनों राज्य आप के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पांच महीने बाद दिल्ली में होंगे चुनाव
जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रचार को वहां के स्थानीय नेता देख रहे हैं, जबकि दिल्ली का पड़ोसी राज्य होने के कारण पार्टी के प्रमुख नेता हरियाणा में डेरा डाल रहे हैं। मगर केजरीवाल की कमी हर स्तर पर महसूस की जा रही थी। वहीं आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अपनी रणनीति मजबूती से तय कर सकेगी। ठीक पांच माह बाद फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।जेल में रहने से कई महत्वपूर्ण कार्य रुके
बता दें कि सीएम के जेल में रहने से कई महत्वपूर्ण कार्य रुके हुए हैं। मंत्रिमंडल में एक पद रिक्त है। मनीष सिसोदिया को फिर से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी। मार्च के बाद से कैबिनेट की कोई बैठक नहीं होने से सरकार के सभी महत्वपूर्ण काम लगभग ठप हैं। पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव नहीं हो सका है।
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