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मनीष सिसोदिया फिर बनेंगे डिप्टी सीएम! मामले में AAP लेगी कानूनी राय; जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सब चाहते हैं कि सिसाेदिया जल्द से सरकार में अपना योगदान देना शुरू करें। उन्होंने कहा कि मगर इस बारे में कानूनी पहलू देखना होगा। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद आज पहला दिन था। एक या दो दिन में इस बारे में कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

By V K Shukla Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 10 Aug 2024 10:03 PM (IST)
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मनीष सिसोदिया के सरकार में भूमिका को लेकर आप लेगी कानूनी राय।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के 17 माह बाद जेल से बाहर आने से आप कार्यकर्ताओं में जोश है। आप के कार्यकर्ता और नेता जल्द से जल्द सिसाेदिया को मंत्रिमंडल मेंं देखना चाहते हैं और चाहते हैं कि सिसोदिया फिर से उसी फार्म में आएं, जिसमें वह जेल जाने से पहले थे। उन्हें नजदीक आ रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भी इस मामले में जल्दी है।

मगर तकनीकी हालत ऐसे हैं कि सिसाेदिया के मंत्रिमंडल में शामिल होने में समय लग सकता है। मुख्य सवाल यह है कि क्या जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बारे में एलजी काे पत्र लिख पाएंगे? क्याेंकि जेल में रहते हुए अभी तक केजरीवाल सरकार से संबंधित कोई भी कार्य नहीं कर सके हैं।

एक या दो दिन में कानूनी पहलुओं पर होगा विचार

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सब चाहते हैं कि सिसाेदिया जल्द से सरकार में अपना योगदान देना शुरू करें। उन्होंने कहा कि मगर इस बारे में कानूनी पहलू देखना होगा। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद आज पहला दिन था, हम सभी लोग उसी में लगे थे, एक या दो दिन में इस बारे में कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

केजरीवाल और सिसोदिया के जमानत में अंतर

इस बारे में अगर कानून के जानकारों की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा कहते हैं कि मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कुछ समय पहले मिली जमानत के मामले में जमीन आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि वह सचिवालय नहीं जाएंगे और किसी फाइल पर साइन आदि नहीं कर सकेंगे।

सिसोदिया के डिप्टी सीएम बनने में अड़चन नहीं

मगर केंद्र सरकार के वकील ने जब शुक्रवार को केजरीवाल की तरह इन प्रतिबंधों को सिसोदिया के मामले में भी लगाने के लिए कहा तो सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया, ऐसे में सिसोदिया को फिर से मंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाने में काेई अड़चन नहीं है। मुख्यमंत्री के पास अधिकार है वह उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए एलजी को पत्र भेज सकते हैं।

वहीं लोकसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण भी यही कहते कि दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल किसी को भी अपनी सरकार में मंत्री नियुक्त करने की सिफारिश कर सकते हैं। संविधान में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें ऐसा करने से रोकता हो।

कोर्ट की अनुमति के बाद मिलेगा लेटरहैड

उधर, दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषिकेश कुमार की राय इनसे अलग है। वह कहते हैं कि सीएम जेल में हैं। ऐसे में वह अपने व्यक्तिगत पत्र तो लिख सकते हैं, मगर कोई भी सरकारी पत्र सामान्य तौर पर नहीं लिख सकते हैं। इसके लिए उन्हें कोर्ट से अनुमति लेनी हाेगी। कोर्ट की अनुमति के बाद उन्हें उनका लेटरहैड दिया जाएगा और वह अपना पत्र लिख सकते हैं। वहीं दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा ने कहा कि सिसोदिया के मामले में यह एलजी पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले में अनुमति देते हैं या नहीं देते हैं।

प्रारंभ में जेल से सरकार चलाने की हुई थी कोशिश

बता दें कि गत मार्च में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय आम आदमी पार्टी ने कोशिश की थी कि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे। शुरू में उनका संदेश और निर्देश भी उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने प्रेसवार्ता के माध्यम से जनता को बताया था, मगर बाद में ऐसा संभव नहीं हो सका। हालांकि आप की सरकार उन्हीं के निर्देशों और उनकी भावना पर काम कर रही है। मगर फाइलों पर अनुमति देने का काम जेल से नहीं हो सका है।

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