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वृश्चिक ने दी कैंसर को मात, माता-पिता के आशीर्वाद से मिला नया जीवन

वृश्चिक बताते हैं कि माता-पिता के आशीर्वाद से ही उन्हें नया जीवन मिला। हालांकि अगले छह महीने तक उनका इलाज चला।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 04 Feb 2018 11:36 PM (IST)
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वृश्चिक ने दी कैंसर को मात, माता-पिता के आशीर्वाद से मिला नया जीवन

नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। इसे संयोग ही कहेंगे कि माता-पिता ने राशि के नाम पर अपने बेटे का नाम वृश्चिक नागर रखा। वृश्चिक को एक ऐसी बीमारी हो गई जो जानलेवा होने के साथ ही एक राशि भी है। यानी कैंसर (हिंदी में कर्क)। इस तरह से दो राशियों के बीच द्वंद हुआ और इसमें वृश्चिक ने काफी मुसीबतों के बाद जीत हासिल कर ली।

इतना आसान नहीं था सफर

आज 23 वर्षीय वृश्चिक ग्रेटर नोएडा के एक इंस्टीट्यूट से बीटेक अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। इसी साल उनके पास इंजीनियरिंग की डिग्री होगी। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। करीब साढ़े 6 साल पहले वृश्चिक को ब्रेन ट्यूमर (दिमागी कैंसर) हुआ था।

ब्रेन ट्यूमर होने की जानकारी मिली

न्यू अशोक नगर में रहने वाले वृश्चिक बताते हैं कि 2011 में नोएडा स्थित निजी स्कूल में बारहवीं कक्षा के छात्र थे। उसी दौरान उन्हें अक्सर सिरदर्द व बुखार की समस्या रहने लगी। एक दिन स्कूल में ही उल्टी हो गई। डॉक्टरों को दिखाया पर बीमारी पकड़ में नहीं आई। माता-पिता भी सेहत को लेकर परेशान रहने लगे। 10 जून, 2011 को एक डॉक्टर की सलाह पर सीटी स्कैन करवाया। इसमें ब्रेन ट्यूमर होने की जानकारी मिली।

दुनिया सिमटती जा रही थी

वृश्चिक बताते हैं कि वह आधी बेहोशी की हालत में रहते थे। माता-पिता ने उन्हें बीमारी के बारे में नहीं बताया। लेकिन उनके लिए यह बड़ा झटका था। उनकी दुनिया सिमटती जा रही थी। परिवार में किसी को कभी कैंसर नहीं हुआ। एक परिचित की सलाह पर वृश्चिक को एम्स अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने की बात कही।

माता-पिता के आशीर्वाद से मिला नया जीवन

13 अगस्त, 2011 को एम्स में उनका ऑपरेशन हुआ। तीन दिन तक वह आइसीयू में रहे। जब डॉक्टरों ने उन्हें खतरे से बाहर बताया तब पिता पीके नागर और मां विनिता ने करीब दो महीने के बाद थोड़ी सी राहत की सांस ली। वृश्चिक बताते हैं कि माता-पिता के आशीर्वाद से ही उन्हें नया जीवन मिला। हालांकि अगले छह महीने तक उनका इलाज चला। इससे उनका एक साल खराब हो गया और दोबारा से बारहवीं की पढ़ाई करनी पड़ी। लेकिन फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

कैंसर के लक्षणों को न करें नजरअंदाज  

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। कैंसर किसी को भी हो सकता है। इसकी कोई उम्र नहीं होती। दर्द, खून बहना, वजन का अचानक कम और बढ़ना, सांस लेने में दिक्कत होना,ब्लड क्लाट्स इसके मुख्य लक्षण हैं। ज्यादातर लोग कैंसर के शुरूआती लक्षणों की अनदेखी करते हैं। यही कारण है कि मरीज जल्दी ठीक नहीं होते। कैंसर के विभिन्न प्रकार, सर्वाइकल कैंसर, ब्लैकडर कैंसर, कोलोरेक्ट ल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, एसोफैगल कैंसर, पैंक्रियाटिक कैंसर, बोन कैंसर ब्ल ड कैंसर आदि हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट 

राष्ट्रीय कैंसर निवारण और अनुसंधान संस्थान की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 तक भारत में 17 लाख और नए मरीज कैंसर की गिरफ्त में आ सकते हैं। इनमें 8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत भी हो सकती है। साल 2016 में ये आंकड़ा 14 लाख से ऊपर था जो साल 2020 में बढ़कर 17 लाख 30 हजार हो सकता है। अगर कैंसर से मौत की बात करें तो साल 2016 में ये आंकड़ा 7.36 लाख था। इस शोध में पता चला है कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में मुंह के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। 

1.7 लाख लोग कैंसर से प्रभावित होंगे

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में हर साल कैंसर से जुड़े 1.4 करोड़ मामले सामने आ रहे हैं और इस रफ्तार से साल 2020 तक कैंसर से प्रभावित लोगों की संख्याा 25 फीसदी बढ़ सकती है। यानी उस समय तक 1.7 लाख लोग कैंसर से प्रभावित होंगे।

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