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इन साफ्टवेयर की मदद से खुद ठीक करें अपना कंप्यूटर, जानें इससे जुड़े तरीकें...

आजकल आनलाइन कक्षा हो या फिर वर्क फ्राम होम कंप्यूटर का उपयोग घरों में खूब हो रहा है। काम करने के दौरान पीसी में छोटी-मोटी समस्याएं भी आती हैं मगर हर छोटी समस्या के लिए आप सर्विस सेंटर नहीं जाना चाहेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 09 Dec 2021 02:08 PM (IST)
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आप कुछ साफ्टवेयर की मदद से उसे खुद भी ठीक कर सकते हैं।

नई दिल्‍ली, अमित निधि। पीसी पर कार्य करते समय अगर यह ठीक से परफार्म न करे, तो फिर झुंझलाहट बढ़ने लगती है। पीसी-लैपटाप से वाइ-फाइ कनेक्ट नहीं हो रहा है या फिर कोई अन्य समस्या आ रही है, तो विंडोज सिस्टम में इनका निदान करना आसान नहीं होता है। विंडोज सिस्टम पुराना है, तो फिर इस तरह की कई और समास्याओं से हर दिन दो-चार होना पड़ सकता है। ये समस्याएं केवल विंडोज सिस्टम के साथ ही नहीं, बल्कि अन्य आपरेटिंग सिस्टम के साथ भी हो सकती हैं।

लेकिन यहां दिक्कत है कि पीसी को लेकर आप बार-बार सर्विस सेंटर भी नहीं जाना चाहेंगे। इसमें पैसा भी ज्यादा खर्च होगा और समय भी। अगर चाहें, तो सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए कुछ साफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। इनकी मदद से जान पाएंगे कि सिस्टम में क्या खराबी है। कुछ समस्याओं को खुद से भी ठीक कर सकते हैं। अच्छी बात है कि इन टूल्स को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।

परफार्मेंस की जांच: अगर पीसी-लैपटाप ठीक से कार्य नहीं कर रहा है, तो फिर कुछ साफ्टवेयर की मदद ले सकते हैं। इनकी मदद से जान पाएंगे कि खराबी कहां है?

एचडब्ल्यूइंफो: सिस्टम से संबंधित जानकारी के लिए यह उपयोगी समरी टूल है। एचडब्ल्यूइंफो आपके कंप्यूटर के बारे में सभी जानकारियां प्रदर्शित करता है, जिनमें सीपीयू तापमान से लेकर पंखे के वोल्टेज तक शामिल हैं। कंप्यूटर कंपोनेंट्स से संबंधित हर चीज की सटीक जानकारी के लिए इस टूल को ट्राई किया जा सकता है।

परफार्मेंस मानिटर: पीसी परफार्मेंस को जांचने के लिए अलग से कोई टूल या साफ्टवेयर डाउनलोड नहीं करना चाहते हैं, तो फिर आप परफार्मेंस मानिटर की मदद ले सकते हैं। आपरेटिंग सिस्टम के पुराने वर्जन की तरह विंडोज 10 में भी परफार्मेंस मानिटर टूल है। हालांकि अब यह एक एप को रूप में मौजूद है। एक बार लांच होने के बाद साइडबार में मानिटरिंग टूल्स के तहत पीसी या लैपटाप के परफार्मेंस को मानिटर कर सकते हैं। इसमें सीपीयू के उपयोग, डिस्क के उपयोग, ऊर्जा की खपत, पेजिंग फाइल साइज, सर्च इंडेक्स साइज आदि को देख सकते हैं।

रीलाइबिलिटी मानिटर: विंडोज सिस्टम में रीलाइबिलिटी मानिटर एक छिपा हुआ टूल है। यह विंडोज विस्टा के दौरान से ही है। फिर भी बहुत सारे यूजर्स इसके बारे में कम ही जानते हैं। यह टूल आपको सिस्टम कंट्रोल पैनल में सिस्टम ऐंड सिक्योरिटी> सिक्योरिटी मेंटिनेंस> मेंटिनेंस>रीलाइबिलिटी में मिलेगा। यहां पर आप अपने सिस्टम की हिस्ट्री और एक निश्चित समयावधि के दौरान हुई घटनाओं और त्रुटियों को देख पाएंगे। इसमें नीली रेखा एक से 10 तक का अनुमान है कि आपका सिस्टम समय के साथ कितना स्टेबल है। अगर कुछ चीजें बहुत ज्यादा क्रैश हो रही हैं, तो एरर का चयन कर सकते हैं और समाधान की जांच कर सकते हैं।

हार्ड डिस्क मैनेजमेंट: क्या आपने कभी सोचा है कि हार्ड डिस्क ड्राइव या सालिड-स्टेट ड्राइव अच्छी स्थिति में है या नहीं? यह पता लगाना आसान भी नहीं होता है, लेकिन क्रिस्टलडिस्कइंफो की मदद से हार्ड डिस्क ड्राइव और एसएसडी की स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है। यह एक सरल प्रोग्राम है, जो आपको एचडीडी, एसएसडी और यूएसबी ड्राइव सहित आपके डाटा ड्राइव की स्थिति के बारे में पूरी तरह से बताता है। इसमें तापमान, स्पिन-अप टाइम, अपटाइम, एरर रेट आदि की डिटेल शामिल होती हैं। इससे हाई ड्राइव की पूरी हेल्थ स्टेटस की जानकारी हासिल करना आसान हो जाता है। इसका एक सहयोगी प्रोग्राम है, जिसे क्रिस्टलडिस्कमार्क कहा जाता है। इसका उपयोग अपने डाटा ड्राइव को बेंचमार्क करने के लिए कर सकते हैं। वैसे, विंडोज सिस्टम में विंडोज डिस्क मैनेजमेंट की सुविधा भी है। यह इन-बिल्ट डिस्क यूटिलिटी प्रोग्राम है। इसकी मदद से यूजर एसएसडी या एचडीडी की हेल्थ जांच के साथ नये पार्टिशन भी बना सकते हैं। साथ ही, संभावित त्रुटियों के लिए किसी भी पार्टिशन को स्कैन भी कर सकते हैं।

मेमोरी की समस्या को यूं करें दूर: कंप्यूटर के लिए रैम की समस्या आम है। इन दिनों सिस्टम पर आप इतने मल्टीटास्किंग काम करते हैं कि फिजिकल रैम खत्म होने लगता है। इससे सिस्टम धीमा हो जाता है, लेकिन इसके निदान के लिए भी टूल मौजूद हैं। इसके लिए विंडोज में रिसोर्स मानिटर फीचर है, जिसे विस्टा में लागू किया गया था। परंपरागत रूप से इसे टास्क मैनेजर के माध्यम से लांच करना होगा, लेकिन अब यह विंडोज 10 में एक अलग एप है, जिसे आप स्टार्ट मेन्यू के माध्यम से लांच कर सकते हैं। रिसोर्स मानिटर सिस्टम के बारे में रियल-टाइम डाटा देखने का एक एडवांस तरीका है। दरअसल, यह रैम की समस्याओं के निदान के लिए सबसे आसान तरीकों में से एक है। इसके अलावा, विंडोज मेमोरी डायग्नोस्टिक टूल की मदद भी ली जा सकती है। यह विंडोज में बिल्ट-इन टूल है, जो रैम माड्यूल का फिजिकल परीक्षण कर सकता है कि क्या यह एरर फ्री है। इससे कंप्यूटर रीस्टार्ट हो जाएगा। बूट-अप पर यह टूल रैम पर कई टेस्ट चलाएगा। यदि कोई एरर या फेल्योर है, तो यह बताने की पूरी कोशिश करेगा कि कौन-सा माड्यूल इसके लिए जिम्मेदार है। फिर उस माड्यूल को बदल सकते हैं।

नेटवर्किंग की समस्या से ऐसे पा सकते हैं पार: पीसी या लैपटाप में नेटवर्किंग से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं, तो वाइ-फाइ एनालाइजर की मदद ले सकते हैं। कई बार वाइ-फाइ से सिस्टम कनेक्ट नहीं होता है, तो कभी ईथरनेट की समस्या भी आ जाती है। इन समस्याओं के निदान के लिए वाइ-फाइ एनालाइजर एक उपयोगी टूल है। यह एक मुफ्त टूल है और ठीक वही काम करता है, जो इसका नाम कहता है। यह आपके वाइ-फाइ नेटवर्क के सेटअप का विश्लेषण करता है ताकि यह देखा जा सके कि आपका वायरलेस चैनल आसपास के अन्य वाइ-फाइ नेटवर्क में हस्तक्षेप तो नहीं कर रहा है। एक बार विश्लेषण करने के बाद यह आपके लिए चैनल सेटिंग की सिफारिश भी करेगा। यह आपकी वाइ-फाइ की गति में भी सुधार ला सकता है। इसके अलावा, साफ्ट परफेक्ट नेटवर्क स्कैनर भी एक उपयोगी टूल है।

स्क्रीन से जुड़ी दिक्कत को ऐसे करें दूर: अगर सिस्टम में स्क्रीन से जुड़ी कोई समस्या है, तो फिर जेस्क्रीनफिक्स टूल की मदद ले सकते हैं। अपने पीसी की स्क्रीन को ध्यान से देखें। क्या आपको कोई धब्बा दिखाई देता है। यदि ऐसा है, तो यह अटका हुआ पिक्सल हो सकता है। यह पिक्सल एक खास रंग पर अटका हुआ दिखाई देगा। इस समस्या को दूर करने के लिए जेस्क्रीनफिक्स वेब टूल उपयोगी हो सकता है। यह स्क्रीन के क्षेत्र में हर सेकंड सैकड़ों अलग-अलग रंगों के साथ अटके हुए पिक्सल के साथ फ्लैश करता है। यह लगभग दस मिनट के बाद पिक्सल को वहां से हटा देता है। आप सोच रहे होंगे कि क्या यह हमेशा काम करता है? नहीं। कभी-कभी स्क्रीन में किसी फिजिकल डिफेक्ट के कारण पिक्सल हमेशा के लिए अटक जाता है। इसके अलावा, पिक्सलहीलर भी एक प्रभावी टूल है। इसका उपयोग आप डेड पिक्सल को पुनर्जीवित करने के लिए कर सकते हैं। जेस्क्रीनफिक्स के विपरीत इसे डाउनलोड करने की आवश्यकता होती है। फाइल का आकार 100 केबी से कम है। इसके सिस्टर एप इंजर्डपिक्सल्स का उपयोग मृत, अटके या गर्म पिक्सल का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

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