'स्पेशल ब्रा' से कैंसर पीड़ित महिलाओं का लौट रहा आत्मविश्वास, जानिये पूरा मामला
स्तन कैंसर पीड़ित महिलाएं सर्जरी के बाद शर्म महसूस करने लगती हैं। इसे ध्यान में रखकर ऐसे स्पेशल ब्रा व प्रोस्थेसिस आ रहे हैं।
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं बीमारी से ज्यादा सर्जरी की बात से घबरा जाती हैं, क्योंकि उन्हें नारित्व खोने का डर सताता है। ऐसी कैंसर पीडि़त महिला मरीजों को मुफ्त स्पेशल ब्रा उपलब्ध कराकर इंडियन कैंसर सोसायटी उनका आत्मविश्वास लौटा रही है। यह स्तन कैंसर पीडि़तों को ध्यान में रखकर ही खासतौर पर डिजाइन की जाती है। इसका इस्तेमाल करने के बाद कैंसर पीडि़त महिलाएं आत्मविश्वास के साथ सामान्य जीवन जी पाती हैं।
देश में हर साल करीब डेढ़ लाख महिलाएं इस बीमारी से पीडि़त होती हैं। लेकिन दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों में इस बीमारी से पीडि़त महिलाओं की संख्या अधिक होती हैं।डॉक्टरों की मानें तो सर्जरी इसका कारगर इलाज है, लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में तब पहुंचती हैं, जब ट्यूमर बड़ा हो चुका होता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित हिस्से को निकालना पड़ता है।
कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन इंडियन कैंसर सोसायटी की निदेशक (जागरूकता कार्यक्रम व स्तन कैंसर) रेखा गुलबानी ने कहा कि संस्थान से करीब 50 ऐसे सदस्य जुड़े हुए हैं, जो खुद विभिन्न तरह के कैंसर से पीडि़त रह चुके हैं।
इस बीमारी से जंग जीतने के बाद वे सदस्य कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर का नाम सुनकर मरीज घबरा जाते हैं। नकारात्मक ख्याल व सवाल मन में उठने लगते हैं, पर कैंसर जिंदगी का अंत नहीं है।
स्तन कैंसर पीड़ित महिलाएं सर्जरी के बाद शर्म महसूस करने लगती हैं। इसे ध्यान में रखकर ऐसे स्पेशल ब्रा व प्रोस्थेसिस आ रहे हैं, जो सर्जरी के बाद असहज महसूस नहीं होने देते। यह चीजें बाजार में उपलब्ध नहीं है। दिल्ली में करीब पांच-सात संस्थाएं व कंपनियां है जो यह बनाती हैं।
ज्यादातर पीड़ितों को इसके बारे में जानकारी भी नहीं है। इसकी कीमत भी &50-400 रुपये के बीच होती है। इसलिए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीज खुद से खरीद पाने में सक्षम नहीं है।
हर साल करीब 50 पीडि़त महिलाओं को मुफ्त स्पेशल ब्रा व प्रोस्थेसिस उपलब्ध कराया जाता है। इसके वितरण में आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। गरीब महिलाओं के अलावा संपन्न परिवारों की महिलाओं को भी नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
हालांकि, कुछ साल पहले नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ था कि रजोनिवृत्त महिलाओं में स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम का ब्रा पहनने से कोई संबंध नहीं है।
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञान के छात्र लू चेन ने कहा था कि विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में स्तन कैंसर आम होने का एक कारण ब्रा पहनने के तरीके को माना जाता था, इसे लेकर मतभेद भी रहे हैं।