World COPD Day: प्रदूषण बच्चों को जवानी में बना देगा सीओपीडी का मरीज, दिल्ली की हवा ऐसे कर रही फेफड़ों को कमजोर
राष्ट्रीय औसत की तुलना में दिल्ली में सीओपीडी की बीमारी अधिक होने का एक बड़ा कारण यहां का प्रदूषण है। राजधानी में प्रदूषण अक्सर मानक से अधिक रहता है। कई बार प्रदूषण बहुत अधिक होने के कारण हवा 25-30 सिगरेट पीने के बराबर जहरीली हो जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि अभी स्वास्थ्य पर तात्कालिक असर भले ही नहीं दिखता हो लेकिन यह श्वसन तंत्र को कमजोर करता है।
By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Wed, 15 Nov 2023 07:42 AM (IST)
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। राजधानी में प्रदूषण अक्सर मानक से अधिक रहता है। कई बार प्रदूषण बहुत अधिक होने के कारण हवा 25-30 सिगरेट पीने के बराबर जहरीली हो जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि अभी स्वास्थ्य पर इसका तात्कालिक असर भले ही ज्यादा नहीं दिखता हो, लेकिन यह धीरे-धीरे श्वसन तंत्र को कमजोर करता है। इस वजह से राष्ट्रीय राजधानी की बेहद प्रदूषित आबोहवा आगे चलकर बड़ी संख्या में बच्चों को जवानी में सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का मरीज बना देगा।
बुढ़ापा से पहले ही सीओपीडी के मरीज
वहीं कामकाजी और युवा लोगों की एक बड़ी आबादी बुढ़ापा आने से पहले सीओपीडी और सांस के मरीज बन जाएंगे। सीओपीडी के बढ़ते मामले भी इस तरफ इशारा कर रहे हैं। एक समीक्षात्मक अध्ययन के अनुसार देश में 30 वर्ष से अधिक उम्र के करीब सात प्रतिशत आबादी सीओपीडी से पीड़ित है। जबकि दिल्ली में 30 वर्ष से अधिक उम्र के दस प्रतिशत लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं।
राष्ट्रीय औसत की तुलना में दिल्ली में सीओपीडी की बीमारी अधिक होने का एक बड़ा कारण यहां का प्रदूषण है। सफदरजंग अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. नीरज गुप्ता ने बताया कि सीओपीडी का सबसे बड़ा कारण धूपमान है। बीड़ी, सिगरेट के धुएं से सांस की नली में धीरे-धीरे सिकुडन और सूजन होने लगती है। इससे सांस में अवरूद्ध हो जाता है।
सिगरेट भी करता है नुकसान
इससे शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। 20 वर्ष तक सिगरेट अधिक पीने से फेफड़ा कमजोर हो जाता है। शुरुआत में खांसी, बलगम की समस्या व सांस की परेशानी होती है। वर्ष में तीन माह और दो साल तक ऐसी परेशानी रहे तो बीमारी सीओपीडी में तब्दील हो जाती है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स कई बार कई बार 450 से भी ज्यादा पहुंच जाता है जो 25-30 सिगरेट पीने के बराबर है।
ऐसे वातावरण में लंबे समय तक रहने पर 15 वर्ष सीओपीडी हो सकता है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं। लिहाजा, बच्चों को इस प्रदूषण से बचाना जरूरी है। इसलिए प्रदूषण कम करना आवश्यक है। इसके अलावा सीओपीडी की बीमारी से बचने के लिए लोगों को धूमपान छोड़ना होगा। सफदरजंग अस्पताल के प्रिवेंटिव मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि 30 वर्ष पहले सीओपीडी बीमारी और मौत का सातवां-आठवां बड़ा कारण था। अब यह दुनिया भर में मौत का तीसरा बड़ा कारण बन चुका है।
सीओपीडी की बीमारी के कारण
इसका कारण धूमपान, प्रदूषण, दूर दराज के इलाकों में उपले व लकड़ी जलाकर खाना बनाना है, जो महिलाएं लकड़ी और उपले जलाकर खाना बनाती हैं वह एक समय के बाद सीओपीडी के मरीज हो जाती हैं। पटेल चेस्ट अस्पताल के निदेशक डा. राजकुमार ने बताया कि धूमपान करने वाले सीओपीडी से अधिक पीड़ित होते हैं। इसके अलावा इनडोर प्रदूषण और लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने पर सीओपीडी की बीमारी का खतरा अधिक होता है।
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