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दिल्ली को विश्व धरोहर घोषित करने का अभी भी इंतजार, भारत के 57 स्मारक हैं विचाराधीन सूची में शामिल

विश्व धरोहर समिति (World Heritage Committee) की 21 जुलाई से दिल्ली में होने जा रही है। इस दौरान भारत के कई स्मारकों को विश्व धरोहर घोषित किए जाने प्रस्ताव दिया जाना है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने का इंतजार है। यूनेस्को ने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी उनकी टीम ने उस समय दिल्ली का दौरा किया था।

By V K Shukla Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 17 Jul 2024 08:11 PM (IST)
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World Heritage Site: भारत की घोषित हुईं विश्व धरोहरें।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। यूनेस्को की विचाराधीन सूची में 12 साल बाद भी दिल्ली को विश्व धरोहर (World Heritage) घोषित करने का प्रस्ताव शामिल है। वर्ष 2012 में पहली बार दिल्ली सरकार की ओर से यह प्रस्ताव भेजा गया था।

उस समय की मनमोहन सिंह सरकार ने उस प्रस्ताव को यूनेस्को के पास भेज दिया था। बाद में विकास कार्य बाधित होने का तर्क देकर केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को सहमति नहीं दी।

भारत के 57 स्मारक विचाराधीन सूची में शामिल

बता दें कि यूनेस्को की विचाराधीन सूची में है भारत के 57 स्मारक शामिल हैं। उनमें अंडमान का सेलुलर जेल, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, ग्वालियर का किला, कश्मीर का मुगल गार्डन, अमृतसर का श्री हरिमंदिर साहिब व वाराणसी के सारनाथ सहित ऐतिहासिक शहर दिल्ली और दिल्ली का कमल मंदिर भी आदि शामिल है।

दिल्ली के इन इलाकों को शामिल करने की मांग

ऐतिहासिक दिल्ली की बात करें तो इसके लिए पहली बार 2012 में यूनेस्को में प्रस्ताव भेजा गया था। उस समय पुरानी दिल्ली यानी शाहजहानाबाद, निजामुद्दीन क्षेत्र, महरौली और लुटियंस दिल्ली इलाके के आधार पर दिल्ली को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।

यूनेस्को ने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी, उनकी टीम ने उस समय दिल्ली का दौरा किया था। यूनेस्को ने दिल्ली को लेकर कई तरह की जानकारियां मांगी थीं, जिन्हें उपलब्ध कराने के बाद 2015 में चार की जगह दो इलाकों को ही प्रस्ताव में रखा था।

पुरानी और नई दिल्ली पर था ज्यादा फोकस

इसमें शाहजहानाबाद यानी पुरानी दिल्ली और लुटियंस दिल्ली यानी नई दिल्ली शामिल था। ये दो ऐसे इलाके थे, जहां पर दिल्ली को लेकर अधिक फोकस रहा था और दोनों के समय के निर्माण और संस्कृति भी मौजूद है।

इसमें शाहजहानाबाद को शाहजहां ने अपनी राजधानी बनाया था और बाद में अंग्रेजों ने 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित करने के बाद लुटियंस दिल्ली को बसाया था। जिसमें आज भी कनॉट प्लेस जैसी इमारतें उपलब्ध हैं। दिल्ली अगर विश्व धरोहर बनती तो निर्माण से संबंधित नियम इन्हीं इलाकों पर लागू होते।

शहर को विश्व धरोहर घोषित होने पर ये नहीं होते काम

किसी भी तरह के निर्माण और मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अनुमति लेनी होती। इलाके की ऐतिहासिकता प्रभावित करने वाले निर्माण पर प्रतिबंध रहता। विकास कार्य एएसआई से अनुमति लेकर कराए जा सकते थे।

भारत के ये स्मारक हैं यूनेस्को की विचाराधीन सूची में

  • ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश 2024
  • खूनी भंडारा, बुरहानपुर 2024
  • चंबल घाटी के राक कला स्थल 2024
  • भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर 2024
  • धामनार का ऐतिहासिक पहनावा 2024
  • गुजरात का ऐतिहासिक शहर वडनगर 2022
  • कांचीपुरम के मंदिर 2021
  • नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लामेटाघाट 2021
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 2021
  • महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला का क्रमिक नामांकन 2021
  • ऐतिहासिक शहर वाराणसी का प्रतिष्ठित गंगा नदी तट-2021
  • सेलुलर जेल अंडमान-2014
  • बहाई हाउस (लोटस टैंपल) नई दिल्ली-2014
  • दिल्ली-एक विरासत शहर-2012
  • सिल्क रोड साइट-2010
  • कश्मीर का मुगल गार्डन-2010
  • श्री हरिमंदिर साहिब अमृतसर-2004
  • सारनाथ वाणारसी-1998
  • स्मारकों का ग्रुप, मांडू मध्य प्रदेश-1998

विश्व धरोहर घोषित होने से विकास पर नहीं पड़ता असर- एजीके मेनन

दिल्ली को विश्व धरोहर घोषित कराए जाने के लिए दिल्ली सरकार के लिए दिल्ली का डोजियर तैयार करने वाले इंटैक के दिल्ली चैप्टर के पूर्व संयोजक एजीके मेनन कहते हैं कि दिल्ली को विश्च धरोहर घोषित करने से दिल्ली के विकास पर कोई असर नहीं पड़ता।

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उन्होंने कहा कि जयपुर और अहमदाबाद शहरों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जा चुका है। वहां विकास को लेकर कोई समस्या नहीं आई है। वह कहते हैं कि उन्होंने यह बात केंद्र सरकार को बताई थी और बाद में चार की जगह दिल्ली के दो इलाकों को ही इसमें शामिल किया गया था, जिसमें पुरानी दिल्ली यानी शाहजहानाबाद और लुटियंस दिल्ली शामिल थे।

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