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World IVF Day 2023: गर्भधारण के समय कितना महत्वपूर्ण है ब्लड, थायरायड और थैलेसेमिया की जांच

World IVF Day 2023 मां बनना एक दिव्य अनुभव है। जीवन में रोना अच्छा नहीं लगता है लेकिन नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनना हर मां का सपना होता है। ऐसे में यह प्रश्न भी मन में कई बार आता है कि आखिर मां बनने की सही उम्र क्या है और किस तरह से प्रेग्नेंसी प्लान की जाए कि सब सुगमता से हो और बच्चा स्वस्थ हो।

By shivangi chandravanshiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 24 Jul 2023 03:50 PM (IST)
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World IVF Day 2023: गर्भधारण के समय कितना महत्वपूर्ण है ब्लड, थायरायड और थैलेसेमिया की जांच
दक्षिणी दिल्ली, जागरण संवाददाता। World IVF Day 2023 : मां बनना एक दिव्य अनुभव है। जीवन में रोना अच्छा नहीं लगता है, लेकिन नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनना हर मां का सपना होता है। ऐसे में यह प्रश्न भी मन में कई बार आता है कि आखिर मां बनने की सही उम्र क्या है और किस तरह से प्रेग्नेंसी प्लान की जाए कि सब सुगमता से हो और बच्चा स्वस्थ हो।

सीनियर गायनेकोलाजिस्ट, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. वैशाली शर्मा इस संबंध में कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने का सुझाव देती हैं। नई दिल्ली एम्स से एमडी, हार्वर्ड से सीओएजी, जर्मनी से डीसीएजीई और लंदन से आरसीओजी एसासिएट डॉ. वैशाली शर्मा इस क्षेत्र की प्रतिष्ठित विशेषज्ञों में से हैं।

प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले गायनेकोलॉजिस्ट की लें सलाह

उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले अपनी करीबी गायनेकोलॉजिस्ट से चर्चा कर लेना सही रहता है। इससे अगर कोई रिस्क फैक्टर हो, तो उसका समय रहते पता चल जाता है। साथ ही चीजों को व्यवस्थित करने का समय मिल जाता है। गर्भधारण से पहले सामान्य ब्लड टेस्ट करा लेना भी सही कदम है। इससे हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, थायरायड हार्मोन लेवल, रुबेला एंटीबाडीज और थैलेसेमिया आदि का पता पहले से ही लग जाता है।

ब्लड टेस्ट के महत्व को समझाते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि अगर हीमोग्लोबिन कम हो तो मां और बच्चे दोनों को खतरा रहता है। इसलिए गर्भधारण से पहले ही आयरन सप्लीमेंट और खानपान में बदलाव से इसे सही कर लेना चाहिए। इसी तरह ब्लड शुगर ज्यादा होना भी गर्भ में बच्चे के विकास को प्रभावित करता है।

इसलिए ब्लड शुगर पर नजर रखना और इसे नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। शुगर बहुत ज्यादा होने से गर्भ गिराने तक की स्थिति आ जाती है। इसी तरह थायरायड सही होने से बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रभाव बढ़ता है। थायरायड को आसानी से दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रेग्नेंसी में थैलेसेमिया जानलेवा

डॉ. वैशाली शर्मा ने थैलेसेमिया का भी उल्लेख किया। थैलेसेमिया जानलेवा बीमारी है। इसमें हर महीने खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। हालांकि जब तक थैलेसेमिया बहुत न्यूनतम स्तर पर हो, तब तक कोई लक्षण नहीं पता चलता है। इसे थैलेसेमिया माइनर कहते हैं।

अगर माता-पिता दोनों थैलेसेमिया माइनर हों, तो बच्चे में थैलेसेमिया मेजर का खतरा 25 प्रतिशत बढ़ जाता है। उचित तो यह है कि शादी से पहले ही थैलेसेमिया जांच कराई जाए। अगर ऐसा न भी हो तो गर्भधारण से पहले इसकी जांच करा लेनी चाहिए।

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