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World Ozone Day 2022: दिल्ली-एनसीआर पर नया खतरा, आसमानी आफत की चपेट में 4 करोड़ लोग

World Ozone Day दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसके चलते ओजोन परत को नुकसान हो रहा है। ओजोन परत को नुकसान होना चिंताजनक है। दरअसल ओजोन की परत को नुकसान हुआ तो सूर्य से हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरण धरती तक आकर लोगों को नुकसान करेंगीं।

By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 11:29 AM (IST)
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World Ozone Day 2022: दिल्ली-एनसीआर के चार करोड़ लोगों पर मंडरा रहा नया खतरा

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण न केवल लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित कर रहा है बल्कि यह जानलेवा भी साबित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन ने दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों में भी लंबे समय तक गर्म मौसम रहने की संभावना में 30 गुना तक का इजाफा किया है।  आने वाले कुछ सालों के दौरान दिल्ली कम से कम एक डिग्री तक ठंडी रही होगी। इसी तरह गर्मी पर भी असर पड़ना तय है। इसके साथ-साथ ओजोन की परतों का क्षरण इसी तरह जारी रहा तो दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए मुश्किल होगा।

ओजोन की परतें समस्त भूमण्डल के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के चलते इनका क्षरण हो रहा है। ओजोन की परतें सूर्य की हानिकारक बैंगनी किरणों को ऊपरी वायुमंडल में ही रोक लेती हैं, उन्हें पृथ्वी की सतह तक नहींं पहुंचने देती। जब यही ओजोन की परतें धऱती पर आती  हैं तो सीधे संपर्क में आने के चलते सूर्य की पराबैंगनी किरणें लोगों के साथ-साथ जीव जंतुओं और वनस्पतियों के लिए हानिकारक हो जाती हैं।

जानलेवा होता है ओजोन से होने वाला नुकसान

जिस ओजोन की परत की वजह से लोग बीमारियों से बचे रहते हैं, वही अब दिल्ली-एनसीआर में कमजोर हो रही है। दरअल, ओजोन परत के क्षरण के चलते सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें वायु मंडल में प्रवेश करती हैं। इससे लोगों के साथ -साथ  पेड़-पौधों भी प्रभावित होते हैं। इससे लोगों को त्वचा का कैंसर, श्वास रोग, अल्सर, मोतियाबिंद जैसी समस्याएं हो सकते हैं।

ओजोन बढ़ा रहा दिल्ली-एनसीआर की मुश्किलें

बेशक पिछले कुछ सालों के दौरान दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में हल्की सी कमी आई हो, लेकिन खतरा कई गुना बढ़ गया है। इसके पीछे है ओजोन की परत का कमजोर होना। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह ओजोन भी रहा है और यह आगे भी लोगों को परेशान करता रहेगा। एक्सपर्ट के अनुसार, ज्यादा तापमान में विभिन्न गैसों की प्रतिक्रिया से ओजोन का स्तर बढ़ता जाता है। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी के डाटा के अनुसार कई जगहों पर ओजोन का स्तर तय मानकों को पार कर गया है।

दोपहिया और चार पहिया धुएं से बढ़ा रहा ओजोना का लेवल

दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं से परेशानी बढ़ती जा रही है। खासतौर से दिल्ली-एनसीआर में ओजोन की परत में क्षरण का कारण नाइट्रोजन ऑक्साइड और वीओसी (वॉलेटाइल आर्गेनिक कपाउंड) हैं। यह दोनों गाड़ियों के धुंए और उद्योगों के धुंए से निकलते हैं।

दो स्थितियों में बढ़ता है ओजोन का स्तर

सामान्य तौर पर जब तापमान अधिक हो और आसमान पूरी तरह साफ हो, तब ओजोन का स्तर बढ़ता है।  वहीं, ओजोन के स्तर में कमी तब आती है जब लगातार बारिश हो। यह सिर्फ दिल्ली के लिए है, अन्य राज्यों में हालात दूसरे हैं। 

दिल्ली के इन इलाकों में रहता है ओजोन लेवल

  • जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम
  • डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
  • नेहरू नगर, मंदिर मार्ग
  • आरके पुरम
  • नरेला
  • मुंडका
  • अरबिंदो मार्ग 
  • आनंद विहार

बता दें कि नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ मिलकर ओजोन बनाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, ओजोन से गैस सांसों के साथ शरीर के अंदर चली जाए तो फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचाती है। ओजोन का मामूली प्रभाव भी छाती में दर्द, कफ, सांस की तकलीफ और गले में खराश पैदा कर सकता है। 

जल वायु परिवर्तन भी बढ़ा रहा समस्य

ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जल वायु परिवर्तन के चलते बाढ़, सूखा, गर्मी की लहरें, भयंकर तूफान और जंगल की आग बद से बदतर होती जा रही है, खतरनाक आवृत्ति के साथ रिकार्ड तोड़ रही है। मसलन, यूरोप में लू, पाकिस्तान में भीषण बाढ़, चीन, हार्न आफ अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में लंबे समय तक गंभीर सूखा। इन आपदाओं के नए पैमाने के बारे में कुछ भी स्वाभाविक नहीं है। इस साल की 'यूनाइटेड इन साइंस रिपोर्ट' बताती है कि जलवायु प्रभाव विनाश के अज्ञात क्षेत्र में बढ़ रहे हैं।