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बुजुर्ग पिता ने टूटे हाथ से उठाई बहादुर बेटे की अर्थी, कहा कायर थी तमाशा देख रही भीड़

आनंद विहार क्षेत्र में बदमाशों द्वारा मोहित की गोली मार हत्या का मामला। दूसरे को लुटता देख बचाने गया था। मदद करना तो दूर भीड़ ने पुलिस को सूचना तक नहीं दी।

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 01 Oct 2018 07:36 AM (IST)
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बुजुर्ग पिता ने टूटे हाथ से उठाई बहादुर बेटे की अर्थी, कहा कायर थी तमाशा देख रही भीड़

नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। राष्ट्रीय राजधानी का आनंद विहार इलाका दिल्ली के सबसे व्यस्त क्षेत्र में से एक है। दिन हो या रात, यहां सन्नाटा नहीं होता है। रेलवे स्टेशन और अंतरराज्यीय बस अड्डे पर यात्रियों के आने-जाने का सिलसिला जारी रहता है। भीड़ होने के बावजूद यह इलाका सुरक्षित नहीं है। बदमाश अपने मंसूबों में कामयाब हो ही जाते हैं और भीड़ तमाशबीन बनी रहती है। शुक्रवार रात भीड़ तमाशबीन बनी रही और बदमाशों ने डेढ़ मिनट में युवक मोहित की जान ले ली।

मोहित, अपने पिता राजकुमार गौतम के इलाज के लिए दिन-रात मेहनत कर पैसे जुटा रहे था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार रात को जब बदमाशों ने उसे गोली मारी थी, उस वक्त उनके पिता राजकुमार, उनकी मां सरला गौतम के साथ डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान में अपने टूटे हाथ का एक्सरे करवा रहे थे। शनिवार दोपहर को हाथ का ऑपरेशन होना था।

इसी बीच घर से जब उन्हें फोन आया कि मोहित को बदमाशों ने गोली मार दी है, तो राजकुमार एक्सरे बीच में छोड़कर शांति मुकुंद अस्पताल में बेटे को देखने पहुंचे। टूटे हुए हाथ के साथ उन्होंने बेटे की अर्थी को कंधा दिया। उन्होंने कहा कि यह सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बेटे को अंगुली पकड़कर चलना सिखाया था, उसको श्मशान लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा कि मौके पर जमा तमाशबीन भीड़ कायर थी। उनका बेटा अकेले चार से पांच बदमाशों से लोहा ले रहा था।

जिस व्यक्ति के पैसे बचाने के चक्कर में मोहित बदमाशों का शिकार हुआ, उसकी मालकिन से उन्होंने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई थी, लेकिन उसने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि समाज में दूसरे लोगों की मदद करना गुनाह हो गया है। बेटे को इंसाफ दिलवाऊंगा। अदालत जाएंगे। जरूरत पड़ने पर धरना भी देंगे।

राजकुरमा ने बताया कि वह दो महीने पहले स्कूटी से गिर गए थे। हादसे में उनके हाथ की हड्डी टूट गई थी। वह कार चलाने का काम करते हैं। चोट के कारण काम पर नहीं जा पा रहे थे। घर की जिम्मेदारी मोहित पर आ गई थी। छोटी बहन ने कहा कि भगवान उस भीड़ को कभी माफ नहीं करेगा, जो उस वक्त वहां पर तमाशा देख रही थी। मां सरला के आंसू नहीं रुक रहे। वह बार बार घर के सदस्यों से एक ही बात पूछ रही हैं कि उनका लाल कब लौटेगा। काम पर से आने के बाद वह खाना मांगता है, गर्म रोटियां ठंडी हो चुकी हैं, लेकिन बेटा घर नहीं आया।

पुलिस को सूचना देते तब भी बच जाती जान

बदमाशों ने पांच से सात मिनट के अंदर आठ लाख रुपये लूट लिए और मोहित की गोली मारकर हत्या कर दी। घटनास्थल पर काफी लोग इकट्ठा थे। सब तमाशबीन बने रहे। मदद करना तो दूर, किसी ने समय से पुलिस को सूचना तक नहीं दी। मोहित के साथ कोठी में काम करने वालों ने उन्हें शांति मुकुंद अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अस्पताल ने पुलिस को दी थी सूचना

रात करीब करीब 8:45 बजे अस्पताल के डॉक्टरों ने पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी। जिस वक्त लूट की घटना हुई, उस समय मोहित घर जाने के लिए अपनी स्कूटी स्टार्ट कर रहे थे। उन्होंने सड़क पर शोर सुना तो स्कूटी कोठी में छोड़कर सड़क पर चले गए। परिजनों का कहना है कि वारदात पांच मिनट बाद हुई होती तो उनका बेटा जिंदा होता। वहीं घटना के एक दिन बाद भी पुलिस बदमाशों का कोई सुराग नहीं लगा पाई। इस वारदात से पुलिस की साख पर सवाल उठने लगे हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस बदमाशों की पहचान कर रही है। जिस व्यक्ति से लूट हुई, उससे भी पूछताछ की जा रही है।

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