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नई दिल्ली में दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा

नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र दिल्ली का सबसे पुराना लोकसभा क्षेत्र होने के साथ ही वीवीआइपी भी माना जाता है।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 03 May 2019 06:23 AM (IST)
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नई दिल्ली में दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा

नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र दिल्ली का सबसे पुराना लोकसभा क्षेत्र होने के साथ ही वीवीआइपी भी माना जाता है। काग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं होने से यहा मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा, कांग्रेस और आप प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार में जुटे हैं। भाजपा मीनाक्षी लेखी पाच साल के विकास कायरें का बखान कर मोदी के नाम पर वोट मांग रही हैं वहीं 2014 में हार का मुंह देख चुके काग्रेस प्रत्याशी अजय माकन मोदी सरकार की विफलताओं का हवाला देकर वोट की अपील कर रहे हैं। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रही आप ने आशीष खेतान की जगह इस बार बृजेश गोयल को मैदान में उतारा है। वह रोजगार और सरकारी कर्मचारियों के मुद्दों को उठा रहे हैं। इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो 23 मई को पता चलेगा लेकिन, फिलहाल धुरंधरों में कांटे की टक्कर जारी है। पेश है नई दिल्ली से निहाल सिंह की रिपोर्ट ..

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लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

नई दिल्ली लोकसभा सीट पर दो बार उपचुनाव हो चुके हैं। इसे मिलाकर अब तक हुए 18 चुनावों में भाजपा और उसके समर्थित राजनीतिक दलों ने 10 बार जीत दर्ज की है। खास बात यह हैं कि यहा पर दूसरी लोकसभा के लिए वर्ष 1961 हुए उपचुनाव में ही जनसंघ के उम्मीदवार बलराज मधोक ने जीत हासिल कर ली थी। उन्होंने कांग्रेस के मेहरचंद खन्ना को हराया था। हालाकि, तीसरी लोकसभा के चुनाव में मेहरचंद खन्ना से बलराज मधोक हार गए थे। चौथी लोकसभा के लिए वर्ष 1967 के चुनाव में यहा फिर से जनसंघ के प्रत्याशी मनोहर लाल सोढ़ी ने मेहर चंद खन्ना को परास्त कर दिया था। 1971 के चुनाव में काग्रेस के मुकुल बनर्जी ने जीत दर्ज की तो 1977 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी यहां से सांसद बने। वर्ष 1984 में काग्रेस के कृष्णचंद पंत और 1989 व 1991 के चुनाव में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहां से संसद का प्रतिनिधित्व किया। 1992 के उपचुनाव में फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना ने काग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की। भाजपा नेता जगमोहन ने वर्ष 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई थी। हालाकि, काग्रेस ने वापसी की और अजय माकन ने वर्ष 2004 व 2009 का चुनाव जीता। वर्ष 2014 में मोदी लहर के सामने माकन नहीं टिक सके और भाजपा की मीनाक्षी लेखी के सिर जीत का सेहरा बंधा।

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कुल मतदाता : 16,17,470

पुरुष मतदाता : 8,95,079

महिला मतदाता : 7,20,891

थर्ड जेंडर : 24

सर्विस वोटर: 1476

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वर्ष 2014 के नतीजे

मीनाक्षी लेखी (भाजपा) : 4,53,350

आशीष खेतान (आप) : 2,90,642

अजय माकन (काग्रेस) : 1,82,893

कुल मत : 14,89,260

पड़े मत : 9,61,812

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दस विधानसभा क्षेत्र हैं

करोल बाग

पटेल नगर

मोती नगर

दिल्ली कैंट

राजेंद्र नगर

नई दिल्ली

कस्तूरबा नगर

मालवीय नगर

आरके पुरम

ग्रेटर कैलाश

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प्रमुख इलाके

लोक कल्याण मार्ग, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति समेत केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के आवास, लोधी गार्डन, मुगल गार्डन, करोल बाग, आरके आश्रम, पहाड़गंज,

----------------------- क्षेत्र का समीकरण भी जानें

नई दिल्ली सीट पर जातीय समीकरण भी महत्वपूर्ण है। यहा कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग है, जो सासद को चुनने में अहम भूमिका अदा करता है। मंत्रालयों में कार्यरत नौकरशाह और एनडीएमसी में कार्य करने वाले कर्मचारी इसी लोकसभा क्षेत्र में रहते हैं। जिसकी भूमिका यहा से सासद चुनने में अहम होती है। ऐसा माना जाता है कि यह सीट पंजाबी बहुल है, जिसे अक्सर यहा से प्रत्याशी भी पंजाबी समुदाय से संबंध रखने वाले को बनाया जाता है। इस बार भी काग्रेस और भाजपा ने पंजाबी समुदाय से संबंध रखने वाले नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। आम आदमी पार्टी ने वैश्य समाज के बृजेश गोयल को टिकट दिया है।

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संसदीय सीट के प्रमुख मुद्दे

-करोल बाग विधानसभा में पार्किंग समस्या सर्वाधिक है। यहा गफ्फार मार्केट से लेकर, टैंक रोड कपड़ा बाजार है। जहा पर पूरी दिल्ली से लोग खरीदारी के लिए आते हैं। लेकिन पर्याप्त संख्या में वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा न होने से यहा जाम लगता है।

-पटेल नगर विधानसभा के तहत आनंद पर्वत, पहाड़ी धीरज, थानसिंह नगर में पानी की किल्लत रहती है।

-थान सिंह नगर एक अनधिकृत कालोनी है। जहा पर अभी तक सड़कें तक नहीं हैं

-करोल बाग इलाके में सड़कों पर अतिक्रमण अधिक है, जिससे जाम की समस्या रहती है।

-इस इलाके में भी अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जिनमें सफाई की समस्या है। साथ ही सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी खराब है।

- कनॉट प्लेस इलाके को भी वाहनों से मुक्त किया जाना है। जिससे लोगों को यहा पर खरीदारी करने में सहूलियत हो सके।

----------------------- मीनाक्षी लेखी -भाजपा

मजबूती

- काग्रेस अध्यक्ष राहुल गाधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर गलत बयानबाजी के मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर गईं, जिससे काग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा

- तेजतर्रार प्रवक्ता होने के साथ वह पंजाबी समुदाय से संबंध रखती हैं, जिससे उन्हें अपने पक्ष में समीकरण बनाने में बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

- संघ और भाजपा के बूथ लेवल के कैडर का लेखी को मिलेगा लाभ। कमजोरी

- सत्ता विरोधी माहौल के चलते वोटरों में सासद को लेकर नाराजगी। लोग सासद तक पहुंच न होने का आरोप लगा रहे हैं।

- भाजपा से अन्य टिकट के दावेदार सासद के साथ कम नजर आ रहे हैं।

- देरी से टिकट घोषित होने की वजह से प्रचार का कम समय मिलेगा

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अजय माकन -काग्रेस

मजबूती

- दस साल तक सासद रहे। इस दौरान केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। काग्रेस हाईकमान के करीबी होने के कारण लोगों के बीच अलग पहचान।

- काग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने से पहले से ही वह क्षेत्र में जनसंपर्क और प्रचार में जुटे हुए हैं। लोगों के बीच उनकी छवि भी है ठीक है।

- काग्रेस के संगठन में अच्छी पकड़ के साथ ही आम लोगों से ही सीधे संपर्क। काग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ ही पार्टी की कई अहम जिम्मेदारिया संभाल चुके हैं। कमजोरी

- दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन के पक्षधर रहे हैं। पिछले दिनों गठबंधन को लेकर साक्षात्कार दिया, अब यही उनकी मुसीबत बन गया है।

- पिछले लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अब मतदाता को दोबारा अपने तरफ आकर्षित करना बड़ी चुनौती।

- गठबंधन न होने की वजह से मतों के बंटवारे का हो सकता है नुकसान

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बृजेश गोयल -आप

मजबूती

- नई दिल्ली लोकसभा से आम आदमी पार्टी ने पहले प्रभारी बनाया और फिर सबसे पहले प्रत्याशी घोषित किया

- बहुत पहले ही प्रत्याशी घोषित होने की वजह से वह तीसरे दौर के प्रचार में जुटे हैं

- व्यापारी नेता होने की वजह से सीलिंग के मुद्दे को जोर-शोर से उठाते रहे हैं कमजोरी

-पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं

- गठबंधन न होने की वजह से मतों के बंटवारे से हो सकता है नुकसान

-अजय माकन और मीनाक्षी लेखी जैसे दिग्गज नेताओं के मुकाबले एक दम नया चेहरा हैं।

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कुल 27 प्रत्याशी है मैदान में

भाजपा,काग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) समेत कुल 27 प्रत्याशी नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से मैदान में है। इसमें से 9 प्रत्याशी निर्दलीय हैं। अंजान आदमी पार्टी से उपेंद्र तो आपकी अपनी पार्टी से सुनील चुनाव लड़ रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) से उमेश चंद गौर, राष्ट्रीय समरसता पार्टी नवीन कुमार,अखिल भारतीय मानवता पक्ष पार्टी से जितेंद्र राउत मैदान में हैं।

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