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डेढ़ सौ साल की उम्र में भी कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

फोटो 30 डीईएल 301 -पुराना लोहा पुल से रोजाना 150 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं - वर्ष 199

By JagranEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 08:53 PM (IST)
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डेढ़ सौ साल की उम्र में भी कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

अपनी आयु पूरी करने के बाद भी यमुना पर बना पुराना लोहा पुल राजधानी में रेल व सड़क मार्ग से आवागमन का मुख्य साधन है। डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुराने इस पुल के माध्यम से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन शाहदरा के रास्ते गाजियाबाद से जुड़ती है। इससे रोजाना डेढ़ सौ से ज्यादा ट्रेनें और मालगाड़ियां गुजरती हैं पुराना व जर्जर हो जाने के कारण इससे ट्रेनें बेहद धीमी गति से गुजरती हैं। इस पुल पर रेल लाइन के नीचे सड़क मार्ग है। अंग्रेजों ने वर्ष 1866 में किया था इसका निर्माण : दिल्ली को कोलकाता से जोड़ने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने ईस्ट इंडिया रेलवे द्वारा वर्ष 1866 में 16,16,335 पौंड की लागत से इस पुल को बनवाया था। इस समय एक पौंड की कीमत 90.13 रुपया है। इस हिसाब से इसकी लागत भारतीय मुद्रा में करीब साढे़ 14 करोड़ रुपये होगी। उस समय सिर्फ एक लाइन (जिसे नॉर्थ लाइन कहते हैं) बनी थी। उसके बाद 1913 में 14,24,900 पौंड (वर्तमान में करीब 13 करोड़ रुपये) मूल्य की लागत से दूसरी लाइन (साउथ लाइन) बनाई गई। इसमें 202.5 फीट के 12 स्पैन तथा अंतिम दो स्पैन 34.5 फीट के हैं। इसकी लंबाई 700 मीटर है। इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रेवेट एंड कंपनी (इंडिया) लिमिटेड ने वर्ष 1933-34 में 23,31,396 पौंड (वर्तमान में लगभग 21 करोड़ रुपये) की लागत से इस पुल के स्टील गार्डर को बदला था। पुल का ढांचा ब्रिटेन में तैयार करने के बाद इसे यहां लाकर स्थापित किया गया था। बाढ़ को ध्यान में रखकर तैयार की गई है डिजाइन : इस पुल का डिजाइन यमुना नदी में आने वाली बाढ़ को ध्यान में रखकर तैयार की गई थी। उस समय खतरे के निशान का स्तर 672 फीट माना गया था। इसमें कुल 11 पिलर हैं तथा इन सभी के फाउंडेशन का स्तर अलग-अलग है। सबसे निचला फाउंडेशन (पिलर नंबर छह का) 615 फीट पर है।

बाढ़ की वजह से 1956 में पहली बार बंद हुआ था पुल : बाढ़ की वजह से इस पुल को कई बार बंद करना पड़ा है। पहली बार वर्ष 1956 में इसे बंद किया गया था, जब यमुना में जलस्तर 677 फीट दर्ज किया गया था। इसके बाद पुल को 1978 में बंद किया गया था उस वर्ष जलस्तर 681 फीट तक पहुंच गया था। उसके बाद वर्ष 1988, 1995, 1997, 1998, 2000, 2001, 2002, 2008, 2010 एवं 2013 में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने पर कुछ दिनों के लिए बंद किया गया था। इस पुल के समानांतर बनाया जा रहा है नया पुल : इसकी आयु (80 वर्ष) 1947 में ही पूरी हो चुकी है। इसके समानांतर नया पुल भी बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य 1998 से चल रहा है। कहा जा रहा है कि अगले वर्ष जून तक पुल बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी अनुमानित लागत 137 करोड़ रुपये है। बदला जा रहा है पुराना लोहा : इस पुल में कुल 3500 टन लोहा लगा हुआ है। 2011-12 में 240 टन लोहा बदला गया था। लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से इसके जर्जर हिस्से को बदलने का फिर से काम चल रहा है अब तक लगभग 900 टन लोहा बदला जा चुका है। काम पूरा होने के बाद ट्रेन की रफ्तार कम नहीं करनी पड़ेगी। अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद इससे 80 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से ट्रेनें गुजर सकेंगी। 15 किलोमीटर की रफ्तार से गुजरती हैं ट्रेनें : पुराना होने के कारण इस पुल से ईएमयू 15 किलोमीटर प्रति घंटे, मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें 20 किलोमीटर प्रति घंटे और मालगाड़ी 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरती है। दिल्ली के मंडल रेल प्रबंधक आरएन सिंह का कहना है कि नया पुल तैयार होने के बाद इस पुल को विरासत के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

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