दिल्ली-NCR में आक्सीजन के स्तर को संतुलन करने के लिए PGDAV कॉलेज की सोसाइटी ने शुरू कीं तैयारियां
पीजीडीएवी कॉलेज (प्रातः) की जियो क्रूसेडर्स सोसाइटी द्वारा दिल्ली-एनसीआर में ऑक्सीजन के स्तर को संतुलित के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। सोसाइटी स्वत पनपे पीपल के पौधों को निकालकर नर्सरी में पालन-पौषण कर जगह-जगह लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
By Rajneesh kumar pandeyEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 31 Jan 2023 12:05 PM (IST)
रजनीश कुमार पाण्डेय,नई दिल्ली। भविष्य में पर्यावरण के आक्सीजन स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए पीजीडीएवी कॉलेज (प्रातः) की जियो क्रूसेडर्स सोसाइटी द्वारा आज से ही तैयारी की जा रही है। इस सोसाइटी के सदस्य महाविद्यालय की दीवारों व अन्य स्थानों पर स्वतः पनपे हुए पीपल के पौधों को निकालकर अनुपयोगी पालीथिनों की पैकेटों में मिट्टी के साथ लगाकर उन पौधों को नर्सरी पौधों के रूप में विकसित कर रहे हैं।
इस सोसाइटी का विजन है कि इन पौधों को विकसित होने के बाद आवश्यकतानुसार पूरी दिल्ली में जगह-जगह रोपित कर दिया जाएगा। इससे पर्यावरण में आक्सीजन का स्तर सामान्य व संतुलित रखने में काफी आसानी होगी। सोसाइटी के संयोजक प्रो. गौरव कुमार व सह-संयोजक प्रो. ऋचा अग्रवाल मलिक हैं।
कौशल विकास भी है उद्देश्य
प्रो. ऋचा अग्रवाल मलिक ने बताया कि इसके लिए पीपल के इन नर्सरी पौधों को इकट्ठा करके समय-समय पर संबंधित गैर सरकारी संगठनों को सौंप दिया जाता और ये संगठन पौधों की देखभाल करते हुए इनका पालन-पोषण करते हैं। अंत में जरूरत के हिसाब से इन्हें दिल्ली व एनसीआर इलाकों में इन पौधों को रोपित कर दिये जाने की तैयारी है।सोसाइटी का उद्देश्य आक्सीजन स्तर को सामान्य व संतुलित रखने के साथ ही पौधरोपण के लिए आवश्यक गतिविधियों व प्रक्रिया के बारे में आज के छात्र-छात्राओं को जानकारी देना है। इससे छात्रों में पौधों व पर्यावरण के प्रति लगाव बढ़ेगा और वे कालेज की जियो क्रूसेडर्स सोसाइटी के विजन को साकार कर सकेंगे। साथ ही छात्र पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में कौशल विकास कर सकेंगे और पर्यावरण गतिविधियों के महत्व के बारे में जान सकेंगे।
रोगों में भी लाभप्रद है पीपल
प्रो. ऋचा ने बताया कि पीपल का पेड़ कार्बन-डाइ-आक्साइड के दुष्परिणामों से धरती को सुरक्षित रखने में मदद करता है और पर्यावरण में जीवनदायिनी आक्सीजन गैस के स्तर को बढ़ाकर स्वास्थ्य-लाभ एवं दीर्घ आयु प्रदान करता है। यह मिट्टी के कटाव को रोककर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, जलवायु नियमन व पर्यावरण संरक्षण में मदद करता है।उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार, पीपल मीठा, कसैला और शीतल होता है। इसके सेवन से कफ, पित्त और पेट में जलन संबंधी समस्या में लाभ मिलता है। इसके फल के सेवन से रक्त-पित्त (नाक, मुंह इत्यादि से खून आने वाला रोग), पेट में जलन व सूजन और अरुचि आदि रोग दूर होते हैं।
इस वृक्ष की कोमल छाल एवं पत्ते की कली पुरातन मधुमेह रोग में अत्यन्त लाभप्रद है। पीपल के फल के चूर्ण का प्रयोग कई भूख बढ़ाने वाली औषधियों में किया जाता है। इसके पत्ते की भस्म का शहद के साथ सेवन करने से कफ संबंधी रोगों में लाभ मिलता है।यह भी पढ़ें: दिल्ली दंगा: शाहरुख को पिस्तौल बेचने के मामले में बाबू वसीम को कड़कड़डूमा कोर्ट ने किया बरी
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