अभी सुबह की सैर से अस्थमा व हार्ट अटैक का खतरा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
By JagranEdited By: Updated: Sat, 27 Oct 2018 09:42 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने तो लोगों को सुबह में सैर सपाटा नहीं करने की चेतावनी दी ही है, अब डॉक्टरों ने भी कहा है कि सुबह के वक्त टहलना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। दरअसल, प्रदूषण बहुत खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और सुबह में यह काफी ज्यादा होता है। इस कारण लोगों को अस्थमा व हार्ट अटैक हो सकता है। इससे बचने के लिए डॉक्टरों ने अभी से सुबह की सैर छोड़ देने की सलाह दी है। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में सांस के मरीज 15-20 फीसद बढ़ गए हैं। पिछले दिनों एम्स ने भी कहा था कि प्रदूषण के कारण ओपीडी में सांस के मरीज अधिक देखे जा रहे हैं। अस्पताल में सांस के मरीजों का दाखिला भी बढ़ गया है। गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर व लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि सीपीसीबी ने तो एक से 10 नवंबर के लिए अलर्ट जारी किया है, जबकि अभी ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है। इसलिए लोगों को अभी से सुबह का सैर बंद कर देना चाहिए। प्रदूषण अधिक होने पर सैर करते वक्त सांस के जरिये प्रदूषक तत्व शरीर में पहुंचते हैं। इस वजह से सांस की नली व फेफड़े में संक्रमण होता है। यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर इमरजेंसी में हार्ट अटैक के मरीज बढ़ जाते हैं।
लंग केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाए तो लोगों को सुबह में नहीं टहलना चाहिए। घर के दरवाजे और खिड़कियों को ठीक से बंद रखना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि वातावरण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-10 व पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे सांस नली में सूजन हो जाती है। इस कारण सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसी स्थिति में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। पीएम-10 के दुष्प्रभाव से सांस की बीमारियां होने की आंशका रहती है। वहीं पीएम-2.5 इतना सूक्ष्म कण होता है कि वह ब्लड में पहुंच जाता है। इस वजह से धमनियों में ब्लॉकेज होने की आशंका रहती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। -----------
सांस के मरीजों की बढ़ानी पड़ रही हैं दवाएं
एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण के कारण सांस के पुराने मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इसलिए यह देखा जा रहा है कि पुराने मरीजों की सांस की दवाएं बढ़ानी पड़ रही हैं। इसलिए अस्थमा, हार्ट अटैक व अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा बच्चों व गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
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