Prince Murder Case: देश के लिए नजीर बनेगा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का फैसला, भोलू को बालिग मानकर चलेगा केस
Prince Murder Case प्रिंस हत्याकांड मामले के आरोपित भोलू को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बालिग मानकर पूरी दुनिया के सामने नजीर पेश किया है। प्रिंस को लौटाया नहीं जा सकता है कि इस फैसले से उन सभी बच्चों में डर पैदा होगा जो गलत रास्ते पर चल चुके हैं।
By Aditya RajEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Tue, 18 Oct 2022 08:46 AM (IST)
गुरुग्राम, जागरण संवाददाता। देशभर में चर्चा का विषय बना गुरुग्राम का प्रिंस हत्याकांड मामले के आरोपित भोलू को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बालिग मानकर पूरी दुनिया के सामने नजीर पेश किया है। प्रिंस को लौटाया नहीं जा सकता है कि इस फैसले से उन सभी बच्चों में डर पैदा होगा जो गलत रास्ते पर चल चुके हैं। उन अभिभावकों में डर पैदा होगा जो अपने बच्चों की गतिविधियों के ऊपर ध्यान नहीं रखते हैं। यदि ध्यान रखा जाता तो आज प्रिंस दुनिया में होता।
आरोपित ने सुनियोजित तरीके से की हत्या
स्कूल को बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, उसी जगह पर एक मासूम की गला रेतकर हत्या कर दी गई। इससे जघन्य अपराध क्या हो सकता है। आरोपित ने सुनियोजित साजिश के तहत जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। ये बातें प्रिंस के पिता के साथ कदम से कदम मिलाकर मामले को यहां तक पहुंचाने में विशेष भूमिका निभाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही।
निर्भया कांड से मिली सबक
उन्होंने कहा कि निर्भया कांड ने देश को हिलाकर रख दिया था। उसमें भी एक नाबालिग शामिल था। उस समय तक कानून में संशोधन नहीं किया गया था, इस वजह से नाबालिग को केवल तीन साल की सजा हुई थी। उस घटना ने महसूस कराया कि कानून में संशोधन की आवश्यकता है। फिर संशोधन यह किया गया कि यदि आरोपित 16 से 18 साल के बीच का है और उसने सुनियोजित तरीके से जघन्य अपराध को अंजाम दिया है तो उसे बालिग माना जाए।आरोपित को सजा दिलाना जरूरी
इसी आधार पर भाेलू को बालिग माना जाए, इसके लिए साढ़े चार साल से अधिक समय तक संघर्ष किया गया। प्रिंस के पिता ने उनसे कहा कि उनका बेटा अब लौट नहीं सकता। अन्य कोई बच्चा उनके बेटे की तरह दुनिया से न जाए इसके लिए आरोपित को सजा दिलाना आवश्यक है। पहला बड़ा पड़ाव पार कर लिया गया है। आरोपित ने सुनियोजित साजिश के तहत अपराध को अंंजाम दिया था।
बोर्ड ने सभी प्रक्रियाओं के बाद सुनाया फैसला
उसे पता था कि किस तरह से अपराध करना है, अपना बचाव कैसे करना है, अपराध का परिणाम क्या होगा आदि। एक पेशेवर अपराधी की तरह अपराध को अंजाम दिया था। ऐसे में संशोधित कानून के मुताबिक उसे बालिग माना जाना ही था। बालिग मानने से पहले बोर्ड ने पूरी प्रक्रिया अपनाई। पीजीआइ रोहतक की तीन सदस्यीय टीम से आरोपित की मानसिक क्षमता का मूल्यांकन कराया। फिर सभी पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया।बोर्ड ने प्रिंस के साथ न्याय किया
प्रिंस के पिता ने कहा कि वह अंतिम सांस तक अपने बेटे को पूरा न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे। वह नहीं चाहते कि कोई और बच्चा उनके बेटे की तरह दुनिया से जाए। शिक्षा के मंदिर में उनके बेटे का कत्ल कर दिया गया। आखिर उनके बेटे का क्या दोष था। ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए। नहीं मिलेगी तो फिर कैसे डर पैदा होगा। देश के सभी बच्चे सुरक्षित हों, इसी उद्देश्य से वह संघर्ष कर रहे हैं।
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