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आत्म शुद्धि का मौका देता माहे रमजान

हर वर्ष माहे रमजान अमन व शांति के संदेश के साथ पूरे विश्व में आता है। रमजान का मुख्य संदेश

By JagranEdited By: Updated: Sat, 02 Jun 2018 09:26 PM (IST)
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आत्म शुद्धि का मौका देता माहे रमजान

हर वर्ष माहे रमजान अमन व शांति के संदेश के साथ पूरे विश्व में आता है। रमजान का मुख्य संदेश जेहाद-ए-बिल मतलब अपनी आत्मा से शुद्ध होना है। यह हर पर फर्ज है। विशेष बात कि अल्लाह दरमियान रोजा देखता है कि आप क्रोध में तो नहीं हैं। किसी की आत्मा को ठेस तो नहीं पहुंचा रहे, क्योंकि किसी के दिल को तकलीफ देने का कोई प्रायश्चित नहीं है। रोजा की महान उपलब्धि है कि ये हमारे वर्ष भर के अशुद्ध विचारों को परिष्कृत कर देता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से पेट के अपशिष्ट को साफ कर देता है। रक्तचाप व शर्करा नियंत्रण में रहते हैं।

रोजा खोलने के बाद तरावीया की अदायगी अनिवार्य अंग है। तरावीया का मतलब रुकना, ठहरना या विश्राम करना। इसके अंतर्गत रोजेदार अपनी सहूलियत के अनुसार निर्धारित समय में संपूर्ण कुरान पढ़कर समाप्त करते हैं। रोजा खुदा के करीब आने का सबसे बेहतरीन मौका है। रमजान के अंतिम शुक्रवार को अलविदा कहते हैं। इस रोज तमाम रोजेदार भावनात्मक रूप से अपने ईष्ट को याद करते हैं। इसके उपरांत ईद की चांद का दीदार होता है। चांद के दर्शन होने पर रोजे की विदाई हो जाती है। अब हर इंसान फितरे (दान) का आयोजन करता है। इसकी अदायगी अनाज देकर होती है, यह अनाज उस व्यक्ति को दिया जाता है जो वास्तव में फितरे का पात्र है। छोटे बच्चे इस दिन बड़ों से ईदी पाकर बहुत खुश होते हैं। इस खास मौके एक शेर अर्ज है।

हसरतें दीद रही जाती है। दिल की उम्मीद रही जाती है। उनको इन्कार गले मिलने से और यहां मेरी ईद रही जाती है।

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