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जंक फूड को कहें ना, महामारी में हेल्‍दी फूड को कहें हां; बढ़ेगी इम्‍यूनिटी रहेंगे स्‍वस्‍थ

चीज से ढका पिज्जा की लत और अस्‍वास्‍थ्‍यकर कैलोरी आपको मोटा और सुस्त बना रही है और मोटापे से होने वाली मधुमेह जैसी बीमारियों की ओर ले जा रही है। आप फूड तो खा रहे हैं फास्ट लेकिन मन और शरीर से हो रहे हैं स्लो।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 03 Jul 2021 01:18 PM (IST)
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में तन-मन से फिट और ऊर्जावान रहने के लिए फास्‍ट/जंग फूड को कहें ना ...
नई दिल्ली, यशा माथुर। दोस्तो, चॉकलेट, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स, केक, पिज्जा और आइसक्रीम बेशक आपके मुंह में पानी ला देती है और आप इन्हेंं पाने के लिए लालायित हो उठते हैं लेकिन फास्ट फूड आपको किस कदर नुकसान पहुंचाता है, कैसे मोटापे के दरवाजे पर पहुंचाता है, शायद आप नहीं जानते। माता-पिता जंक फूड न खाने के लिए बोलते हैं तो आप मुंह फुला लेते हैं और अपनी जिद मनवाने की कोशिश करते हैं।

टीवी चैनल्स पर आने वाले विज्ञापन नये-नये जंक फूड दिखाते और आपको ललचाते हुए हठ करने पर बाध्य करते हैं। इसे देखते हुए बच्चों व किशोरों में बढ़ते मोटापे और इससे जुड़ी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में ब्रिटेन की सरकार ने जंक फूड के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। ब्रिटिश सरकार का यह प्रयास बच्चों व किशोरों को स्वस्थ रखने के लिए उन्हेंं जंक फूड से दूर रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमारे देश में भी बच्‍चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चिंता जताई जाती रही है। आपको भी समझ जाना चाहिए कि सेहत के लिए कितने खतरनाक हैं ये खाने और इनके सेवन से आपको होंगी कितनी मुश्किलें।

जंक फूड की लत है बुरी: सबसे पहले तो आपको यही जानना होगा कि हर वक्त आपका जंक फूड खाने का मन ही क्यों होता है? क्यों आप घर के खाने से मुंह फेर लेते हैं और पिज्जा, बर्गर का नाम आने पर खुशी से उछल पड़ते हैं जबकि आप भी जानते हैं कि घर का खाना सेहत के लिए अच्छा है। जब हमने यही बात मनोविज्ञानी डा. ज्योति कपूर से पूछी तो उन्होंने बताया, 'जंक फूड फ्लेवर्ड होते हैं जो बच्चों को आकर्षित करते हैं। इससे बच्चे खुश हो जाते हैं उन्हें अच्छा महसूस होता है। बच्चों को शाबाशी देने के लिए जंक फूड दिया जाता है तो उसे खाते समय भी उन्हें खुशी मिलती है और वे इसे पसंद करने लगते हैं। कोल्ड ड्रिंक में कैफीन होती है जो थोड़ी एडिक्टिव होती है जिसके कारण बच्चे इन्हें बार-बार लेना चाहते हैं। इससे उन्हें आदत पड़ जाती है। अगर हम बच्चों को स्वस्थ खाने के बारे में बताएं तो वे समझ सकते हैं। बच्चे बड़ों को फॉलो करते हैं तो बड़ों को भी इनसे बचना होगा। घर में जंक फूड की जगह नहीं रहनी चाहिए। बच्चों को स्नैक्स के रूप में पौष्‍टिक चीजें दी जा सकती हैं।' अध्‍ययन बताते हैं कि जंक फूड खाने से मस्तिष्क उसी तरह प्रभावित होता है जैसे नशे की दवाओं का सेवन करने से। जंक फूड जैसे बर्गर, पिज्जा और फ्राइज काफी एडिक्टिव होते हैं। जब भी आप भूखे होते हैं, आपको इन्हीं जंक फूड को खाने की तीव्र इच्‍छा होती है।

दिमाग हो सकता है कमजोर: कम उम्र से ही संतुलित भोजन लेने से आप स्‍वस्‍थ रहेंगे, यह बात आपको समझनी होगी। इस समय आपकी अच्‍छी ग्रोथ के लिए आयरन और कैल्सियम की जरूरत है। प्रोटीन, फल व सब्जियां खाएं ताकि आपकी हडि्डयां मजबूत हों और हार्मोन के बदलाव के लिए पोषण की कमी न हो। डाइटिशियन जया ज्योत्सना कहती हैं, ‘बाहर का खाना न खाएं। ज्‍वार,बाजरा जैसे अन्‍न लें। सुबह उठकर गरम पानी लें। कोई भी खाना छोड़ें नहीं। कम अंतराल में थोड़ा-थोड़ा खाएं ताकि सेहत अच्‍छी रहे। बैठे या लेटे रहने के बजाय नियमित एक्‍सरसाइज करें। नट्स, बीज, दलिया लें। चाय बिल्‍कुल न लें। दूध, अंडे लें। नाश्‍ते और खाने के बीच फल, स्‍प्राउट्स लें। शाम को जूस, डाइट मिक्‍सचर ले सकते हैं। रात आठ बजे तक खाना खा लें। वेज दलिया, दाल, चपाती और रोस्‍टेड चिकन लें। सोते वक्‍त दूध लें। टीवी देखते हुए न खाएं। लंबे समय तक चबा-चबा कर घर का बना पौष्‍टिक खाना खाएं। जंक फूड को ना कहें। जंक फूड मानसिक विकास रोकता है और वजन बढ़ाता है। इसके कारण मधुमेह (डायबिटीज) जैसी बीमारियां हो जाती हैं।‘ दोस्‍तो, मोटापे के कारण आजकल कम उम्र में ही शुगर और हृदय की बीमारी की संभावना होने लग जाती है। हाल में हुई एक रिसर्च के मुताबिक जंक फूड ज्यादा खाने से बच्चों की याददाश्‍त कमजोर होने का खतरा भी होता है। छोटी उम्र के बच्चे, जो स्कूल जाते हैं, उन बच्चों का मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। जंक फूड की आदत ऐसे बच्चों को ज्यादा जल्दी लग जाती है, जिससे उनका मानसिक विकास रूक सकता है और उनका दिमाग कमजोर होने की संभावना भी होती है।

गुड बैक्टीरिया मर जाते हैं: दोस्‍तो, फास्ट, जंक या अन्य प्रोसेस्ड फूड में मौजूद प्रिजर्वेटिव्स में कई ऐसे नुकसानदेह तत्व पाए जाते हैं जो कुछ ही मिनटों में आंतों के उन गुड बैक्टीरिया को मार देते हैं जो पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने के साथ बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। ऐसी स्थिति में मोटापे से बचने के लिए जहां तक संभव हो, जंक फूड से दूर रहा जाना चाहिए। आप जो भी खा रहे हैं उसका न्यूट्रीशन इंडेक्स देखिए। मोटापा खत्म करने के लिए आपको सतर्क रहना होगा। अगर आप ओवरवेट की तरफ जा रहे हैं तो भी स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाकर सामान्य वजन की ओर आसानी से आ सकते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के अनुसार, जंक फूड प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ हैं जिनमें पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। अक्सर इनमें नमक, चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है। आइसीएमआर के अनुसार जंक फूड या अस्वास्थ्यकर आहार के कारण बीमारियां बढ़ रही हैं। 1990 के बाद इनसे होने वाली बीमारियों में 10 से लेकर 25 फीसद तक की वृद्धि हुई है।

घर में ही बना लें मनपसंद व्‍यंजन: सातवीं क्लास में पढ़ रहे 13 साल के आदित्य पांडेय इन दिनों घर में पास्ता और केक जैसी चीजें ही नहीं आलू, पूरी और रोटी भी बना रहे हैं। उनकी बड़ी बहन अद्विका पांडेय ने राजमा-चावल बनाना सीखा है क्योंकि उन्हें यह बेहद पसंद है। 11 साल की दिविशा भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने चॉकलेट कुकीज बनाए हैं और पराठे, रोटी बनाने की प्रैक्टिस कर रही हैं। उनकी नौ साल की नन्ही बहन नव्या उनके साथ किचन में होती हैं और हरसंभव मदद करती हैं। इसी तरह से लॉकडाउन में विनाया दुआ और मानविक दुआ ने भी कुकिंग और बेकिंग का अपना शौक पूरा किया है। ये सब बच्‍चे स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक खाने का महत्‍व समझ चुके हैं और उन्‍हें जो भी खाने का मन करता है उसे घर पर ही खुद बनाने की सोचते हैं। इसमें उनके पैरेंट्स भी मदद करते हैं। तो, दोस्‍तो यह एक और तरीका है अपनी आदतें बदलने का। जो खाने का मन हो मम्‍मी या पापा के साथ मिलकर घर में ही बना लें ताकि जंक के जहर से बच सकें। चूंकि आजकल बच्चे बाहर खेल नहीं पा रहे तो वे ज्यादा समय मोबाइल फोन में गेम खेलकर या टीवी देखकर बिताते हैं। पूरे दिन बैठकर या लेटकर जंक फूड खाते हैं तो उनकी एक्‍स्‍ट्रा कैलोरी बर्न नही हो पाती, जो उनके मोटापे का कारण बनती हैं।

कोरोना ने बदली हैं आदतें

एम्‍स, दिल्‍ली में की गई एक स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस के चलते लोगों की खाने-पीने की आदतें काफी सुधरी हैं। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह यह है कि इस स्टडी में शामिल किए गए 43.8 फीसद लोगों ने माना कि कोविड संक्रमण होने के डर की वजह से उन्होंने जंक फूड खाना छोड़ दिया। पहले ये लोग घर के बाहर से पैकेज्ड फूड लेते थे, लेकिन अब कोरोना के डर की वजह से उन्होंने यह छोड़ दिया है। 25 फीसद लोगों ने घर के बने खाने को तरजीह देना शुरू कर दिया।

जंक फूड को बदलें हेल्दी खाने में

  • फ्रेंच प्राइज में खीरे और गाजर को लंबा काटकर मिला सकते हैं और वेजिटेबल फ्राइज का नाम दे सकते हैं
  • गाढ़ी दही में प्याज, खीरे का रायता बनाकर डिप की तरह इस्‍तेमाल कर सकते हैं
  • ब्रेड जैम की जगह पनीर का सैंडविच, वेजिटेबल सैंडविच या ब्रेड ऑमलेट दे सकते हैं। इनमें विटामिन और मिनरल होंगे
  • पनीर से प्रोटीन मिलता है। बढ़ते बच्चों को प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है
  • शॉर्ट ब्रेक में फल होने चाहिए ताकि बच्चे को विटामिन, मिनरल मिले
  • दोपहर के भोजन में बच्चे को दाल, सब्जी, दही, अनाज मिलना चाहिए। इन सब चीजों को पैक करना मुश्किल है तो आप पराठे का आटा दूध, दही या दाल में गूंथ सकते हैं। इसमें गाजर या बीटरूट जैसी सब्जियां कद्दूकस करके डाल दें। पनीर को घिस सकते हैं या फिर मूली या गोभी का पराठा बना कर ले सकते हैं
  • दही या धनिये की गाढ़ी चटनी के साथ पराठे का रोल बना दें
  • पनीर टिक्का विद वेजिटेबल्स दे सकते हैं या पनीर फ्राइड राइस, एग फ्राइड राइस बना सकते हैं
  • चावल में न्यूट्रीनेगेट्स व सब्जियां डाल कर पुलाव बना सकते हैं
  • पनीर भुर्जी बना सकते हैं और पराठे में रोल कर सकते हैं
फिटनेस का दुश्मन है जंक फूड: फिटनेस एक्सपर्ट तरुण गिल ने बताया कि फास्ट फूड के चलन से सबसे ज्यादा नुकसान 13 से 28 साल तक के युवाओं को हुआ है। जंक फूड खाने की आदत पड़ गई उन्हें। उन्होंने घर का खाना पसंद नहीं किया और नतीजा यह हुआ कि जब वे कॉलेज में जाने लगते हैं तो इतने मोटे हो जाते हैं कि उन्हें अपने शरीर पर शर्म आने लगती है। उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। फिर वे पूरी जिंदगी इसी लो-कॉन्फिडेंस के साथ जीते हैं। मोटापा कम दिखाने के लिए ढीले कपड़े पहनते हैं, अपना शरीर छुपाते हैं।

दरअसल, भारत के लोगों का शरीर दाल-रोटी के लिए बना है। इसे खाकर मोटे नहीं हो सकते। एक तरह से भारतीयों की फिटनेस का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है जंक फूड। करीब पंद्रह सालों में मोटापे का अनुपात दोगुना हो गया है। बच्चों के मुंह एक बार इनका स्वाद लग जाता है तो वे उन्हें छोड़ नहीं पाते। मैं खुद जंक फूड खाने से बहुत मोटा हो गया था और उसका हर्जाना मुझे दस साल भरना पड़ा। लेकिन मैं खुशकिस्मत था लगातार मेहनत करके फिट हो गया। आज के बच्चे तो यह सब करेंगे नहीं। वे मोटे हो जाते हैं तो एक सप्ताह या दस दिन एक्सरसाइज करके हार जाते हैं। उम्र के साथ उनकी पाचन शक्ति कम होती जाती है। वह न व्यायाम करते हैं न ही जंक फूड खाना कम करते हैं। अगर आप फास्ट फूड खा रहे हैं तो उसकी कैलोरी जलाइए तो। कोई शारीरिक खेल खेलिए। अगर आप खाएंगे भरपूर और घर में बैठकर वेब सीरीज या वीडियो देखेंगे तो आप मोटे होंगे ही। आपकी फिटनेस जिम में एक घंटे मेहनत करने से नहीं होगी बल्कि तेईस घंटे आप क्या खा रहे हैं उससे बनेगी। अगर आप स्वस्थ खाना खाएंगे तो हर बीमारी से दूर रहेंगे।

बीमारियों से बचना जरूरी है: दिल्‍ली के कोलंबिया एशिया अस्पताल के पीडियाट्रिशन कंसल्टेंट डा. सुदीप चौधरी ने बताया कि जंक फूड में कैलोरी बहुत ज्यादा होती है जो शरीर के लिए अच्छी नहीं होती। यह कैलोरी फैट में बदल जाती है जिससे किशोर मोटे हो जाते हैं और उन्हें कई बीमारियां हो जाती है। जंक फूड बाजार में आसानी से जरूर मिलते हैं लेकिन इस खाने से मोटापा आ जाता है और बच्‍चों का बॉडी मास इंडैक्स 20-25 से ऊपर चला जाता है। मोटापे से बहुत कम उम्र में टाइप 2 डायबिटीज हो जाती है, लिपिड यानी लिवर की समस्या हो जाती है। उनमें ऊर्जा कम हो जाती है। विटामिन बी की कमी हो जाती है। वे हर समय थकान और सुस्‍ती महसूस करने लगते हैं।

भारतीय खाने रखेंगे स्वस्थ: गुरुग्राम के पारस अस्पताल के सीनियर साइकेट्रिस्ट डा. ज्योति कपूर ने बताया कि जिन बच्चों को घर का खाना खाने का आदत है वे भी कई बार अपने साथियों के दबाव में बाहर जंक फूड खाते हैं। वे अगर बाहर जाएं तो सलाद ले सकते हैं, तली हुई चीजों की जगह बेक की हुई चीजें ले सकते हैं। कोल्ड ड्रिंक की जगह लाइम सोडा या आइस टी ले सकते हैं। बाहर जाकर भी उन्हें स्वास्थ्यवद्र्धक खाना मिल सकता है। दरअसल, जंक फूड से हार्मोंस डिस्टर्ब हो जाते हैं और मोटापा बढऩे से आलस बढ़ जाता है। बच्‍चों-किशोरों की सक्रियता कम हो जाती है और वे मोटापे के चंगुल में फंस जाते हैं। बच्चे जितना भारतीय खाना खाएंगे, उतना ही स्वस्थ रहेंगे क्योंकि वह खाना हमारे मौसम, जलवायु और शरीर की जरूरतों के अनुरूप बनता है। घर पर ही स्‍वादिष्‍ट चीजें बनाई जा सकती हैं, जिनमें अगर बच्चों का योगदान भी ले लिया जाए तो उसमें उनकी रुचि बढ़ती है।

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