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गंदे पानी को शोधित कर दोबारा उपयोग लायक बनाया जाएगा

गांवों से निकले गंदे पानी को शोधित करने दोबारा उपयोग करने लायक बनाने की अपनी योजना पर दिल्ली जल बोर्ड तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इसके योजना के तहत गांवों में छोटे बड़े स्तर के सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) लगाया जाना है। गांव का गंदा पानी शोधित करने के लिए पाइप लाइन के जरिए प्लांट तक लाना भी शामिल है। इन जगहों पर चारदिवारी खड़ा करने का काम पूरा कर लिया गया है। मशीनरी लगाने का काम भी जल्द ही शुरू होगा। अमूमन, ग्रामीणों की शिकायत रहती थी कि गंदे पानी की निकासी का समूचित इंतजाम नहीं होने से जोहड़ और खेत दोनों बर्बाद हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 29 Dec 2018 08:24 PM (IST)
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गंदे पानी को शोधित कर दोबारा उपयोग लायक बनाया जाएगा
बिरंचि ¨सह, पश्चिमी दिल्ली :

गांवों से निकलने वाले गंदे पानी को शोधित करके दोबारा उपयोग लायक बनाने की योजना पर दिल्ली जल बोर्ड ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत गांवों में छोटे बड़े स्तर के सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया जाना है। गांव का गंदा पानी शोधित करने के लिए पाइप लाइन के जरिए प्लांट तक लाया जाएगा। अमूमन, ग्रामीणों की शिकायत रहती थी कि गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से जोहड़ और खेत दोनों बर्बाद हो रहे हैं। जमीनी जल और खारा हो रहा है। एसटीपी लगने के बाद इस तरह की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।

गांवों में एसटीपी लगाने की योजना में बने अवरोधों को दूर करने में जल बोर्ड को दो साल लग गए। अब एसटीपी लगाने का काम शुरू हो चुका है। फिलहाल, छावला व ताजपुर के बीच 50 बीघे पर व गोयला डेयरी में 20 बीघे पर बडे़ स्तर के दो और मित्राऊं, ढांसा, कैर, काजीपुर, बिजवासन, ताजपुर खुर्द, खेड़ा डाबर व सारंगपुर में छोटे स्तर के एसटीपी लगाने का काम शुरू हो गया है। शिकारपुर में 23 बीघा पर व हसनपुर में 13 बीघा पर एक-एक एसटीपी लगाने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई थी, लेकिन ग्रामीणों की आपत्ति के बाद शिकारपुर में जगह स्थानांतरित करनी पड़ी। हसनपुर में एसटीपी के लिए जगह की तलाश हो रही है। उम्मीद है कि जल्द जमीन मिल जाएगी।

ग्रामीण विकास समिति के चेयरमैन व मटियाला के विधायक गुलाब ¨सह यादव का कहना है कि जिन गांवों में एसटीपी लगाया जा रहा है उस गांव के आसपास के चार पांच गांवों का गंदा पानी पाइप लाइन के सहारे लाकर यहां साफ किया जाएगा। इसका दोबारा उपयोग बागवानी जैसे अन्य कार्यों के लिए किया जाएगा। शेष शोधित जल को नजफगढ़ ड्रेन में छोड़ दिया जाएगा।

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