एनआरसी और सीएए के खिलाफ फरवरी में दिल्ली में हुए दंगो के मास्टर माइंड उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए सरकार की स्वीकृति जरूरी होती है। दोनों जेएनयू के पूर्व छात्र रहे है। इन्हीं दोनों ने समुदाय विशेष के नेताओ वामपंथी विचार धारा के नेताओ विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले वर्तमान और पूर्व छात्रों के साथ साजिश रच दिल्ली में दंगे कराए थे।
By JagranEdited By: Updated: Fri, 06 Nov 2020 10:43 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों के मास्टरमाइंड शरजील इमाम और उमर खालिद के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने दोनों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी प्रदान कर दी है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र रह चुके शरजील व खालिद पर आरोप हैं कि इन्होंने समुदाय विशेष के नेताओं, वामपंथी विचारधारा के नेताओं और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले वर्तमान और पूर्व छात्रों के साथ मिलकर साजिश रची और दिल्ली में दंगे कराए।
दुनिया में भारत की छवि खराब करने के लिए बड़े स्तर पर साजिश रची गई थी। इसके लिए फरवरी में उस वक्त दंगे कराए गए, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर थे। साजिशकर्ताओं को यकीन था कि ट्रंप के दौरे के दौरान दंगे होंगे तो विदेशी मीडिया का ध्यान इस ओर आकर्षित करने में आसानी होगी।
दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में दी गई। दंगे की विस्तृत साजिश रचे जाने के मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल देशद्रोह के आरोप में अब तक 21 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 17 पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार स्वीकृति दे चुकी है। सितंबर में स्पेशल सेल ने देशद्रोह के मामले में 15 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र में पिजरा तोड़ को छात्रा गुलफिशा खातून उर्फ गुल समेत कई अन्य आरोपितों ने कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेताओं, उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षको, अधिवक्ताओं आदि के दंगे से पहले धरना स्थलों पर जाकर भड़काऊ भाषण देने को बात स्वीकारी है। हालांकि दिल्ली पुलिस द्वारा अभी इनमें से एक लघु फिल्म निर्माता समेत चंद नेताओं से ही संक्षिप्त पूछताछ की गई है।
इस मामले में दिल्ली सरकार का कहना है कि यह विशुद्ध रूप से प्रक्रियात्मक मामला है। दिल्ली सरकार के गृह विभाग के कानून विभाग ने राय दी है। निर्वाचित सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। वैसे भी दिल्ली सरकार ने पिछले पाच वर्षो में किसी भी मामले में अभियोजन को नहीं रोका है। चाहे पार्टी के विधायकों और पार्टी नेताओं से संबंधित मामले ही क्यों न रहे हों। दिसंबर में ही शुरू हो गई थी दंगे की तैयारी दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होते ही उमर खालिद ने दिसंबर में ही पहले इंडिया अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी और जेएनयू, जामिया से समुदाय विशेष के छात्रों के साथ आंदोलन करने कि तैयारी की। शरजील इमाम को भी बाद में इसलिए जोड़ा क्योंकि वह भड़काऊ भाषण देने में माहिर है। दंगे करने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों के कई नए संगठन बनाए गए। केवल समुदाय विशेष के छात्रों और नेताओं के साथ आंदोलन को बृहद रूप न मिलता देख बाद में खालिद, सैफी और शरजील ने तमाम राजनीतिक पार्टियों और अन्य को आंदोलन से जोड़ लिया था। जाकिर नगर में गोपनीय तरीके से उमर खालिद आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ गोपनीय बैठक करता था। जामिया और दरियागंज में आंदोलन करने पर सफलता नहीं मिलते देख उमर ने ताहिर हुसैन और अन्य के साथ बैठक कर उत्तर-पूर्वी दिल्ली का रुख किया था। दंगे के लिए सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई थी। आरोप पत्र में दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) व अन्य के जरिये करोड़ों को फंडिग की गई और दंगे में शामिल होने वाले लोगों को करोड़ों रुपये बांटे गए।
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