गर्त से निकलकर आसमां को छूने की उड़ान
-दक्षिणी निगम के स्कूल के छात्रों में कम हुई नशे की लत - हर साल कम हो रही हैं बच्चों में नशे की आदत जागरण संवाददाता नई दिल्ली नशे की गर्त में स्याह होती जिदगी में फिर से रोशनी की एक किरण ने उजाला सा भर दिया है। देश का भविष्य माने जाने वाले सैकड़ों बच्चों में पढ़ने करने के साथ कुछ कर गुजरने का हौसला आ रहा है। यही वजह है कि बच्चें गंदी आदतों को छोड़ अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे है। यह परिणाम नशे के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा चलाई गई मुहिम से सामने आए हैं। निगम के सकारात्मक प्रयास ही है कि निगम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में नशे की आदत कम हो गई है। निगम के सर्वे के अनुसार पिछले चार वर्षों में बच्चों में नशे की आदत को को खत्म करने में कामयाबी मिली है। वर्ष 2015-16 में जहां 660 बच्चों में नशे की आदत पाई गई थी तो वहीं 201
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : नशे के गर्त में स्याह होती जिदगी में रोशनी की एक किरण ने उजाला भर दिया है। अंधकार भरे जीवन से निकले सैकड़ों बच्चों में पढ़ने और कुछ कर गुजरने का हौसला आ रहा है। नशे के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा चलाई गई मुहिम से ऐसा संभव हो पाया है। निगम के सर्वे के अनुसार पिछले चार वर्षो में बच्चों में नशे की बुरी आदत को खत्म करने में कामयाबी मिली है। वर्ष 2015-16 में जहां 660 बच्चों में नशे की लत पाई गई थी, वहीं 2018-19 में यह संख्या घटकर 190 हो गई है। इन 190 बच्चों में भी इस बुरी आदत को खत्म करने का लक्ष्य बना लिया गया है।
नगर निगम के अनुसार जिन बच्चों में नशे की आदत थी, उसमें ज्यादातर बच्चे सुपारी या फिर गुटखा खाते थे। उनमें नशे की लत को कम करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। वे स्कूलों में बच्चों की काउंसिलिंग करते हैं। निगम ने उन इलाकों की भी पहचान कर ली है, जहां बने निगम के स्कूलों में बच्चों में नशे की लत सर्वाधिक हैं। इनमें आरके पुरम, मुनिरका, संगम विहार, अंबेडकर नगर, महिपालपुर, किशनगढ़ के स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों में नशे की बुरी आदत को कम करने के लिए विशेषज्ञों ने दस हजार से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए। वर्ष 2018-19 में निगम ने 10639 कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें 2 लाख 44 हजार 645 बच्चों से बातचीत की गई। घर के खराब महौल ने बिगाड़ी आदत