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वेस्ट यूपी में गुर्जरों को साधने के लिए SP ने बदला था RS प्रत्याशी

सहारनपुर, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के अलावा, आसपास के कई जिलों में गुर्जर समुदाय पर सुरेंद्र नागर का प्रभाव है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2016 01:52 PM (IST)
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नोएडा (जेपी यादव)। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन से कुछ घंटे पहले अरविंद सिंह का टिकट कट गया और पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर को एंट्री यूं ही नहीं मिली, इसके पीछे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर वोट बड़ी वजह हैं।

गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरेंद्र नागर का कई जिलों में प्रभाव माना जाता है। सहारनपुर, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के अलावा, आसपास के कई जिलों में गुर्जर समुदाय पर सुरेंद्र नागर का प्रभाव है। ऐसे में समाजवादी पार्टी को 2017 विधानसभा चुनाव में बड़ा फायदा होने की उम्मीद है।

दूध और घी के बड़े व्यवसायी सुरेंद्र नागर का पारस ब्रांड पूरे उत्तर प्रदेश में मशहूर है। सुरेंद्र नागर गौतमबुद्धनगर सीट से लोकसभा के सांसद भी रहे हैं, हालांकि वह सांसद बसपा से थे। इससे पहले 1998 में वह स्थानीय निकाय क्षेत्र से एमएलसी बने थे वह भी निर्दलीय।

इसके बाद 2003 में वह सपा और आरएलडी की मदद से एमएलसी बन गए थे। वह 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे।

सुरेंद्र नागर को दोनों सदनों का सदस्य बनने का भी गौरव मिल चुका है। लोकसभा का परिसीमन होने के बाद वह 2009 में गौतमबुद्धनगर से बसपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इस बार वह राज्यसभा के सदस्य बने हैं।

इससे पहले वह दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। पहले उनका नाम सपा की सूची में नहीं था, लेकिन नामांकन से दो दिन पहले सपा ने अरविंद सिंह का टिकट काटकर सुरेंद्र नागर को दिया था।

राज्यसभा पहुंचने वाले छठे गुर्जर नेता

सुरेंद्र नागर राज्यसभा पहुंचने वाले छठे गुर्जर नेता हैं। इससे पहले 1984 में कांग्रेस ने रामचंद्र बिकल को राज्यसभा भेजा था। हरियाणा से 1986 में कांग्रेस ने हरिसिंह नलवा व इसके बाद कन्हेयालाल पोशवाल को राज्यसभा भेजा था।

भाजपा ने बुलंदशहर के सोहजना गांव के डा. नौनिहाल सिंह भाटी व राजस्थान के शिवचरण बैसला को राज्यसभा सदस्य बनाया था। हालांकि, जम्मू कश्मीर से भी मोहम्मद असलम गुर्जर, अहमद कसाना व तालीब गुर्जर भी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं।

आगामी विधान सभा चुनाव में मिल सकता है फायदा

सुरेंद्र नागर का गुर्जरों में बड़ा कदम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुसलमानों के बाद सबसे ज्यादा गुर्जरों की संख्या है। सपा की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम जनाधार है। जाट रालोद का परंपरागत वोट माना जाता है। ठाकुर, ब्राह्मण व त्यागी भाजपा की तरफ माने जाते हैं।

सपा ने सुरेंद्र नागर को राज्यसभा भेजकर गुर्जरों पर दाव लगाया है। सुरेंद्र नागर की गुर्जरों में अच्छी पकड़ के चलते आगामी विधान सभा चुनाव में सपा को इसका लाभ भी मिल सकता है।

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