कबाड़ में पड़ी चीजों को दे सकते हैं आकर्षक रूप
स्वदेशी मेले में स्टॉल लगाने के लिए झांसी से आई नीलम सारंगी बताती है कि आजकल हर कोई अपने घर की साज-सजावट अलग हटके चाहता है, इसके लिए कोई इंटिरियर डिजाइनर से संपर्क करता है तो कोई इंटरनेट की मदद लेता है। दीवाली की सफाई के दौरान लोग घर से कबाड़ चीजों को निकाल बाहर करते है, लेकिन यदि हम अपनी कलात्मकता सोच का प्रयोग करें तो उन कबाड़ चीजों को ही आकर्षक रूप दे सकते है और अपने घर की सजावट में उसका प्रयोग कर सकते है।
फोटो नंबर 25 यूटीएम 14,15 जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : स्वदेशी मेले में स्टॉल लगाने के लिए झांसी से आई नीलम सारंगी बताती हैं कि आजकल हर कोई अपने घर की साज-सजावट अलग हटके चाहता है। इसके लिए कोई इंटीरियर डिजाइनर से संपर्क करता है तो कोई इंटरनेट की मदद लेता है। दिवाली की सफाई के दौरान लोग घर से कबाड़ चीजों को निकाल देते हैं, लेकिन यदि हम अपनी कलात्मकता सोच का प्रयोग करें तो उन कबाड़ चीजों को ही आकर्षक रूप देकर घर की सजावट में प्रयोग कर सकते हैं। आज झांसी में उनको देख अधिकांश लोग कबाड़ को फेंकने के बजाय उसे आकर्षक रूप देने की कोशिश करते हैं। इससे न सिर्फ स्वच्छता अभियान की मुहिम को बल मिल रहा है, अपितु कबाड़ चीजों को बेहतर ढंग से प्रयोग किया जा रहा है। नीलम झांसी में अपनी सोसायटी में समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन कर अधिक से अधिक महिलाओं को इन तमाम गुर से परिचित कराती रहती हैं। इसके अलावा झांसी की महिला जेल में भी नीलम महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। नीलम के इस अभियान में उनके बेटे का उन्हें खासा सहयोग मिला है। नीलम बताती हैं कि यह उपलब्धि इतनी आसान नहीं थी। लोगों की सोच को परिवर्तित करना एक बड़ी चुनौती थी। कबाड़ चीजों को आकर्षक रूप देने के साथ नीलम लोगों को पौधरोपण के लिए भी प्रेरित करती हैं। ------------------- कसरत के साथ पिस रहा अनाज : मेले में ग्रेटर नोएडा से आए पर्यावरण संरक्षण दल नामक संस्था के संरक्षक टीकम ¨सह ने एक ऐसी साइकिल का इजाद किया है, जिसमें कसरत कर वजन कम करने के साथ-साथ अनाज को भी पीस सकते हैं। टीकम का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाना ही शेष नहीं है, बल्कि हमे मशीनों के द्वारा निकलने वाले प्रदूषण को भी रोकने की जरूरत है। जिम में मौजूद साइकिल चलाने के दौरान अनाज अपने आप पिसता चला जाएगा। इससे न ही किसी बिजली का प्रयोग होता है, और न ही प्रदूषण आदि निकलता है। साथ ही लोगों को बिना किसी मेहनत के शुद्ध आटे की रोटी का स्वाद चखने का अवसर मिल सकता है। टीकम बताते हैं कि रोजाना यदि व्यक्ति आधे घंटे तक साइकिल चलाकर शुद्ध आटा खाता है तो वह न सिर्फ बीमारियों से दूर रहता है, बल्कि स्वस्थ भी रहता है।