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Bhalswa landfill site: भलस्वा लैंडफिल साइट पर अब कूड़े के पहाड़ में नहीं लग सकेगी आग, काम आएगा दिल्ली निगम का ये प्लान

इससे आग को फैलने से रोकने में भी मदद मिली है। साथ ही धुंआ भी कम हुआ है। उन्होंने बताया कि लैंडफिल पर कचरे पर वाहनों की आवाजाही के लिए हम मलबे को डालते हैं ताकि कचरा नीचे की ओर न खिसके।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Mon, 02 May 2022 09:11 AM (IST)
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भलस्वा लैंडफिल पर इस समय 44 ट्रामल मशीनें लगी हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भलस्वा लैंडफिल पर कई दिनों से लगी आग पर काबू पाने और फिर से आग न लगे इसके लिए निगम ने कचरे के साथ मलबा डालने का फैसला लिया है। इससे नए कचरे में आग की संभावना 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। हालांकि यह मलबा नया नहीं, बल्कि लैंडफिल पर भी ट्रामल किया जा रहा बारीक मलबा है। इससे ज्वलनशीन पदार्थो में आग नहीं लगेगी। वहीं, कचरा भी नीचे की ओर नहीं खिसकेगा। तेज तापमान जब तक है, तब तक नगर निगम इसी विधि का उपयोग करेगा।

उत्तरी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भलस्वा लैंडफिल पर जो आग लगी वह पुराने कचरे में नहीं थी, बल्कि हाल के दिनों में डाले गए नए कचरे में थी। हो सकता है कि लैंडफिल में नीचे से निकल रही मीथेन गैस के संपर्क में नए कचरे में आया कोई ज्वलशील पदार्थ संपर्क में आ गया हो।

फिर से धीरे-धीरे यह आग बड़ी हो गई होगी। इसे देखते हुए हमने प्रतिदिन डाले जाने वाले कचरे के साथ अब ट्रामल किया हुआ बारीक मलबा भी डालना शुरू किया है। इससे आग को फैलने से रोकने में भी मदद मिली है। साथ ही धुंआ भी कम हुआ है। उन्होंने बताया कि लैंडफिल पर कचरे पर वाहनों की आवाजाही के लिए हम मलबे को डालते हैं, ताकि कचरा नीचे की ओर न खिसके। साथ ही वाहन का वजन भी वह ङोल पाए।

भलस्वा लैंडफिल पर इस समय 44 ट्रामल मशीनें लगी हैं। इसमें करीब 30-35 मशीनें प्रतिदिन चलती हैं। इससे करीब 10 हजार टन कचरे का निस्तारण प्रतिदिन होता है। इसमें पांच हजार इनर्ट हैं, जबकि चार हजार टन अन्य कचरा है और एक हजार टन मलबा है। यहां पर प्रतिदिन 2500 टन नया कचरा डाला जाता है।

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