रेल प्रशासन गंभीर नहीं, वर्क टू रूल लागू करने के लिए आंदोलन करेंगे रेल कर्मचारी
यूनियन के नेताओं का कहना है कि रेलवे में लाखों पद रिक्त हैं। इस कारण कर्मचारियों को निर्धारित समय से ज्यादा काम करना पड़ता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। वर्क टू रूल लागू करने के लिए रेल कर्मचारी आंदोलन करने वाले हैं। पहले चरण में वे धरना-प्रदर्शन करके अपना विरोध जताएंगे। उसके बाद 11 दिसंबर से तय समय से अधिक काम न कर रेल प्रशासन पर दबाव बनाएंगे। यूनियन का दावा है कि वर्क टू रूल लागू होने से रेल प्रशासन का काम बुरी तरह से बाधित होगा क्योंकि तब कर्मचारी तय समय से अधिक काम करने से साफ इनकार कर देंगे।
यूनियन के नेताओं का कहना है कि रेलवे में लाखों पद रिक्त हैं। इस कारण कर्मचारियों को निर्धारित समय से ज्यादा काम करना पड़ता है। इसके बावजूद न तो उन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं और न अन्य मांगें पूरी की जा रही हैं।
नॉर्दन रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि सुरक्षित रेल परिचालन के लिए कर्मचारियों की मांगें मानी जानी चाहिए, लेकिन रेल प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है। इसलिए कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ रहा है। 26 से 30 नवंबर तक पूरे उत्तर रेलवे में धरना प्रदर्शन के साथ रैली होगी। वर्क टू रूल आंदोलन को सफल बनाने के लिए कर्मचारियों को जागरूक किया जाएगा। इसी तरह से तीन दिसंबर को सभी शाखाओं पर कर्मचारी प्रदर्शन करेंगे।
उनका कहना है कि रेल पटरियां जर्जर हो गई हैं, ट्रेन के कोच भी काफी पुराने हो गए हैं। सिग्नल प्रणाली के आधुनिकीकरण की जरूरत है, लेकिन इन कामों के लिए सरकार आम बजट में आवश्यक धन उपलब्ध नहीं करा रही है। रेल उपकरणों, पटरियों व सिग्नल आदि की मरम्मत के लिए सामान की आपूर्ति नहीं की जा रही है।
1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम से भी वंचित कर दिया गया है। ढाई लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं। इस कारण रेल कर्मचारियों से उन्हें बिना पूर्ण विश्राम दिए लंबी अवधि तक कार्य लिया जा रहा है। इसी तरह से कर्मचारियों की अन्य जायज मांगें हैं जिसके लिए वे लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं।