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नौकरी दिलाने के नाम पर पांच हजार युवाओं से ठगी

विश्वास नगर इलाके में फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खोलकर करीब पांच हजार युवाओं से नौकरी के नाम पर रकम ऐंठने वाले दो ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान बिजनौर उप्र निवासी हनी रस्तोगी (26) और भजनपुरा दिल्ली निवासी नरेश गर्ग (34) के रूप में हुई है। आरोपितों ने शास्त्री गली विश्वास नगर इलाके में केएफएचआइएस नाम से फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खोल रखी थी। इनके पास से एक हजार युवाओं के बायोडाटा एक लैपटॉप छह मोबाइल फोन चार सिमकार्ड फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य सामान बरामद हुए हैं। दोनों आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। अब तक देशभर में पांच हजार युवाओं को ठगने की बात पता चली है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 01 May 2019 10:14 PM (IST)
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नौकरी दिलाने के नाम पर पांच हजार युवाओं से ठगी

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : विश्वास नगर इलाके में फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खोलकर करीब पांच हजार युवाओं से नौकरी के नाम पर रकम ऐंठने वाले दो ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान बिजनौर, उप्र निवासी हनी रस्तोगी (26) और भजनपुरा, दिल्ली निवासी नरेश गर्ग (34) के रूप में हुई है। आरोपितों ने शास्त्री गली, विश्वास नगर इलाके में केएफएचआइएस नाम से फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खोल रखी थी। इनके पास से एक हजार युवाओं के बायोडाटा, एक लैपटॉप, छह मोबाइल फोन, चार सिमकार्ड, फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य सामान बरामद हुए हैं। दोनों आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। अब तक देशभर में पांच हजार युवाओं को ठगने की बात पता चली है।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सोमवार को जिले के साइबर सेल को शिकायत मिली थी कि विश्वास नगर, फर्श बाजार इलाके में फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी चल रही है। पुलिस ने छापेमारी कर वहां से दोनों आरोपितों को दबोच लिया। उनसे पूछताछ में पता चला कि दोनों करीब नौ महीने से यहां पर एजेंसी चला रहे थे। आरोपित वेबसाइटों पर नौकरी के लिए आवेदन मांगते थे। इसमें नामी कंपनियों में सुपरवाइजर, ड्राइवर और मार्केटिग की नौकरी दिलवाने का झांसा दिया जाता था। आवेदनकर्ता को ये लोग शाहदरा मेट्रो स्टेशन पर बुलाते थे। इसके बाद उन्हें रिक्शे में बैठाकर दफ्तर तक पहुंचाया जाता था। ताकि दफ्तर का पता न मिल सके। यहां युवाओं से 2350 रुपये लेकर उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र देकर जयपुर, लखनऊ और आगरा में फर्जी पतों पर भेज देते थे। कुछ दिन आरोपित अपना मोबाइल नंबर बदल लेते थे। पीड़ित इनका पता तक नहीं लगा पाते थे, लेकिन एक पीड़ित ने पुलिस को शिकायत दे दी। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की।

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