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JNU विवादः 3 दिनों की पुलिस रिमांड में भेजे गए उमर खालिद व अनिर्बान

एनयू विवाद में मुख्य आरोपी उमर खालिद व अनर्बान भट्टाचार्य को तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के लिए सात दिनों की रिमांड की मांग की थी।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Wed, 24 Feb 2016 09:38 PM (IST)
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नई दिल्ली। जेएनयू विवाद में मुख्य आरोपी उमर खालिद व अनर्बान भट्टाचार्य को तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के लिए सात दिनों की रिमांड की मांग की थी।

जानिए, हुमा कुरैशी और जेएनयू छात्र उमर खालिद के बीच का कनेक्शन

मंगलवार देर रात सरेंडर करने के बाद उमर व अनिर्बान ने पुलिस के सामने सनसनीखेज खुलासे किए हैं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक खालिद ने स्वीकार किया है कि 9 फरवरी को जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन की तरफ से अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम के दौरान अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगाए गए थे।

आरके पुरम थाने में उमर खालिद से पूछताछ के बाद उसे पुलिस अपने साथ ले गई। इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सुरक्षित स्थान पर कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान की रिमांड से जुड़ी सारी कर्रवाई को पूरा किया जाए।

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खालिद और अनिर्बान ने पुलिस पूछताछ में यह भी बताया कि अफजल गुरु की फांसी उसके दिल के बहुत करीब है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि जोएनयू में कार्यक्रम के लिए पोस्टर और प्रचार सामग्री अनिर्बान ने बांटी थी।

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गौरतलब है कि जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपी छात्रों में से दो उमर खालिद और अनिर्बान ने मंगलवार रात सरेंडर कर दिया था। शेष तीन आरोपी अब भी कैंपस के अंदर ही हैं। पूछताछ के दौरान खालिद ने अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगाने की बात कबूल कर ली है।

जानिए कब और कैसे किया सरेंडर

* रात 11 बज कर 35 मिनट उमर और अनिर्बान दोनों निजी जीप पर यूनिवर्सिटी से बाहर निकले।

* रात 11 बजकर 40 मिनट पर उमर और अनिर्बान जेएनयू के गेट नंबर 4 पर पहुंचे।

* गेट से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तक सिक्योरिटी गार्ड ने उमर खालिद और अनिर्बान को पुलिस के पास छोड़ दिया।

* यहां पुलिस की दो गाड़ियां पहले से उनका इंतजार कर रही थीं।

* 11 बजकर 55 मिनट पर दोनों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया।

* सुबह तड़के 4 बज कर 45 मिनट पर डॉक्टरों की टीम थाने पहुंची। करीब एक घंटे तक दोनों छात्रों की मेडिकल जांच की गई।

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संयुक्त पुलिस आयुक्त आरएस कृष्णैया ने बताया है कि देशद्रोह के आरोपी दोनों छात्रों को धारा 124ए के तहत गिरफ्तार किया गया है। इससे पूर्व दिन में गिरफ्तारी से राहत के लिए हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे उमर खालिद और अनिर्बान की ओर से दायर अपील पर न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कहा कि दोनों पुलिस के समक्ष समर्पण करें या गिरफ्तारी दें। सुनवाई के दौरान उमर और अनिर्बान पुलिस के समक्ष समर्पण को तैयार हो गए, लेकिन समर्पण कहां होगा इस मुद्दे पर सहमति नहीं बनने पर सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी गई।

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अदालत ने छात्रों के अधिवक्ता से पूछा कि आरोपी किस जगह व कब समर्पण करना चाहते हैं। स्थान व समय कागज पर लिख कर दें, उसे सावर्जनिक नहीं किया जाएगा। इस पर अधिवक्ता ने लिखित जानकारी दी। अदालत ने कोर्ट रूम में मौजूद पुलिस उपायुक्त प्रेमनाथ को कागज सौंपते हुए कहा कि वह सुरक्षा का पूरा प्रबंध करें और किसी को भी समर्पण का पता नहीं चलना चाहिए।

इसके बाद अदालत ने पुलिस उपायुक्त व बचाव पक्ष के वकील को अपने चैंबर में बुलाया। करीब 15 मिनट बाद बाद आकर दोनों पक्षों ने कहा कि समर्पण के स्थान पर सहमति नहीं बन पाई है।

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अदालत ने कहा, मनमानी न करें

अदालत ने कहा कि आप हाईकोर्ट में क्यों समर्पण करना चाहते हैं। सुरक्षित तरीके से क्या मतलब है। आप न्यायिक प्रक्रिया को समझें, मनमानी न करें। यहां आपकी मर्जी नहीं चलेगी। न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।

झूठ बोलकर किया था कार्यक्रम

पुलिस आयुक्त बस्सी को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, उमर खालिद और अनिर्बान ने जेएनयू प्रशासन को झूठ बोलकर कार्यक्रम के लिए अनुमति मांगी थी। वहां उन्होंने सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया था। देश विरोधी गतिविधि करने पर जब एबीवीपी के छात्र मौके पर पहुंचे और विरोध जताना शुरू किया तब दोनों गुटों में झगड़ा हो गया था।

लगे थे ऐसे-ऐसे नारे

  • भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह।
  • कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी।
  • अफजल की हत्या नहीं सहेंगे नहीं सहेंगे।
  • कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेगा।
  • हम क्या चाहते आजादी, आधी रात को आजादी, सुनसान सड़क पर आजादी।
  • कश्मीर मांगे आजादी, केरल मांगे आजादी, असम मांगे आजादी।

क्या था मामला

9 फरवरी को जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन की तरफ से अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सांस्कृतिक संध्या के नाम पर आयोजित कार्यक्रम में कश्मीर की आजादी पर चर्चा होनी थी और अफजल गुरु से जुड़ी एक फिल्म भी दिखाई जानी थी। सांस्कृतिक संध्या के लिए के लिए पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इजाजत दी थी लेकिन कार्यक्रम शुरु होने से बीस मिनट पहले उसे रद्द कर दिया गया। बावजूद इसके डीएसयू के उमर खालिद की अगुवाई में कार्यक्रम हुआ और उसमें देश विरोधी नारे लगे। वहां मौजूद ABVP के लोगों ने इसका विरोध किया और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के खिलाफ नारेबाजी की।

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ABVP ने अगले दिन थाने में शिकायत दर्ज करवाई और यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। 11 फरवरी को भाजपा सांसद महेश गिरी ने वसंतकुंज थाने जाकर एफआइआर दर्ज करवाई। पुलिस ने अज्ञात लोगों पर धारा 124 A के तहत केस दर्ज किया। 12 फरवरी को जांच के लिए पुलिस जेएनयू पहुंची और छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

कन्हैया के अलावा FIR में कार्यक्रम के आयोजक उमर खालिद समेत पांच और लोगों के नाम थे। दिल्ली पुलिस का दावा है कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कन्हैया ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे।

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15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया की पेशी के दौरान वकीलों ने पत्रकारों और कोर्ट में मौजूद जेएनयू के छात्रों के साथ मारपीट की। कोर्ट में कन्हैया की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त दिशा निर्देश के बावजूद 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में फिर हंगामा हुआ। वकीलों ने पेशी के दौरान कन्हैया पर हमला किया। पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी हुई।

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