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धार्मिक प्रवृत्ति का था पूरा परिवार, हैरान हैं पड़ोसी

संजय सलिल, बाहरी दिल्ली : संत नगर में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत की घटना से पड़ोसी हतप्रभ हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 01 Jul 2018 10:45 PM (IST)
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धार्मिक प्रवृत्ति का था पूरा परिवार, हैरान हैं पड़ोसी

संजय सलिल, बाहरी दिल्ली :

संत नगर में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत की घटना से पड़ोसी हतप्रभ हैं। लोगों का कहना है कि परिवार के सभी सदस्य धार्मिक प्रवृत्ति के थे। पड़ोसी वीरेंद्र त्यागी कहते हैं कि भुवनेश को लोग गोपाल नाम से भी जानते थे। वह एक साल पूर्व तक कोई प्राइवेट नौकरी करते थे। लेकिन, एक साल से उन्होंने नौकरी छोड़ अपने घर में परचून, दूध आदि बेचने की दुकान खोल ली थी। भुवनेश आसपास के लोगों से ज्यादा घुले-मिले नहीं थे। पहले नौकरी के सिलसिले में ज्यादातर समय बाहर ही बीतता था। दुकान खोलने के बाद वह दुकान पर ही रहते थे। जबकि छोटा भाई ललित का पड़ोसियों व आसपास के लोगों से काफी मिलना जुलना होता था। वह कहते हैं कि पूरा परिवार अच्छे स्वभाव का था। पूरे परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था। उन्हें कभी किसी से बहस करते तक नहीं देखा गया। उनकी सोच कभी किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं रही। यहा तक उनकी दुकान के आसपास किसी और की गाड़िया भी खड़ी होती थीं तो गली से गुजरने वाले लोग इस आपत्ति करते थे तो भुवनेश खुद गाड़ी को वहा से हटा देते थे। किसी का बुरा करना परिवार के किसी सदस्य के स्वभाव में शामिल नहीं था। भुवनेश की अच्छाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोगों ने उन्हें कई बार अपनी दुकान में गुटखा, सिगरेट आदि रखने को कहा था ताकि बिक्री बढ़ जाए। लेकिन, वह लोगों को यह कहते हुए उन्हें रखने से मना कर देते थे कि गुटखा सिगरेट बेचकर वह लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। वीरेंद्र बताते हैं कि शनिवार को भी ललित मिले थे। अच्छी बातचीत हुई थी। रविवार की सुबह जगा तो पूरे परिवार की मौत से खबर ने सकते में डाल दिया।

पड़ोस में रहने वाले जनार्दन सिन्हा बताते हैं कि ललित अक्सर उनके पास पैसे के ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए आते रहते थे। वह बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। तीन चार दिन पहले जब वह मिले थे तो करीब एक घटे तक उनसे बातचीत हुई थी, जिसमें वह ज्यादातर बातें धर्म, देवी-देवता आदि के विषय में की थी। दोनों भाइयों की इस प्रवृत्ति का असर उनके बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों पर पड़ा था। पड़ोस में रहने वाली एक महिला बताती हैं कि रात के 11 बजे तक उनकी दुकानें खुली थीं। कुछ माह पूर्व ही उन्होंने नए सिरे से मकान को बनाना भी शुरू किया था। उनकी माली हालत भी अच्छी थी। ऐसे में कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि भुवनेश व ललित किसी परेशानी में हो। पूरे परिवार की मौत की घटना से पड़ोसी भी हतप्रभ हैं।

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