कूड़े को साफ कर पार्क को बनाया खूबसूरत
संजय सलिल, बाहरी दिल्ली सरकारी उदासीनता के चलते तीन साल पहले तक रोहिणी सेक्टर-15 के
संजय सलिल, बाहरी दिल्ली सरकारी उदासीनता के चलते तीन साल पहले तक रोहिणी सेक्टर-15 के आलोक कुंज स्थित जिस पार्क में कूड़े के ढेर थे, आज उसका पूरी तरह से कायाकल्प हो चुका है। पार्क में आज रंग बिरंगे फूलों के पौधे इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।
यह सब आलोक कुंज के ए-1 से ए-4 ब्लॉक के आरडब्ल्यूए के प्रधान 64 वर्षीय सत्यप्रकाश गोयल की निरंतर मेहनत की बदौलत हो सका है।
रक्षा मंत्रालय से 2014 में सीनियर ऑडिटर पद से रिटायर सत्यप्रकाश ने नगर निगम के पार्क की हालत को देखकर इसे जीवित करने का संकल्प लिया था और उन्होंने इसे गोद ले लिया। पर्यावरण को बचाने के लिए शुरू किए अपने इस मुहिम के बारे में बताते हुए सत्यप्रकाश कहते हैं कि तीन साल पूर्व इस पार्क की ऐसी स्थिति थी कि यहां गंदगी के अंबार लगे थे। लोग इसमें घरों के कूड़े फेंकते थे। इसमें सांप बिच्छू, चूहे, नेवले जैसे जीव-जंतुओं ने अपना बसेरा बना लिया था। गंदगी के कारण बदबू से लोग इस पार्क की तरफ झांकना भी नहीं चाहते थे। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले अपने खर्च से पार्क की सफाई कराई तो इसमें से करीब चार ट्रक कूड़े निकले थे। इसके बाद उन्होंने पार्क में क्यारियां बनाई और फूल के पौधे लगाए। पार्क में हरियाली के लिए घास लगाया तो विभिन्न प्रजातियों के पौधे के पचास गमले लगाए। पार्क में कुत्ते आदि घुसकर गंदगी फैलाते थे, इसके लिए अपने ही खर्च से इसमें लोहे का गेट भी लगवाया। झूले टूटे हुए थे, उन्हें ठीक कराया तो निजी सहयोग से दो बेंच व कुर्सियों आदि की भी व्यवस्था कराई। नतीजतन, आज यह पार्क आलोक कुंज का सबसे ज्यादा हरा भरा व सुंदर पार्क बन गया है।
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हर रोज पार्क के लिए देते हैं समय :
सत्यप्रकाश तीन सालों से पार्क के लिए हर सुबह घंटों समय देते हैं। वह खुद ही पौधों में पानी देते हैं तो उगे खर-पतवारों की सफाई करते हैं। जिन पौधे की टहनियां बढ़कर बेतरतीब हो जाती हैं, उनकी छंटाई भी वह खुद ही करते हैं। पौधों की नियमित देखभाल के कारण वह कभी मुरझाते नहीं हैं। आज इसमें रंग बिरंगे फूलों के पौधे लगे होने से पार्क रमणीक हो गया है, जहां अब कॉलोनी के बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सुबह शाम आकर बैठते हैं और पेड़-पौधों के बीच प्रकृति के सुदर नजारे का आनंद उठाते हैं। सत्यप्रकाश बताते हैं कि कॉलोनी के लोग भी उनके इस कार्य में अब मदद करने लगे हैं और गंदगी आदि नहीं फेंकते हैं।