निशुल्क शिक्षा देकर होनहारों का भविष्य रच रहे रचित
अपना भविष्य संवारने के लिए तो हर कोई मेहनत करता है, लेकिन ऐसे कम ही लोग होते है, जो दूसरों के भविष्य की ¨चता करते हैं। सुविधाओं के अभाव में इन बच्चों के दम तोड़ती उम्मीदों को बचाने का बीड़ा उठा रहें हैं रचित। पुर्नजागरण समिति के माध्यम से गरीबी के अभाव में स्लम इलाकों के बच्चों के भविष्य सवारने में लगे हुए है।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : समाज में आज भी बड़ी आबादी ऐसी है, जो अर्थाभाव व विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है। हजारों बच्चे ऐसे हैं जो किसी कारणवश आज भी स्कूल नहीं जा पाते। ऐसे ही बच्चों का भविष्य संवारने में सुख पाते हैं यमुनापार सीए बि¨ल्डग स्थित न्यू संजय अमर कॉलोनी में रहने वाले रचित। रचित इन बच्चों का भविष्य रचने में लगे हुए हैं। वह 10 वर्षो से झुग्गी बस्तियों के बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे हैं।
रचित ने बताया कि वह पत्नी ज्योति और बेटे के साथ रहते हैं। वह होम ट्यूशन देकर परिवार का पालन पोषण करते हैं तो पत्नी पत्नी कपड़ों की सिलाई कर उनकी मदद करती हैं। खुद की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं लेकिन इस दंपती को यह चिंता अक्सर होती थी कि कितने ही बच्चे अर्थाभाव में नहीं पढ़ पा रहे। रचित को इसके लिए पत्नी ने ही प्रेरित किया। इसके बाद वह होम ट्यूशन से अलग उन बच्चों को भी शिक्षा देने में जुट गए, जो उन्हें इसकी फीस नहीं दे सकते।
रचित ने बताया कि उन्होंने हमेशा से गरीबी का सामना किया है इसलिए नहीं चाहते कि कोई गरीबी के कारण पढ़ने से वंचित रह जाए। उनकी कोशिश रहती है कि बच्चों को न सिर्फ किताबी ज्ञान दिया जाए, बल्कि हुनरमंद भी बनाया जाए ताकि वह आत्मनिर्भर हो सकें।
रचित बताते हैं कि वे खुद अकेले इसके लिए सक्षम नहीं हैं इसलिए वे पुनर्जागरण समिति के माध्यम से कड़कड़डूमा हेडगेवार अस्पताल के पास ऐसे बच्चों को शिक्षा देते हैं। लगभग 10 साल से वह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि शिक्षित व्यक्ति न सिर्फ अपने भरण-पोषण में सक्षम हो सकता है, बल्कि जीवन को बेहतर तरीके से जी भी सकता है, इसलिए वह चाहते हैं कि हर बच्चे को शिक्षा मिले।
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