1973 के Nobel Peace Prize ने दुनिया भर को चौंका दिया था, इन दो नामों ने दिया था बड़े कॉन्ट्रोवर्सी को जन्म
1973 के नोबेल शांति पुरस्कार को (1973 Nobel Peace Prize ) इतिहास का सबसे खराब पुरस्कार माना जाता है। समाचार एजेंसी AFP के अनुसार नॉर्वेजियन नोबेल इतिहासकार एस्ले स्वेन ने बताया कि 16 अक्टूबर 1973 को नोबेल शांति पुरस्कार के नामों की घोषणा हुई जिसने सभी को हैरान कर दिया था। इसे अब तक के सबसे विवादास्पद नोबेल पुरस्कार में से एक माना जाता है। जानिए क्या था इसका कारण।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 02 Oct 2023 01:34 PM (IST)
एएफपी, ओस्लो। 1973 Nobel Peace Prize: आज से ठीक 50 साल पहले 1973 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दो नाम जारी किए गए। पहला- तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर और दूसरा -उत्तरी वियतनाम के मुख्य शांति वार्ताकार ले डक थो।
बता दें कि इन दो को दिया गया नोबेल शांति पुरस्कार अब तक के सबसे विवादास्पद नोबेल पुरस्कार में से एक माना जाता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि दोनों पुरस्कार विजेताओं में से किसी ने भी इस प्राइज को अपनाया ही नहीं। जी हां, एक ने इस पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया तो दूसरे ने ओस्लो जाने की हिम्मत ही नहीं की। वहीं, समिति के पांच सदस्यों में से दो ने गुस्से में इस्तीफा तक दे डाला।
नोबेल शांति पुरस्कार के पूरे इतिहास में इसे सबसे खराब पुरस्कार
समचार एजेंसी AFP से बात करते हुए नॉर्वेजियन नोबेल इतिहासकार एस्ले स्वेन ने नोबेल शांति पुरस्कार के पूरे इतिहास में इसे सबसे खराब पुरस्कार करार दिया। एस्ले स्वेन बताते है कि 16 अक्टूबर, 1973 को नोबेल शांति पुरस्कार के नामों की घोषणा हुई, जिसने सभी को हैरान कर दिया।इन दो नामों से बढ़ा विवाद
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने किसिंजर और ले डक थो को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था। दोनों को ये पुरस्कार 1973 में वियतनाम में संयुक्त रूप से युद्धविराम पर बातचीत करने और आम सहमति बनाने के लिए मिला था। 27 जनवरी, 1973 को इस जोड़ी ने वियतनाम में युद्धविराम के लिए पेरिस शांति समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे।यह भी पढ़े: मोस्ट वांटेड आतंकी शाहनवाज को Delhi Police की स्पेशल सेल ने पकड़ा, NIA ने रखा था तीन लाख का इनाम