एक ऐसा कानून जिसने इतिहास के पन्नों को शर्मसार किया! स्तन ढकने पर दलित महिलाओं को चुकाना पड़ता था टैक्स
क्या आप जानते हैं कि कभी हमारे देश में दलित महिलाओं (Dalit Women) को सिर्फ इसलिए टैक्स (Breast Tax) देना होता था क्योंकि वे अपने स्तन ढकना चाहती थीं? जी हां सही पढ़ा आपने! अगर वे ऐसा नहीं करतीं तो उन्हें सजा भी दी जाती थी। आइए जानते हैं कि यह कितनी क्रूर और अन्यायपूर्ण प्रथा (Mulakkaram) थी और कैसे इन महिलाओं ने मिलकर इसे समाप्त किया।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजादी के पहले, हमारे देश में कई अमानवीय कानून थे जो समाज के एक बड़े हिस्से को कुचलने (Social Discrimination) का काम करते थे। इनमें से एक कानून इतना क्रूर था कि सुनकर रूह कांप उठती है। इस कानून के मुताबिक, दलित जाति की महिलाओं (Dalit Women) को अपनी आजादी का मूल्य चुकाना पड़ता था और वो भी अपनी इज्जत के बदले! जी हां, उन्हें सिर्फ इसलिए टैक्स देना होता था कि वो अपने शरीर के ऊपरी हिस्से यानी स्तन को ढक सकें। अगर कोई महिला इस अन्याय (Breast Tax In India) के खिलाफ आवाज उठाती, तो उसे सजा का सामना करना पड़ता था। आइए, आज हम आपको बताएंगे कि ये कानून कहां लागू था और कैसे महिलाओं ने मिलकर इस अत्याचार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी।
स्तन ढकने पर देना होता था टैक्स
केरल के त्रावणकोर में सदियों पहले, दलित जाति की महिलाओं को 'मुलक्करम' नामक एक अत्यंत अपमानजनक टैक्स चुकाना पड़ता था। अगर कोई अधिकारी या ब्राह्मण उनके सामने आता था, तो उन्हें या तो अपनी छाती से वस्त्र हटाने पड़ते थे, या फिर अपनी छाती ढकने के लिए एक टैक्स देना पड़ता था। इस अमानवीय नियम का पालन सार्वजनिक स्थानों पर अनिवार्य था। बता दें, इस टैक्स को बहुत कठोरता से वसूला जाता था। बाद में, व्यापक विरोध के कारण और अंग्रेजों के दबाव में, यह क्रूर प्रथा समाप्त की गई।स्तन के आकार पर भरना पड़ता था टैक्स
मद्रास कुरियर नामक समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, त्रावणकोर राज्य में निचली जाति की महिलाओं पर अत्याचार की हदें पार कर दी गई थीं। इन महिलाओं को अपनी छाती ढकने के लिए एक कर देना पड़ता था और यह कर महिलाओं के स्तन के आकार के आधार पर तय किया जाता था। यह अमानवीय नियम त्रावणकोर के राजा के आदेश पर लागू किया गया था और इसे उसके सलाहकारों का पूरा समर्थन प्राप्त था।
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